नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने रविवार को लॉकडाउन 4.0 के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं जो 31 मई तक लागू रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन पहली बार 25 मार्च को लागू किया गया था। अब लॉकडाउन 4 में सरकार की ओर से गाइडलाइन के साथ कई रियायतें दी गई हैं और साथ ही परिस्थिति के अनुसार राज्यों को नियंत्रण के लिए नियम बनाने और कदम उठाने के अधिकार दिए गए हैं।
एमएचए के नवीनतम आदेश के अनुसार, राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को अब रेड, ग्रीन और ऑरेन्ज क्षेत्रों के परिसीमन पर निर्णय लेने की शक्ति दी गई है। साथ ही इससे कंटेनमेंट और बफर जोन भी लिस्ट किए जा सकेंगे। हालांकि, राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) और भारत सरकार (GOI) द्वारा सूचीबद्ध मापदंडों का पालन करते हुए ये निर्णय लेने होंगे।
बफर, कंटेनमेंट ज़ोन क्या हैं?
11 मार्च को जारी किए गए MoHFW के 'कन्टेनमेंट प्लान फॉर लार्ज आउटब्रेक्स' में, प्राधिकरण ने रोकथाम और बफर जोन के लिए दिशानिर्देशों के अनुसार कहा है कि भौगोलिक क्वारंटाइन के लिए सीमा को इस आधार पर परिभाषित किया जाएगा।
1. हर क्लस्टर के अंदर भू-स्थानिक वितरण,
2. राज्य के भीतर होने वाले ग्रुप में सबसे बड़ी प्रशासनिक इकाई (कम से कम 1 जिला)
3. लोगों की गतिविधियों में सख्त रुकावट की जरूरत
4. राज्य और केंद्रीय आरआरटी की ओर से किया गया संयुक्त मूल्यांकन। प्रभावित शहर के करीबी ब्लॉक, जिले या ग्रामीण जिले।
इन चार के आधार पर बफर, कंटनमेंट जोन तय किए जाएंगे।
ग्रीन, रेड, ऑरेन्ज क्षेत्र कैसे परिभाषित किए जाते हैं?
एमएचए के नवीनतम आदेश के अनुसार, जब राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के पास अब रेड, ऑरेन्ज और ग्रीन जोन के क्षेत्रों को तय करने की शक्ति होगी, तो नियंत्रण क्षेत्र और बफर जोन का सीमांकन करने का अधिकार जिला अधिकारियों के पास होगा।
इसके अलावा, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी विभिन्न क्षेत्रों में कुछ गतिविधियों को प्रतिबंधित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य के हित में आवश्यक समझा जाने वाले ऐसे प्रतिबंध लगाने का अधिकार दिया गया है।
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