हाल ही में एक फिल्म आई है जिसका नाम है 'कागज'। इसमें सरकार कागजों में एक शख्स को मृतक घोषित कर दिया जाता है। पूरी फिल्म इसी पर है कि उसे खुद को कागजों में जिंदा साबित करने के लिए किस तरह जद्दोजहद करनी पड़ती है। ऐसा ही मामला अब उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से आया है। यहां के भोला पिछले 15 सालों से खुद को जिंदा साबित करने की जंग लड़ रहे हैं।
उनकी एक तस्वीर सामने आई है, इसमें वो तख्ती लेकर बैठे हैं, जिस पर लिखा है, 'साहब मैं जिंदा हूं, साहब मैं आदमी हूं, भूत नहीं।' दरअसल उनके भाई में लेखपाल के साथ मिलकर उनका नाम जमीन के कागजों से हटवा दिया और उन्हें मृत घोषित करा दिया।
अब वो 15 साल से ये ही जंग लड़ रहे हैं कि उन्हें सरकारी कागजों में जिंदा किया जाए। मिर्जापुर के एसडीएस सदर, गौरव श्रीवास्तव ने बताया, 'ये मामला सामने आया है, जांच चल रही है। पूरी जांच के बाद जो भी सामने आएगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।'
गोंडा के श्याम बिहारी भी मृत घोषित
ऐसा ही मामला गोंड़ा से भी सामने आया है। यहां भी एक बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिए विकास भवन के चक्कर काट रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकारियों ने वृद्ध श्याम बिहारी को मृत घोषित कर दिया है, जिसके कारण उसकी वृद्धा पेंशन रुक गई है। अब वह खुद को जिंदा साबित करने के लिए परेशान है। श्याम बिहारी ने बताया कि कागज में दिखा गया है कि श्याम बिहारी मर चुका है। सालभर हो गया पेंशन बंद हो गई है। हमने कई याचिकाएं लगाईं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 85-86 साल उम्र है, कुछ करने लायक नहीं हैं। हमको हर तीसरे महीने पर 1500 रुपए मिलते थे, लेकिन मृतक घोषित कर दिया तो अब नहीं मिल रहे हैं।
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