नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण दुनियाभर में एक बड़ी चिंता का कारण बना हुआ है। भारत में विशेषज्ञ लगातार इसकी तीसरी लहर की आशंकाओं को लेकर आगाह कर रहे हैं तो चर्चा कोरोना वायरस के ब्रेकथ्रू इंफेक्शन (Breakthrough Infection) की भी हो रही है। यह किसी भी बीमारी में संक्रमण की वह स्थिति होती है, जब लोग उससे बचाव के लिए वैक्सीन लगवाने के बाद भी उसकी चपेट में आने से बच नहीं पाते।
कोरोना वायरस के म्यूटेशन का अध्ययन करने वाले समूह INSACOG की एक रिपोर्ट में ऐसे ब्रेकथ्रू संक्रमण के लिए कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट (Delta variant) को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट भारत में अब भी चिंता का बड़ा कारण बना हुआ है।
देशभर में अब तक 2.6 लाख से अधिक लोगों में कोरोना वायरस के ब्रेकथ्रू इंफेक्शन की जानकारी सामने आई है। ये वे लोग हैं, जो कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को लेकर वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज लगवाने के बाद भी इसकी चपेट में आए हैं। ऐसे में वैक्सीन को लेकर भी लोगों के मन में तमाम सवाल उठ रहे हैं। हालांकि शोधों में अब भी इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि वैक्सीन बीमारी से मौतों के जोखिम को कम करता है।
इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसमें कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट को लेकर कहा गया है कि यह वैक्सीन नहीं लगवाने वाले लोगों के साथ-साथ उन लोगों को भी संक्रमित कर रहा है, जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज ली है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'B.1.617.2 में वैक्सीन लगवा चुके और नहीं लगवाने वाले दोनों लोगों को संक्रमित करने की क्षमता है।'
ICMR का यह अध्ययन चेन्नई में कोरोना वायरस से मामलों पर आधारित है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि वैक्सीन लगवाने के बाद अगर कोई कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आता है तो उसमें बीमारी के गंभीर होने तथा इसकी वजह से मौत का जोखिम काफी कम होता है। इसलिए टीकाकरण को जारी रखने की जरूरत है। संक्रमण को फैलने से रोकने में इसकी भूमिका अहम बताई गई है।
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