'हमारी सांसों की जिम्मेदारी हमारी है जब तक सरकारी मशीनरी अपनी जिम्मेदारी ना संभाल ले'

देश
प्रभाकर चतुर्वेदी
Updated Nov 10, 2021 | 13:11 IST

Air Pollution in Delhi-NCR: ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक इस साल दिवाली के बाद जो प्रदूषण हो रहा है उसमे PM 2.5 मे उच्चतम 41 प्रतिशत पराली का भाग है। 

Air Pollution Delhi NCR
पूरे उत्तर भारत की हवा को सुधारने को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तल्ख़ टिप्पणियां एवं सुझाव दे चुका है 

पूरे उत्तर भारत मे सर्दियों की शुरुआत से ही वायु प्रदूषण के सूचकांक का उच्च स्तर पर पहुंच जाना कुछ सालों से बेहद आम बात हो गई है।इन सबमें दिल्ली फिर से अव्वल हैं देश और प्रदूषण  राजधानी दोनों का ही तमगा अपने नाम करते हुए। हर बार की तरह वायु प्रदूषण के सुर्खियों की शुरुआत दिल्ली से हुई है कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय राजधानी से सटे राज्यों मे किसानों द्वारा पराली का जलाया जाना वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण है।

इस साल भी 4 नवंबर यानी दिवाली की शाम के बाद से वायु गुणवत्ता का और बिगड़ना शुरू हो चुका है और तीन दिनो के बाद भी यह 'खतरनाक' श्रेणी मे बना हुआ है, खुद सरकारी एडवाइजरी कहती है कि दिल्ली की हवा में बाहर निकलना बेहद खतरनाक है।

हालांकि पराली के अलावा यातायात, निर्माण और औद्योगिक क्रियाओं से भी प्रदूषण के प्रमुख कारणों मे हैं। ग्लोबल बर्डेन ऑफ़ डिजिज रिपोर्ट के अनुसार 2017 मे  भारत के कुल मौतों मे वायु प्रदूषण पांचवा सबसे बड़ा कारण था आगे इसी रिपोर्ट मे कहा गया है कि उच्च पार्टिकुलेट मैटर यानि PM के चलते 6.6 करोड़ भारतीयों मे जीवन प्रत्याशा यानि लाइफ एक्सपेक्टेनैंसी 3.2 साल घटी है।

एयर गुणवत्ता की क्वालिटी से जुड़ी एक स्विस संस्था AQairs के डाटा के मुताबिक दुनिया के 30 में से 21 सबसे  प्रदूषित शहर भारत से हैं, वही लेसेंट जर्नल के मुताबिक 2019 मे वायु प्रदूषण से  दुनियाभर मे 476000 नवजातों की मृत्यु हुई जिनमे 116000 भारत से थे,निश्चित तौर पर इसके गंभीर प्रभाव पर्यावरण और स्वास्थ्य पर पड़ रहे हैं।

इसको लेकर क्या हैं सरकारी प्रयास- 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) वायु गुणवत्ता और वायु प्रदूषण के अन्य मामलों को देखने का काम करती है। 

वही वर्ष 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) भी बनाई गयी जो मुख्य रूप से पर्यावरण और वायु प्रदूषण के मामलों मे न्यायिक सुनवाई करती है 

जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP) की शुरुआत की गयी है जो 2024 तक वायु प्रदूषण मे 20 से 30 प्रतिशत की कटौती का लक्ष्य रखता है।

वायु सुधारों की दिशा मे एक और कदम अक्टूबर 2020 मे सरकार के एक अध्यादेश द्वारा उठाया गया जो 18 सदस्यीय ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’[Commission for Air Quality Management-CAQM) के गठन को मंजूरी देता है 

दिल्ली की राज्य सरकार ने भी प्रदूषण नियंत्रण समिति का गठन किया है।

इन सभी उपायों के अलावे पराली को डिकम्पोस्ट करने की तकनीक स्मॉग टावर लगाना आदि शामिल हैं। 

सुप्रीम कोर्ट तल्ख़ टिप्पणियां एवं सुझाव दे चुका है

पूरे उत्तर भारत की हवा को सुधारने को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तल्ख़ टिप्पणियां एवं सुझाव दे चुका है, 2019 मे ही स्मॉग टावर बनाने का आदेश दिया गया थाऔर मदन बी लोकुर के अध्यक्षता मे पराली जलने पर कमिटी भी बनाने का आदेश दिया था। इसी क्रम मे ऑड ईवन भी काफी प्रसिद्ध हुआ। हालांकि तमाम सरकारी और न्यायिक संस्थाओं के प्रयासों के बावजूद स्थितियां अभी तक बदली नहीं हैं 

हवा पर हवाई राजनीति 

शुरू से ही प्रदूषित हवा पर जितने काम होने चाहिए थे उतने तो हुए नहीं राजनीति खूब हो गयी है।नवंबर 2019 मे सुप्रीम कोर्ट के फटकार के बाद संसदीय समिति की एक बैठक आयोजित की गयी जिनमे कई बड़े नेताओं को शामिल होना था पर वो चेहरे बैठक से नादारथ ही रहे, दुर्भाग्य तो ये रहा कि वरिष्ठ नेताओं मे शुमार कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बाद मे ये कहते हुए बड़े नेताओं का रुख साफ किया की 'ऐसी बैठकें होती रहती हैं बताते चलें की पूर्वी दिल्ली के बीजेपी सांसद गौतम गंभीर खुद नहीं पहुंच पाए। 

'कदम उठाने चाहिए, ब्लेम गेम नहीं खेलना चाहिये' 

अब ठीक दो साल बाद 8 नवंबर 2021 में भी जगदंबिका पाल (चेयरमैन-शहरी विकास संसदीय समिति) का बयान आया है कि 'पॉल्यूशन बढ़ा है ये चिंता का विषय है। पराली की शिकायतें आ रही हैं। पिछली बार हमने अपनी समिति की मीटिंग में दिल्ली सरकार और अधिकारियों को बुलाया था। दिल्ली सरकार ने आश्वासन दिया था…कदम उठाने चाहिए, ब्लेम गेम नहीं खेलना चाहिये।' 

क्योंकि हमारी सांसों की जिम्मेदारी हमारी है...

पंजाब और दिल्ली सरकार को इस पर कदम उठाने चाहिए, देखते हैं कि दिल्ली और NCR की सरकारें क्या कर रही हैं। इन बयानों से वायु प्रदूषण पर राजनीति की नीयत और नब्ज दोनों ही टटोली जा सकती है, अंत मे कहना यही होगा कि हमें अपने स्तर पर हवा को स्वच्छ और सुरक्षित बनाये रखने पर विशेष ध्यान देना होगा क्योंकि हमारी सांसों की जिम्मेदारी हमारी है जब तक सरकारी मशीनरी अपनी जिम्मेदारी ना संभाल ले। 
 

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