तो तस्वीर भयावह होती, खुफिया एजेंसी आईबी की मैक टीम ने तब्लीगी जमात पर इस तरह रखी नजर

देश
ललित राय
Updated Apr 13, 2020 | 07:47 IST

इटली वाली तस्वीर भारत से नहीं आ रही है, यह देश के लिए खुशी की बात है। तब्लीगी जमात के लोग जब देश के अलग अलग हिस्सों में पहुंच गए तो जानकारी हासिल करने की कमान आईबी की मैक टीम ने संभाल ली और नतीजा सामने है।

आईबी की मैक टीम ने तब्लीगी जमात पर इस तरह रखी नजर, नहीं तो
कोरोना केस में तब्लीगी जमात की करीब 30 फीसद भूमिका 
मुख्य बातें
  • भारत में कोरोना के अब तक कुल केस आठ हजार के पार, महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित
  • पिछले 6 महीने में संक्रमण के मामले दोगुने बढ़े, अब तक 250 लोगों की मौत
  • लॉकडाउन को कई राज्यों ने आगे बढ़ाया, 14 अप्रैल को खत्म हो रहा है लॉकडाउन पार्ट वन

नई दिल्ली। देश में कोरोना मरीजों की संख्या 8 हजार के पार जा चुकी है और अब तक 250 लोग काल के गाल में समा चुके हैं। अगर भारत के कोरोना ग्राफ को देखें तो 4 अप्रैल के बाद मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है, जिसका अपना इतिहास जो दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से जुड़ी है। 
भारत में जनवरी के आखिरी हफ्ते में कोरोना के केस आने की खबर आई। लेकिन मार्च के पहले हफ्ते में तीन ऐसे लोग बाहर से आए और कोरोना ने औपचारिक रूप से दस्तक दे दी। कोरोना के खिलाफ जंग में आईबी की मैक टीम की तारीफ करनी होगी जिसके प्रयास से भारत इटली बनने से बच गया। 

तस्वीर इटली जैसी होती...
सरकार की तरफ से शुरुआती इंतजाम किए गए। पीएम मोदी ने देश को अपने पहले संबोधन में साफ किया कि सोशल डिस्टेंसिंग ही इस मर्ज से निपटने का उपाय है। अगर 22 मार्च से 31 मार्च के आंकड़े को देखें तो केस सामने आ रहे थे। लेकिन उसकी रफ्तार कम थी। यह बात अलग है कि चार अप्रैल को मामले तेजी से बढ़ने लगे और नतीजा सबके सामने है, और इसका संबंध तब्लीगी जमात से भी जुड़ा। लेकिन यहां आईबी की मैक टीम की तारीफ करनी होगी। अगर मैक टीम की तरफ से तत्परता न दिखाई गई होती तो मामला और गंभीर होता और देश इटली जैसी हालात का सामना कर रहा होता।

आईबी की मैक टीम ने की मदद
इंटेलिजेंस ब्यूरो के मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) की मदद ली गई।मैक ने मार्च महीने में जमात से जुड़े कोरोना के संदिग्ध मरीजों की पहचान की और देश को बड़े खतरे से बचा लिया। आईबी की मैक टीम अगर सचेत नहीं रही होती तो इस बात की कल्पना करना भी मुश्किल था कि नुकसान का स्तर कितना बड़ा होता। आईबी ने उन लोगों पर भी नजर रखी जो जमात का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उस दौरान मरकज के आसपास ही थे जब यह घातक वायरस इलाके में पांव पसार रहा था।  

इस तरह से जमातियों की हुई पहचान
जमात से जुड़े लोगों की पहचान करने के लिए निजामुद्दीन इलाके के कई मोबाइल टावरों की मदद से 14 मार्च से लेकर 22 मार्च तक का डेटा स्टोर किया गया। इस डेटा की मदद से मरकज के आसपास के क्षेत्र में उस दौरान हुए हलचल से उनकी पहचान करने में मदद मिली। इस पूरी कोशिश में इस बात पर खास ध्यान दिया गया कि किसी तरह से गलती की गुंजाइश न रहे।  23 मार्च तक 1,500 जामातियों ने मरकज छोड़ दिया, लेकिन उनमें से एक हजार लोग इस घनी आबादी वाले निजामुद्दीन इलाके में बनी जमात की छह मंजिला इमारत में रुके हुए थे। आईबी ने भारत के दक्षिणी राज्यों से तबलिगी जमात में आए करीब चार हजार लोगों के  मोबाइल नंबरों और उनकी रिहाइश के बारे में जानकारी हासिल की जो 13 मार्च से मरकज की बैठक में शामिल हुए थे।

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