नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटे हुए एक साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। बड़ी बात यह है कि मुख्य दलों के नेता भी नजरबंदी से बाहर आ चुके हैं। लेकिन सुर नहीं बदले। गुपकार में 6 दलों ने कहा कि उनकी लड़ाई अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए जारी रहेगी। उस मीटिंग में महबूबा मुफ्ती भी शामिल थीं। लेकिन शुक्रवार को जिस तरह से अपमी नीति और नीयत का इजहार किया उसके बाद बीजेपी पूरी तरह हमलावर है।
'सत्ता बिन नहीं रह सकते ये नेता'
केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह का कहना है कि महबूबा मुफ्ती खुद को मुख्यधारा की राजीतिक शख्सियत मानती हैं, लेकिन उन्हें तिरंगा उठाने में परेशानी हैष हम लोग पहले से कहते आ रहे हैं कि कभी कभी ऐसा लगता है कि मुख्य धारा के राजनीतिक शख्स चिन्हित अलगाववादियों से ज्यादा खतरनाक नजर आते हैं। जीतेंद्र सिंह ने कहा कि इस तरह के नेताओं को किसी तरह से सत्ता चाहिए। उनकी भाषा और बोली उनके फायदे से नियंत्रित होती है।
सत्ता से हटने के बाद बदल जाते हैं सुर
जम्मू-कश्मीर के इन नेताओं ने अपनी सुविधा के हिसाब से परिभाषा गढ़ ली है। जब वो सत्ता में बने रहते हैं तो भारत माता की जय कहते हैं। लेकिन एक बार सत्ता से बेदखल होने के बाज पाकिस्तान की शपथ और गाना गाते हैं उसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की एकता और अखंडता पर सवाल खड़ा करना शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा कि आप इस तरह के नेताओं से इसी तरह की उम्मीद कर सकते हैं।
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