विकास का 'जेवर' Vs 'जिन्ना पिक्चर': क्‍या 'गन्ना- जिन्ना- दंगा' पर होगी 2022 की लड़ाई? किसानों का दिल जीत पाएंगे CM योगी?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दल एक-दूसरे पर सख्त होते जा रहे हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने जहां अखिलेश यादव पर निशाना साधा, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जेवर के मंच से परिवारवाद का मुद्दा उठाकर समाजवादी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस को भी घेरा। तो क्‍या मोदी-योगी ने यूपी चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया?

विकास का 'जेवर' Vs 'जिन्ना पिक्चर': क्‍या 'गन्ना- जिन्ना- दंगा' पर होगी 2022 की लड़ाई? किसानों का दिल जीत पाएंगे CM योगी?
विकास का 'जेवर' Vs 'जिन्ना पिक्चर': क्‍या 'गन्ना- जिन्ना- दंगा' पर होगी 2022 की लड़ाई? किसानों का दिल जीत पाएंगे CM योगी? 

प्रधानमंत्री मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया। जेवर, दिल्ली से करीब 40 किलोमीटर दूर है। ऐसा बताया जा रहा है कि जब ये बनकर तैयार होगा तो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। आज इस एयरपोर्ट की नींव बहुत भव्य तरीके से रखी गई। प्रधानमंत्री मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी वहां मौजूद थे। आने वाले यूपी चुनाव से ठीक पहले इस शुरुआत को बीजेपी विकास का जेवर बता रही है और आज इसी मंच से योगी आदित्यनाथ और नरेंद्र मोदी ने यूपी चुनाव का एजेंडा भी सेट करने की कोशिश की। कैसे हुआ ये सब, इससे पहले जानिये जेवर एयरपोर्ट की खूबियां।

दिल्ली के पास गौतम बुद्ध नगर जिले का एक शहर है जेवर। इसी जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है। दावा है कि यहां से पहली फ्लाइट सितंबर 2024 में उड़ेगी। ये एयरपोर्ट चार फेज़ में बनेगा और 2050 तक पूरा हो जाएगा। जब ये पूरी तरह तैयार हो जाएगा तो यहां पांच रनवे और दो टर्मिनल होंगे। एक साथ 178 विमान खड़े हो सकेंगे। पहले साल इस एयरपोर्ट के जरिये 40 लाख यात्री आ-जा सकेंगे।

एयरपोर्ट जब पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा तो माना जा रहा है कि यहां से हर साल 9 करोड़ यात्री सफर कर सकेंगे। जेवर एयरपोर्ट, चार एक्सप्रेस-वे, मेट्रो, बुलेट ट्रेन और Pod Taxi से भी जुड़ेगा। बुलेट ट्रेन का एक स्टेशन एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग के अंदर बनेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि इस एयरपोर्ट से एक लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इसलिये बीजेपी इसे विकास का जेवर कह रही है और इसी विकास को मुद्दा बनाकर विपक्षी दलों पर निशाना साध रही है और जिन्ना तथा दंगा दोनों याद दिला रही है।

जेवर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को किसानों का गढ़ माना जाता है। राकेश टिकैत भी यहीं से आते हैं। किसान आंदोलन की आंच यहां भी रही है। पश्चिमी यूपी में विधानसभा की 110 सीटें हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस इलाके में 88 सीटें मिलीं थीं। गन्ना, इस इलाके की सबसे बड़ी उपज है। इसलिये योगी आदित्यनाथ ने आज यहां गन्ने का जिक्र करके किसानों को संदेश दिया। जिन्ना और दंगा का जिक्र करके बिना नाम लिए समाजवादी पार्टी पर हमला किया और कहा, 'आज ये देश के अंदर नया द्वंद बना है कि देश गन्ने की मिठास को नई उड़ान देगा या जिन्ना के अनुयायियों से फिर दंगा करवाने की शरारत करवाएगा? और यही सब तय करने के लिए आज आप सबका आह्वान करने के लिए मैं खुद आपके बीच आय़ा हूं।'

आज से करीब तीन महीने बाद उत्तर प्रदेश में चुनाव है और योगी का ये बयान इस चुनाव से बिल्कुल भी अलग नहीं है। इसे आप ऐसे समझिए कि योगी ने जेवर से उत्तर प्रदेश चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया है। आप समझिए कि गन्ना-जिन्ना और दंगा के जरिये किस तरह पश्चिमी यूपी की 110 सीटों पर जीत वाला दांव चला गया। गन्ने की मिठास का जिक्र करके योगी ने नाराज किसानों को खुश करने की कोशिश की और गन्ने की मिठास को विकास और बीजेपी से जोड़ा। जिन्ना शब्द का जिक्र करके योगी ने सीधे अखिलेश यादव को निशाने पर लिया, क्योंकि अखिलेश ने कुछ समय पहले जिन्ना का नाम गांधी, पटेल और नेहरू के साथ लिया और आजादी दिलाने में उनकी एक समान भूमिका का जिक्र किया था।

योगी ने दंगे का भी जिक्र किया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाके में दंगे का जिक्र करने का मतलब मुजफ्फरनगर दंगा ही माना जाएगा, जो साल 2013 में अखिलेश सरकार के दौरान हुआ था और इस शब्द के जरिये योगी ने विकास बनाम सांप्रदायिकता की सियासी लकीर खींचने की कोशिश की।

योगी के निशाने पर जहां अखिलेश यादव थे, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जेवर के मंच से परिवारवाद का मुद्दा उठाकर समाजवादी पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस को भी घेरा। मोदी ने कहा कि पहले की सरकारें सिर्फ घोषणाएं करती थीं और विकास अपने परिवार का करती थीं। उन्‍होंने कहा, 'हमारे देश में कुछ राजनीतिक दलों ने हमेशा अपने स्वार्थ को सर्वोपरि रखा है। इन लोगों की सोच रही है, अपना स्वार्थ। सिर्फ अपना खुद का, परिवार का या जहां वो रहते हैं उस इलाके का। उसी को वो विकास मानते थे। जबकि हम राष्ट्र प्रथम, नेशन फर्स्ट की भावना पर चलते हैं। सबका साथ, सबका विकास सबका विश्वास, सबका प्रयास। यही हमारा मंत्र है।'

आखिर प्रधानमंत्री मोदी ने परिवार का भ्रष्टाचार और योगी ने जिन्ना और गन्ना का मुद्दा क्यों उठाया? क्योंकि मोदी और योगी के जेवर पहुंचते ही अखिलेश यादव ने बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ दिन बाद जेवर एयरपोर्ट भी निजी हाथों में चला जाएगा। दूसरी ओर कांग्रेस के अजीज कुरैशी ने जिन्ना को देशभक्त और गांधी जी के बाद दूसरा प्रमुख नेता बता दिया और इसी के बाद मोदी और योगी को पलटवार का मौका मिल गया। तो पब्लिक आज सवाल पूछ रही है:

क्या यूपी में विपक्ष को जिन्ना प्रेम महंगा पड़ेगा?
क्या गन्ना-जिन्ना और दंगे पर होगा यूपी चुनाव?
मोदी-योगी ने यूपी चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया?
क्या किसानों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगे योगी?
क्या अखिलेश के आरोपों को जनता सही मानेगी?


 

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