बुंदेलखंड, एक ऐसा क्षेत्र जिसका तिलक क्रांतिकारियों के लहू से हुआ। 1857 की प्रथम क्रांति से 15 साल पहले जहां अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका गया। महारानी लक्ष्मीबाई की गौरवगाथा का साक्षात गवाह यह क्षेत्र आजादी की जंग में केंद्र बिंदु रहा लेकिन आजादी के बाद यह विकास की राह में वह रफ्तार नहीं पकड़ सका जिसका वह हकदार है। सरकारें आईं और गईं, इस क्षेत्र का विभाजन भी हुआ और यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बंटा भी, लेकिन विकास का इंतजार इस वीरभूमि को हमेशा रहा।
जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्से विकास की नई इबारत लिख रहे हैं, वहीं मैथिलीशरण गुप्त की यह धरती बुंदेलखंड खुद को उपेक्षित ही महसूस करती रही। 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अलग थलग पड़े बुंदेलखंड को विकास की मुख्यधारा में लाने की योजना तैयार की। सड़क से लेकर औद्योगिक विकास तक का पूरा खाका योगी आदित्यनाथ ने खींचा। प्रदेश सरकार की हर योजना में बुंदेलखंड को प्रमुखता से शामिल करने के निर्देश दिए।
बुंदेलखंड के विकास में एक बड़ी बाधा कनेक्टिविटी की थी। सड़क मार्ग से यह सीधे ना तो दिल्ली से सुगम था और ना ही लखनऊ से। ऐसे में सड़क मार्ग से बुंदेलखंड पहुंचने की दिशा में योगी आदित्यनाथ ने महत्वपूर्ण कदम उठाया और अप्रैल 2017 में बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे की घोषणा कर दी। 14,716 करोड़ की लागत से बनने वाले इस एक्सप्रेस वे पर तेजी से कार्य चल रहा है। चित्रकूट से शुरू होने वाला यह एक्सप्रेस बांदा, राठ, उरई, जालौन, औरैया होता हुआ इटावा पहुंचने पर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस से जुड़ेगा। 296 किलोमीटर की जिस दूरी को तय करने में अभी पांच से छह घंटे लगते हैं, वह इस एक्सप्रेस के निर्माण के बाद आधा रह जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे भविष्य में बुन्देलखण्ड के विकास की लाइफलाइन बनेगा।
इसके दोनों ओर औद्योगिक गलियारे के साथ-साथ 'डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर' का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर आगे बढ़ रहा है। 'औद्योगिक गलियारा' और 'डिफेंस कॉरिडोर' बनने से लाखों नौजवानों के लिए नौकरी के अवसर लाने के साथ-साथ देश की सुरक्षा में आत्मनिर्भरता का केंद्रबिंदु भी बुंदेलखंड बनेगा। इन गलियारों में खाद्य प्रसंस्करण, एमएसएमई इकाइयां, वेयरहाउस और लॉजिस्टिक पार्क बनाने की योजना पर काम हो रहा है। बेहतर कनेक्टिविटी से उद्योगों से सामान प्रदेश से एक्सपोर्ट हो सकेगा। निवेश को लेकर शुरू हुई प्रतिस्पर्धा में कनेक्टिविटी और सिक्योरिटी का अपना महत्व है। वहीं फार्मा उद्योग लगाने से लेकर अन्य योजनाओं में मुख्यमंत्री बुंदेलखंड पर विशेष ध्यान देने का जिक्र कर चुके हैं।
बुंदेलखंड में जल संकट की खबरें आए दिन पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ने को मिलती थीं। दूर दराज के इलाकों में रहने वाले यहां के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर थे। पानी से हुईं बीमारी के कारण ना जाने कितने ही लोगों की जानें भी गईं लेकिन सरकारों ने यहां स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के बारे में ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर घर, नल योजना का शुभारंभ किया। इस परियोजना पर कुल 10 हजार 131 करोड़ का बजट खर्च किया जा रहा है। पहले चरण में यूपी के बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के लिए 2185 करोड़ की परियोजना की शुरूआत हुई है इसके तहत महोबा, ललितपुर और झांसी की 14 लाख की आबादी तक नल का जल पहुंचेगा। सरकार की योजना है कि 2 साल के अंदर पहले बुंदेलखड और फिर विंध्यांचल के हर घर तक पानी को पहुंचाया जा सके।
झांसी में प्रस्तावित अल्ट्रामेगा सोलर पावर ग्रिड का रास्ता भी अब साफ हो गया। गरौठा के जलालपुर एवं जसवंतपुरा में करीब 3000 एकड़ जमीन इसके लिए चयनित की गई है। उप्र सरकार कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस प्रोजेक्ट पर कार्रवाई शुरू हो गई है। इसके लिए किसानों से लीज रेंट पर जमीन ली जाएगी। उनको 15-20 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से लीज रेंट दिया जाएगा। इस प्लांट को लगाने का काम टीएचडीसी को सौंपा गया है और करीब 1500 एकड़ जमीन को लेकर किसानों से सहमति बन गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चित्रकूट धाम मंडल के विकास कार्यों की जनपदवार समीक्षा की। इसी दौरान उन्होंने कहा कि हम बुंदेलखंड को जैविक खेती का हब बनाना चाहते हैं। इससे जहरीले रासायनिक खादों से मुक्ति तो मिलेगी ही, उत्पाद की कीमत अधिक मिलने से किसान भी खुशहाल होंगें। संबंधित विभाग के अधिकारी किसानों को जैविक और जीरो बजट कृषि के प्रति जागरूक करें।
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