योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में आत्‍मनिर्भर बनने की राह पर यूपी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लोकल तथा आत्‍मनिर्भर होने की जिस जरूरत पर बल दिया, उस द‍िशा में योगी आदित्‍यनाथ सरकार पिछले तीन सालों से सतत प्रयास कर रही है।

Yogi adityanath CM Uttar Pradesh
Yogi adityanath CM Uttar Pradesh 

अनिल सिंह। पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती एवं अखिलेश यादव कोरोना की मुश्किल परिस्थिति में भी उत्‍तर प्रदेश में गरीबों को राशन वितरण में गड़बड़ी, भुखमरी, अव्‍यवस्‍था, बेरोजगारी, प्रवासी मजदूरों की वापसी में लापरवाही, इलाज जैसे अहम मुद्दों पर योगी आदित्‍यनाथ की सरकार को नहीं घेर पा रहे हैं, तब इसके दो मायने निकलते हैं। यह कि बसपा-सपा के लोग जनता से दूर हैं या फिर यह कि उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार कोरोना की मुश्किल से सफलतापूर्वक निपटने में सक्षम रही है। भाजपा के कुछ विधायक और आगरा के मेयर चिट्ठी लिखकर या बयान देकर विपक्षी दलों को राज्‍य सरकार पर उंगली उठाने का मौका दे रहे हैं तो केवल इसलिये कि पार्टी के भीतर बैठे योगी विरोधियों को उनकी बढ़ती स्‍वीकार्यता रास नहीं आ रही है और दूसरे दलों से जिस 'सम्‍पन्‍नता' की उम्‍मीद लेकर कुछ लोग आये थे, वह पूरा नहीं हो पा रहा है। जनता के धन की लूट अब यूपी में बांये हाथ का खेल नहीं रह गया है। ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग में ताला लग चुका है।

विपक्षी दल उत्‍तर प्रदेश सरकार को कोरोना और भ्रष्‍टाचार पर नहीं घेर पा रहे हैं तो इसलिये नहीं कि उन्‍होंने इस मुद्दे पर राजनीति करनी छोड़ दी है! बल्कि योगी आदित्‍यनाथ ने अपनी रणनीतिक तैयारी, मेहनत, कर्मठता, ईमानदारी, कठोर निर्णय की क्षमता और संवेदनशीलता से देश की सबसे बड़ी जनसंख्‍या वाले राज्‍य को कोरोना के मझधार में फंसने से बचा लिया है। यूपी से कम जनसंख्‍या वाले राज्य महाराष्‍ट्र और गुजरात में मौत का आंकड़ा हजार की संख्‍या छूने को बेताब है तो यूपी में कोरोना से मौत आंकड़ा 100 भी पार नहीं कर पाया है तो केवल इसलिये कि योगी आदित्‍यनाथ ने उस ब्‍यूरोक्रेसी को इस काम में झोंक रखा है, जो पूर्व के नेतृत्‍व को काम से ज्‍यादा कमाई के सूत्र बताने में ऊर्जा खपाती थी। फीडबैक लेने के लिये एक टीम भी सक्रिय है। ऐसा भी नहीं है कि सब कुछ निष्‍कंटक हो गया है, मुश्किलें खत्‍म हो गई हैं और अधिकारी जी-जान से काम कर रहे हैं, लेकिन एक बीमारू राज्‍य कोरोना से लड़ने में महाराष्‍ट्र, गुजरात जैसे विकसित राज्‍यों से मीलों आगे है तो केवल इसलिये कि योगी ने अपनी दूरदर्शिता से इसे जनता और खुद के लिये अवसर बनाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लोकल तथा आत्‍मनिर्भर होने की जिस जरूरत पर बल दिया, उस आत्‍मनिर्भरता के लिये योगी आदित्‍यनाथ की सरकार पिछले तीन सालों से मेहनत कर रही है। प्रतिव्‍यक्ति राष्‍ट्रीय आय से आधा आय वाला यूपी अगर सीमित संसाधनों के बावजूद अपने पैरों पर खड़ा होने की तरफ की अग्रसर है तो यह योगी की अथक मेहनत और व्‍यवहारिक सोच का नतीजा है। इस सोच और रफ्तार से यूपी चलता रहा तो अगले एक दशक में राज्‍य की तस्‍वीर बदली नजर आयेगी। पूर्वांचल और बुंदेलखंड की तरक्‍की के लिये योगी सरकार लगातार सक्रिय है। इन दोनों क्षेत्र की ज्‍यादातर आबादी कृषि की छोटी-छोटी जोत पर निर्भर है। औद्योगिक इकाइयां कम हैं। यूपी की शहरी आबादी भी 22.3 फीसदी है, जो 30 फीसदी के राष्‍ट्रीय औसत से कम है और मुश्किल की सबब भी।

