कुछ तत्वों के लिए यह कहना 'फैशन' बन गया है कि हम संविधान को स्वीकार नहीं करते : रिजिजू

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Updated Nov 26, 2021 | 07:33 IST

Kiren Rijiju : कानून मंत्रालय के एक कार्यक्रम में रिजिजू ने कहा,'जब संसद कोई विधेयक पारित करती है या जब विधानसभा कुछ कानूनों को मंजूरी देती है, तो तब तक यह कहने का कोई कारण नहीं है कि हम इस अधिनियम का पालन नहीं करते हैं।'

To say that will not follow a law after it was passed by parliament is unfortunate: Kiren Rijiju
कानून मंत्री रिजिजू ने प्रदर्शनकारियों पर साधा निशाना।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • रिजियू ने कहा-हम संविधान को स्वीकार नहीं करते, यह कहना का फैशन बन गया है
  • भारत एक बेहद लोकतांत्रिक देश है इसलिए हमें विरोध करने का अधिकार है-रिजिजू
  • 'कोई कानून संवैधानिक है या असंवैधानिक इसपर न्यायपालिका को निर्णय लेने दें'

नई दिल्ली : कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बृहस्पतिवार को उन ''उपद्रवी तत्वों'' को लेकर चिंता व्यक्त की जो कानूनी, वैध और संवैधानिक चीजों का ''ऐड़ी-चोटी का जोर लगाकर'' विरोध करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोगों के लिए यह दावा करना एक ''फैशन'' बन गया है कि वे संविधान को स्वीकार नहीं करते। रिजिजू ने यह टिप्पणी सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले की है, जहां सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक सूचीबद्ध किया है। 40 किसान संघ पिछले एक साल से इन कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।

'संवैधानिक रूप से जो किया गया है उसका सम्मान हो'

कानून मंत्रालय के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ''जब संसद कोई विधेयक पारित करती है या जब विधानसभा कुछ कानूनों को मंजूरी देती है, तो तब तक यह कहने का कोई कारण नहीं है कि हम इस अधिनियम का पालन नहीं करते हैं, या हम इस कानून का पालन नहीं करेंगे जब तक कि यह असंवैधानिक न हो।'' रिजिजू ने कहा, ''भारत एक बेहद लोकतांत्रिक देश है इसलिए हमें विरोध करने का अधिकार है, वैचारिक मतभेद का अधिकार है। हमें असहमति का अधिकार है। लेकिन संवैधानिक रूप से जो कुछ भी किया गया है उसका सभी को सम्मान करना चाहिए।''

कुछ कहते हैं कि संविधान हमारे पक्ष में नहीं है-कानून मंत्री

उन्होंने कहा, ''(कोई) अधिनियम संवैधानिक है या असंवैधानिक इसपर न्यायपालिका को निर्णय लेने दें।'' मंत्री ने कहा कि कुछ तत्वों के लिए यह कहना 'फैशन' बन गया है कि हम संविधान को स्वीकार नहीं करते, कुछ कहते हैं कि संविधान हमारे पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा, ''शहरों में हम इसे महसूस नहीं करते हैं, लेकिन गहराई में जाने पर हम देखते हैं कि कुछ तत्व उभर रहे हैं ... यह बहुत परेशान करने वाला है ... जो कुछ भी कानूनी, वैध, संवैधानिक है उसका ऐड़ी-चोटी का जोर लगाकर विरोध किया जा रहा है।''

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