पहाड़ों से पलायन के लिए सिर्फ सड़कें, पेयजल और बिजली जिम्मेदार नहीं- हरक सिंह रावत

Times Now Navbharat Navnirman Manch Uttarakhand Conclave: टाइम्स नाउ नवभारत नवनिर्माण मंच में उत्तराखंड कॉन्क्लेव के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि डबल इंजन की सरकार से राज्य को हर मोर्चे पर कामयाबी मिली है।

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हरक सिंह रावत, वन मंत्री उत्तराखंड सरकार 
मुख्य बातें
  • उत्तराखंड की जैव विविधता को बरकरार रखते हुए हमें विकास के रास्ते पर आगे बढ़ना है। 
  • सरकारी क्षेत्र में तीन नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है। 
  • उत्तराखंड के सामने सबसे बड़ी चुनौती सड़क, पेयजल की है।

Times Now Navbharat Navnirman Manch Uttarakhand Conclave: देवभूमि उत्तराखंड विकास के पथ पर कैसे आगे बढ़ रहा है और इस दौरान कैसे विकास के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करने की कोशिश की जा रही है, उस पर खास रोशनी उत्तराखंड के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने खास रोशनी डाली है। उन्होंने  तीन काम के बारे में सवाल पूछने पर कहा कि उत्तराखंड का विकास ही सबसे बड़ा लक्ष्य रहा है। दिल्ली और उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार चल रही है। 2017 में जनता से हमने जो अपील की थी उसका नतीजा ही था कि हमें 56 विधायक मिले। 

हर मोर्चे पर कामयाब है सरकार
केंद्र के सहयोग से उत्तराखंड हर मोर्चे पर विकास कर रहा है। उत्तराखंड ने सड़कों के मामले में बेहतरीन काम किया है। अगर बात आप मेडिकल क्षेत्र की करें तो इस मोर्चे पर भी हमने बेहतर किया है। सरकारी क्षेत्र में तीन नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं। मेडिकल क़ॉलेज में सिर्फ छात्रों को पढ़ाई ही नहीं बल्कि 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। 

सड़क बिजली और पेयजल सिर्फ पलायन की वजह नहीं
प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती सड़क, पेयजल की है। लेकिन इस विषय पर हम लोग गंभीर है, खासतौर से ब्यासी जलपरियोजना पर हम काम कर रहे हैं। जो भी पर्यावरण से संबंधित दिक्कतें आ रही हैं उन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है। हमारा मानना है कि उत्तराखंड की जैव विविधता को बरकरार रखते हुए हमें विकास के रास्ते पर आगे बढ़ना है। 

आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर इंतजाम
यह बात सच है कि उत्तराखंड में प्राकृतिर आपदाएं आती रहती हैं।  त्रासदी के बाद जो हालात पैदा होते हैं उससे कैसे निपटा जाए। इसके लिए खास इंतजाम किए गए हैं। अगर बात उत्तराखंड में केदारनाथ त्रासदी की बात करें तो उसके बाद आपदाओं से निपटने के लिए खास प्रयास किए गए हैं। हाल ही में जब चमोली के रैणी में हादसा हुआ उसमें बचाव-राहत कार्य के सर्वोत्तम इंतजाम किए गए।

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