वीर बहादुर सिंह के बाद किसी भी मुख्‍यमंत्री ने पूर्वांचल में विकास और रोजगार को लेकर संजीदगी नहीं दिखाई, जो योगी आदित्‍यनाथ दिखा रहे हैं। बुंदेलखंड की आबादी घनत्‍व कम होने से इसकी मुश्किलें पूर्वांचल के मुकाबले थोड़ी कम है। पूर्वांचल में औद्योगीकरण की कमी और रोजगार का अभाव यहां के युवाओं को महाराष्‍ट्र, गुजरात एवं दक्षिण भारतीय राज्‍यों में पलायन को मजबूर करता है। कोरोना लॉकडाउन में इन प्रवासियों की राज्‍य में वापसी हो रही है। यूपी अपने राज्‍य के लोगों को वापसी कराने में दूसरे राज्‍यों के लिये रोल माडल बनकर उभरा है। दस लाख से ज्‍यादा मजदूरों को योगी सरकार वापस लाने में सफल रही है। सरकार वापस लौटे कुशल, अर्द्धकुशल तथा अकुशल श्रमिकों के लिये राज्‍य में मौका बनाने की तैयारी कर रही है। इस बड़ी आबादी की क्षमता के अनुसान नौकरी और रोजगार पैदा करना राज्‍य के लिये बड़ी चुनौती होगी।

योगी ने सत्‍ता संभालने के बाद पूर्वांचल के हालात को बदलने की शुरुआत बंद पड़ी पिपराइच एवं मुंडेरवा चीनी मिल को अरबों रुपये की लागत से जीवनदान दान देकर की। पूर्वी यूपी का एक बड़ा इलाका चीनी और गन्‍ने की मिठास से महकने लगा है। पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे का निर्माण पूरब को समृद्धि से जोड़ने की कवायद है। बुंदेलखंड में डिफेंस कारिडोर के जरिये औद्योगिक इकाइयों को आकर्षित करने की योजना बनाई जा चुकी है। ब्रेकिंग सेरेमनी और डिफेंस एक्‍सपो के जरिये यूपी को औद्योगिक हब बनाकर आत्‍मनिर्भर बनाने की कोशिश पीएम के संबोधन के पहले से जारी है। यह कदम राज्‍य में रोजगार और आमदनी बढ़ाने में मील का पत्‍थर साबित होगी।

उत्‍तर प्रदेश की 70 फीसदी आबादी कृषि एवं कृषि रोजगार पर निर्भर है। यह मुश्किल भी है और इस वक्‍त ताकत भी। यह राज्‍य की अर्थव्‍यस्‍था को डूबने से बचायेगा। जीएसडीपी में कृषि का हिस्‍सा 30 फीसदी भले ही हो, परंतु बड़ी आबादी की कार्यशीलता एवं आमदनी को बनाये रखेगा। राज्‍य में औद्योगीकरण अत्‍यंत सीमित इलाकों में है, और ज्‍यादातर उद्योग पश्चिमी जिलों में स्‍थापित है। यह विषमता राज्‍य के पूरब और पश्चिम को अलग-अलग लाइफ स्‍टैंडर्ड देता है। योगी आदित्‍यनाथ का फोकस पूर्वांचल और बुंदेलखंड में मानव सूचकांक को बेहतर बनाने पर है, जो पश्चिम एवं अवध क्षेत्र के मुकाबले अत्‍यंत कमतर है। ओडीओपी के जरिये जिले की स्‍थानीय उत्‍पादों को रोजगार का साधन बनाकर यूपी आत्‍मनिर्भर बनने की तरफ पहले से अग्रसर है। नानाजी देखमुख ने पिछड़े और गरीब चित्रकूट के पांच सौ गांवों को आत्‍मनिर्भर बनाकर जो मिसाल स्‍थापित की थी, योगी आदित्‍यनाथ की सरकार उसी तरह जिलों में रोजगार उपलब्‍ध कराकर जिलों को आत्‍मनिर्भर और मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है। कोरोना ने यूपी के सामने चुनौती और अवसर दोनों पैदा किया है।

