BJP-JDU गठबंधन में सब सही है? एक-दूसरे पर ऐसे क्यों तंज कस रहे सुशील मोदी और प्रशांत किशोर

देश
लव रघुवंशी
Updated Dec 31, 2019 | 11:03 IST

Prashant Kishor and Sushil Modi : प्रशांत किशोर ने सुशील मोदी के ट्वीट का जवाब दिया है। उन्होंने उन पर करारा हमला किया है। सीटों के बंटवारे को लेकर ये भिड़ंत हुई।

Sushil Modi and Prashant Kishore
सुशील मोदी और प्रशांत किशोर के बीच ट्विटर वॉर 

नई दिल्ली : क्या भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बीच सबकुछ सही नहीं है? क्या बिहार चुनाव से पहले एक बार फिर बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन में दरार आ सकती है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि दोनों ही दलों के कुछ नेताओं के बीच तनातनी दिख रही है। जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पर करारा हमला किया है।

प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा, 'बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और JDU की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय किया है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं। 2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश डिप्टी सीएम बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है।' 

दरअसल, प्रशांत किशोर ने कहा था कि नीतीश कुमार जी बिहार का चेहरा हैं। जदयू 2004 से बड़ी पार्टी है। बीजेपी के साथ गठबंधन में भी जेडीयू ने बड़ी पार्टी के रूप में चुनाव लड़ा है। 2004 और 2009 विधानसभा चुनावों में जेडीयू ने बीजेपी से अधिक सीटें जीतीं। 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू को भाजपा के मुकाबले अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। 

किशोर ने कहा कि जदयू अपेक्षाकृत बड़ी पार्टी है जिसके करीब 70 विधायक हैं जबकि भाजपा के पास करीब 50 विधायक हैं। अगर हम 2010 के विधानसभा चुनाव को देखें जिसमें जदयू और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था तो यह अनुपात 1:1.4 था। अगर इसमें इस बार मामूली बदलाव भी हो, तो भी यह नहीं हो सकता कि दोनों दल बराबर सीटों पर चुनाव लड़ें। 

इस पर सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा था, '2020 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है। सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा। कोई समस्या नहीं है। लेकिन जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानवाजी कर विरोध गठबंधन को फायदा पहुंचाने में लगे हैं।'

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