नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 27 दिनों से डटे किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा बरगलाया जा रहा है और किसान संगठनों पर चक्रव्यूह रचने का प्रयास किया जा रहा है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के श्रवण सिंह पंढेर ने कहा कि सरकार की तरफ से एक खत आया कि अगर आप कृषि कानून वापस लेने वाली बात से पीछे हटकर संशोधन करने के लिए बात करना चाहते हैं तो समय और तारीख दो। किसान संगठनों पर चक्रव्यूह रचने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, 'सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर अपनी स्थिति तय की है कि उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने एक पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया कि यदि किसान इन कानूनों में संशोधन चाहते हैं, तो उन्हें चर्चा के लिए तारीख और समय बताना होगा। यह सरकार द्वारा आगे बढ़ाया गया एक कदम नहीं है, बल्कि किसानों को बरगलाए जाने का एक तरीका है। एक सामान्य व्यक्ति यह सोचेगा कि किसान जिद्दी हैं लेकिन तथ्य यह है कि हम कृषि कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं, हम चाहते हैं कि उन्हें पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए।'
अभी तक 5 दौर की बातचीत हो चुकी है
केंद्र सरकार ने रविवार को प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया और कहा कि वे इसकी तिथि तय करें। सरकार ने कहा है कि कृषि कानूनों में पहले जिन संशोधनों का प्रस्ताव दिया गया था, उन्हें लेकर जो चिंताएं हैं, संगठन वे भी बताएं। उल्लेखनीय है कि किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंत्रिस्तरीय एक समिति गठित की थी। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं। सरकार से किसानों की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है। किसानों के संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है।
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