'वे कहते हैं, हम कोरोना लेकर आए हैं...', मुंबई से 10 दिनों में पैदल ही गोंडा पहुंचे मजदूरों का छलका दर्द

देश
श्वेता कुमारी
Updated May 12, 2020 | 08:04 IST

Migrant labourers: मुंबई से पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर यूपी के अपने गांव पहुंचे प्रवासी मजदूरों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

'वे कहते हैं, हम कोरोना लेकर आए हैं...', मुंबई से 10 दिनों में पैदल ही गोंडा पहुंचे मजदूरों का छलका दर्द
'वे कहते हैं, हम कोरोना लेकर आए हैं...', मुंबई से 10 दिनों में पैदल ही गोंडा पहुंचे मजदूरों का छलका दर्द  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • देशभर में 25 मार्च से ही लागू लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्‍या में मजदूर प्रभावित हुए हैं
  • लॉकडाउन के कारण काम-धंधे बंद हो जाने से लाखों मजदूरों की आजीविका प्रभावित हुई है
  • विभिन्‍न हिस्‍सों में फंसे मजदूरों ने बड़ी संख्‍या में पैदल ही अपने गांव की ओर पलायन किया है

गोंडा : देशभर में 25 मार्च से ही लागू लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्‍या में मजदूर प्रभावित हुए हैं। लॉकडाउन के कारण जहां फैक्‍ट्र‍ियां, कारखाने बंद हो जाने से श्रमिकों का कामधंधा प्रभावित हुआ, वहीं बस, रेल सेवा बंद होने से देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में फंसे हजारों मजदूरों ने विगत डेढ़ महीनों से भी अधिक समय में पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा तय की है, ताकि वे अपने गांव-घर लौट सकें। हालांकि यहां भी उनके लिए मुश्किलें कम नहीं हैं, जहां गांव वाले उन्‍हें खुले मन से अपनाने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में सुविधाएं न होने की वजह से वे खुले आसमान के नीचे क्‍वारंटीन का वक्‍त बिताने के लिए मजबूर हैं।

'वे कहते हैं, हम कोरोना लेकर आए हैं'
वाकया यूपी के गोंडा जिले का है, जहां कई कामगार पिछले दिनों मुंबई से पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर इस उम्‍मीद में अपने गांव पहुंचे कि यहां अपने गांव और घर वालों के साथ सुरक्षित रहते हुए सुकूनभरा पल बिता सकेंगे। लेकिन ग्राीमणों ने उन्‍हें बाहर ही रोक दिया और अब वे खुले में क्‍वारंटीन का वक्‍त बिता रहे हैं। ऐसे ही लोगों में से एक राम तीर्थ यादव ने बताया, 'मुंबई से गोंडा आने में हमें 10 दिनों का वक्‍त लगा। कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन के बीच हम यहां अपने घरों में सुरक्षित रहने की उम्‍मीद लेकर आए थे। लेकिन यहां पहुंचने पर ग्रामीणों ने हमारे लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए। वे कहते हैं कि हम कोरोना वायरस लेकर आए हैं।'

एक मां का दर्द
वहीं, गांव में रह रही एक महिला ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया, 'मुंबई से गोंडा आने के दौरान मेरा बेटा हादसे का शिकार हो गया और उसके पैर में फ्रैक्‍चर हो गया। लेकिन मैं भी उसके पास नहीं जा पाती। और लोगों की तरह मैं भी रोजाना खाना लेकर वहां जाती हूं और दूर खड़ी रहती हूं, जब तक कोई आकर मुझसे भोजन नहीं ले जाता।'

प्रशासन से नाराजगी
मुंबई से लौटे हरीश यादव की नाराजगी प्रशासन से भी है, जो कहते हैं, 'मुंबई में लॉकडाउन के बाद से ही हमें खाने तक के लाले पड़ गए थे और अब जब हम यहां पहुंचे हैं, प्रशासन की ओर से हमें कोई मदद नहीं मिली। हमें शेल्‍टर्ड क्‍वारंटीन सेंटर तक नहीं मुहैया कराया गया।'

क्‍या कहता है जिला प्रशासन
वहीं, जिला प्रशासन का कहना है कि बहुत से लोग अब प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई विशेष ट्रेनों, राज्‍य सरकार की बसों, प्राइवेट बसों से पहुंच रहे हैं। हर किसी की कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जांच कराई जा रही है और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत कदम उठाए ज रहे हैं।

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