नई दिल्ली: चीन ने हाल ही में स्वीकार किया था कि पिछले साल जून में लद्दाख की गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष में उसके चार सैनिक मारे गए थे। हालांकि चीन ने यहां भी मौत का आंकड़ा छुपा लिया। चीनी सरकार के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने इसका वीडियो जारी किया था। अपने सैनिकों की मौत की सच्चाई स्वीकार करने के बाद चीन की सोशल मीडिया में भारत के खिलाफ गुस्सा निकाला जा रहा है और वहां पर भारत विरोधी संदेशों की बाढ़ आ गई है।
वीबो के जरिए भारत को बनाया गया निशाना
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, चीन स्थित भारतीय दूतावास के चीनी सोशल मीडिया अकाउंट पर भारत के खिलाफ जमकर नफरत भरे और घणात्मक मैसेज भेजे जा रहे हैं। चीनी नागरिक भारत के साथ सैन्य गतिरोध के लिए नई दिल्ली को दोषी ठहरा रहे हैं। जैसे ही यह खबर पता चली की गलवान में चीन के सैनिक भी मारे गए हैं तो चीनी लोगों ने हज़ारों की संख्या में अपमानजनक संदेश भेजकर भारतीय दूतावास के ट्विटर जैसे वीबो अकाउंट को निशाना बनाया। कड़े सेंसर वाले वीबो अकाउंट पर कई अपमानजनक संदेश एक्सपेक्टिव्स के साथ दिए गए हैं।
दशकों बाद अपने सैनिकों की मौत की खबर सुनकर चीन के लोग काफी भावात्मक हो गए हैं, लेकिन अपनी सरकार पर गुस्सा निकालने की बजाय वह लगातार भारत और भारतीय दूतावास को निशाना बना रहे हैं। चीन की सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों के बारे में अपमानजनक टिप्पणी के लिए एक शख्स को नानजिंग शहर से अरेस्ट भी किया गया है।
चीन ने जारी किए कई संपादित वीडियो
शुक्रवार को, पिछले साल जून में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई मारपीट के गलवान घाटी गॉलवान घाटी वाले कई वीडियो दिखाए गए थे, जिन्हें कई वेबसाइटों पर अपलोड किया गया था और उन्हें लाखों बार देखा गया था। इन एडिटेड वीडियो में भारतीय सैनिकों द्वारा चीनी सैनिकों पर हावी होते हुए दिखाया गया है। घरेलू दर्शकों के लिए संदेश स्पष्ट था कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के सामने संयम और वीरता दिखाई। किसी भी वीडियो में दावा नहीं किया गया है कि झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। पीएलए के चार मृत सैनिकों की तस्वीरें ऑनलाइन प्रसारित हुईं जिसके बाद चीनी नागरिकों की कड़ी प्रतिक्रिया आई।
ग्लोबल टाइम्स उतरा बचाव में
चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने यह भी बताया कि क्योंकि 8 महीने बाद पीएलए सैनिकों की जानकारी सार्वजनिक की गई। ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में कहा गया, 'पिछले साल गलवान घाटी में हिंसा हुई थी, उस समय तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए, हताहतों की तुलना से बचना सीमा की स्थिति को स्थिर रखना ज्यादा जरूरी था। अब सीमा गतिरोध का दौर समाप्त हो गया है, हमें नायकों के कामों को सार्वजनिक करना चाहिए ताकि सभी चीनी लोग शांति के भाव को समझ सकें और उनकी प्रशंसा कर सकें।'
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