देहरादून: उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने के बाद आई आपदा के बाद बचाव और राहत का कार्य जारी है। अभी तक 10 से अधिक शव बरामद हो चुके हैं जबकि 150 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का काम जारी है और NDRF, SDRF और ITBP के जवान इस ऑपरेशन में लगे हुए हैं। इंडियन आर्मी के जवान भी बचाव अभियान में जुटे हुए हैं। आर्मी के जवानों ने टनल के अंदर रेस्क्यू का काम रात भर जारी रखा।
लोगों को रेस्क्यू करने के लिए जेसीबी मशीनों की मदद से दूसरी सुरंग को साफ किया जा रहा है। ऋषिगंगा परियोजना स्थल पर 32 लोगों के तथा तपोवन विष्णुगाड परियोजना स्थल पर 121 लोगों के लापता होने की सूचना मिली है।
दस शवों में से 7 तपोवन क्षेत्र में जबकि तीन अन्य व्यक्तियों के शव प्रवाह के साथ नीचे (डाउनस्ट्रीम) से मिले हैं। आर्मी मेडिकल टीम के मेजर इकजोत सिंह ने बताया, कल जो 12 लोग बाहर निकाले गए थे हमने उनको मेडिकल ऐड दी और उन लोगों की हालत अब स्थिर है
बचाव और राहत अभियान पुरजोर तरीके से जारी है जिसमें बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और खोजी कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि तपोवन क्षेत्र में स्थित बड़ी सुरंग में बचाव और राहत अभियान चलाने में मुश्किल आ रही है क्योंकि सुरंग सीधी न होकर घुमावदार है।
गंगा की सहायक नदियों--धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा में बाढ़ से उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में दहशत फैल गयी और बड़े पैमाने पर तबाही हुई। एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड पनबिजली परियोजना और ऋषिगंगा परियोजना पनबिजली परियोजना को बड़ा नुकसान हुआ तथा उनके कई श्रमिक सुरंग में फंस गये।
ITBP देहरादून, सेक्टर हेडक्वार्टर की महानिदेशक अपर्णा कुमार ने बताया, 'बड़ी टनल को 70-80 मीटर खोला गया है, जेसीबी से मलबा निकाल रहे हैं। यहां कल से 30-40 कर्मी फंसे हुए हैं। आईटीबीपी, उत्तराखंड पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना यहां संयुक्त ऑपरेशन कर रही है। क़रीब 153 लोग लापता हैं।'
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