आर्थिक दिक्‍कतों से जूझ रही योगी सरकार की पहली प्राथमिकता जनता की लिक्विडिटी को बनाये रखने की है। लाखों प्रवासी आबादी के वापस लौट आने से दूसरे राज्‍यों से आने वाली आमदनी के बड़े हिस्‍से से राज्‍य सरकार को वंचित होना पड़ेगा। योगी आदित्‍यनाथ कोरोना से निपटने के साथ पहले ही दिन से जनता की लिक्‍विडिटी को बनाये रखने की दिशा में सक्रिय हैं। मनरेगा के जरिये प्रतिदिन 23.6 लाख लोगों के लिये रोजगार सृजित किया जा रहा है। लॉकडाउन टू में एमएसएमई के जरिये 16.40 लाख लोगों को रोजगार दिया गया। लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों से कर्मचारियों को 1600 करोड़ रुपये का भुगतान कराया गया। 31.70 लाख श्रमिकों के खातों में सीधे 1000 रुपये डालने के साथ इनके लिये राशन की उपलब्‍धता सुनिश्‍चत कराई गई। 35,818 रोजगार सेवकों को 3630 रुपये के मानदेय में वृद्धि कर इसे 6000 किया गया तथा इस मद में 225.39 करोड़ रुपये इनके खातों में डाले गये। वास्‍तविक धरातल में इन आंकड़ों में कमी-बेसी से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इससे जनता के पास तरल धन मौजूद है और उसकी क्रय शक्ति को बनाये हुए है, जो उत्‍पादन और मांग पर सीधा असर डालेगी। लॉकडाउन के बावजूद प्रदेश की 119 चीनी मिल, 12000 से ज्‍यादा ईंट भट्ठे, 2500 कोल्‍ड स्‍टोरेज तथा फसलों की कटाई से रोजगार एवं आर्थिक गतिविधियों जारी रखी गईं।          

दिक्‍कतों से निपटने के लिये यूपी सरकार छोटी-छोटी कटौतियों से पैसे जुटा रही है। अगले डेढ़ साल तक कर्मचारियों एवं पेंशनरों के डीए और डीआर ना बढ़ाकर 15000 करोड़ रुपये जुटाया जायेगा। यह फैसला 16 लाख कर्मचारियों एवं 12 लाख पेंशनरों के लिये तकलीफदेय है, लेकिन राज्‍यहित में जरूरी है। सरकार छह अन्‍य तरीके के भत्‍तों को स्‍थगित कर 9000 करोड़ रुपये जुटायेगी। सरकार पिछले तीन वित्‍तीय वर्ष में अपने राजकोषीय घाटे को जीएसडीपी के तीन फीसदी तक रखने में सफलता पाई थी, लेकिन अब इसे पांच फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। यह कदम सरकार के लिये मुश्किल पैदा करने वाला है, परंतु इससे 30000 करोड़ रुपये की अतिरिक्‍त धनराशि उपलब्‍ध हो जायेगी, जिससे सरकार को आर्थिक संचालित करने की ताकत मिलेगी। जीएसडीपी के 30 फीसदी कर्ज में डूबी सरकार मंत्रियों-विधायकों के वेतन में एक साल तक 30 फीसदी कटौती और विधायक निधि निलंबित करके 1200 करोड़ रुपये बचायेगी। यह कदम उठाने इसलिये जरूरी हैं कि सेवा कर से मिलने वाला राजस्‍व जनजीवन सामान्‍य होने तक मिलना मुश्किल है। विनिर्माण क्षेत्र में प्राथमिकता तय करनी होगी। फिर भी, योगी सरकार के उठाये छोटे-छोटे कदमों से यूपी आत्‍मनिर्भर बनने की दिशा में तेज गति से आगे बढ़ रहा है। कृषि क्षेत्र यूपी की अर्थव्‍यवस्‍था को जरूरी ताकत देगी। यह इसलिये होगा कि यूपी की अर्थनीति कृषि एवं उपभोग आधारित है। यूपी का घरेलू बाजार इतना बड़ा है कि राज्‍य इस आर्थिक सुस्‍ती से बाहर निकल आयेगा, जो उसकी सेहत के लिये जरूरी है।

(लेखक अनिल सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और राजनीति की गहरी समझ रखते हैं)

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