कोरोना की तीसरी लहर का है ऐसा खौफ, बच्चों के लेकर बना हुआ है डर, यहां पढ़ें उससे जुड़े मिथक और तथ्य

Coronavirus third wave: कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर दावा किया जाता है कि इसमें बच्चों पर ज्यादा असर पड़ेगा। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कई बार इस तरह की आशंकाओं को नकारा गया है।

covid in india
देश में कोरोना वायरस का कहर 
मुख्य बातें
  • कोविड-19: तीसरी लहर को लेकर बने मिथक, जानें क्या हैं तथ्य
  • 2-18 साल के बीच की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन का परीक्षण शुरू हो गया है
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों में कोविड-19 के प्रबंधन पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं

नई दिल्ली: देश ने हाल ही में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का ऐसा कहर देखा कि लोगों के मन में काफी डर बैठ गया। इसी दौरान कोविड 19 की तीसरी लहर की भी चर्चा होने लगी। कहा जाने लगा कि इस लहर में कोरोना का कहर बच्चों पर पड़ सकता है। दरअसल, इसके पीछे तर्क था कि अभी बच्चे ही हैं, जिन्हें वैक्सीन लगना शुरू नहीं हुआ है और पहली और दूसरी लहर में बच्चे कम भी संक्रमित हुए हैं। ऐसे में संभव है कि तीसरी लहर में बच्चे इस महामारी की चपेट में आएं।

हालांकि सरकार ने कई मौकों पर इस तरह की आशंकाओं से इनकार किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, मीडिया ने आगे आने वाली किसी संभावित नई लहर के बच्चों पर विपरीत प्रभाव पड़ने को लेकर कई सवाल उठाये हैं। विशेषज्ञों ने कई मंचों पर ऐसे डर और आशंकाओं को खारिज किया है।

कुछ प्रतिशत बच्चों को भर्ती कराने की जरूरत

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी. के. पॉल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 1 जून, 2021 को कोविड-19 पर संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि जो बच्चे संक्रमित हो सकते हैं, उनको प्रभावी देखभाल और उपचार उपलब्ध कराने के क्रम में स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से पर्याप्त व्यवस्थाएं की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में कोविड-19 ज्यादातर लक्षणहीन रहा है और शायद ही उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने  जरूरत होती है। हालांकि यह संभव है कि संक्रमित होने वाले कुछ प्रतिशत बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत हो सकती है।

...इसलिए नहीं है परेशान होने की जरूरत

8 जून, 2021 को कोविड-19 पर हुए एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप सिंह गुलेरिया ने कहा कि भारत या वैश्विक स्तर पर ऐसे कोई आंकड़े नहीं है जिससे पता चले कि आगे आने वाली कोविड की लहरों से बच्चे गंभीर रूप से संक्रमित होंगे। इस मुद्दे पर और स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा कि मामूली लक्षणों वाले स्वस्थ बच्चे बिना अस्पताल में भर्ती हुए ठीक हो गए, वहीं भारत में दूसरी लहर के दौरान कोविड 19 संक्रमण के चलते अस्पताल में जो बच्चे भर्ती किये गये उनको दूसरी बीमारियां भी थीं या उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी।

प्रतिरोधकता पर राष्ट्रीय तकनीक परामर्श समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 पर बने कार्यकारी समूह के अध्यक्ष डॉ. एन. के. अरोड़ा ने 25 जून, 2021 को कहा कि 2-18 साल के बीच की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन का परीक्षण शुरू हो गया है और इसके नतीजे इस साल सितंबर से अक्टूबर तक मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि बच्चों को संक्रमण हो सकता है, लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं होंगे।

दिशानिर्देश जारी किए जा चुके

कोविड-19 की बाद में आने वाली लहरों के दौरान बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए जरूरी तैयारियों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 18 जून, 2021 को बच्चों (18 साल से कम) में कोविड-19 के प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। दस्तावेज संक्रमण से बचाव और नियंत्रण (आईपीसी) सहित लक्षणों, विभिन्न उपचारों, निगरानी पर विस्तृत दिशानिर्देश, मास्क के उपयोग के लिए परामर्श आदि उपलब्ध कराता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न विशेषज्ञों ने वायरस के संचरण की चेन को तोड़ने के लिए नियमित रूप से बच्चों के साथ ही वयस्कों के लिए कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) के पालन की जरूरत पर जोर दिया है। 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर