क्या है नागरिकता संशोधन बिल 2019?

देश
Updated Dec 11, 2019 | 13:12 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

What is Citizenship (Amendment) Bill : केंद्र सरकार नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करने जा रही है। लेकिन विपक्ष का मानना है कि केंद्र की नीयत इस विषय पर साफ नहीं है। जानिए क्या है नागरिकता बिल 2019?

What is Citizenship Amendment Bill in India? - Citizenship Amendment Bill (CAB) in Hindi: क्या है नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता संशोधन बिल 2019 
मुख्य बातें
  • नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा में पारित
  • विपक्ष को कई प्रावधानों पर ऐतराज, केंद्र सरकार पर वोट बैंक की राजनीति का आरोप
  • लोकसभा में बीजेपी सांसदों को मौजूद रहने के लिए ह्विप जारी

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को पारित कराने की कवायद में सरकार जुट गई है। लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया जिसे सदन ने भारी बहुमत के साथ पारित कर दिया। संसद के निचले हाउस में पर्याप्त संख्या बल की वजह से बीजेपी को किसी खास दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा, हालांकि राज्यसभा में मुश्किल आ सकती है क्योंकि सरकार के सहयोगी दलों में से जेडीयू को आपत्ति है। विपक्ष पहले से ही कह रहा है कि मौजूदा बिल संविधान की भावना के खिलाफ है। अब ये समझने की जरूरत है कि नागरिकता संशोधन बिल क्या है।

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019
दरअसल सरकार ने साफ किया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में वो अल्पसंख्यक वर्ग जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत में शरणार्थी बन कर रह रहे हैं उन्हें नागरिकता प्रदान की जाएगी। इसमें हिंदू, सिख बौद्ध, पारसी जैन और ईसाई समाज के लोगों को शामिल किया गया है। लेकिन विपक्ष का कहना है कि मुसलमानों को छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही विपक्ष का कहना है कि यह व्यवस्था उन लोगों के लिए की जा रही है जिनका नाम एनआरसी में छूट गया है। 

पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है। ज्यादातर राजनीतिक दलों को ऐतराज  है कि बीजेपी वोटबैंक की राजनीति कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।

बताया जा रहा है कि संशोधित बिल में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर के उन इलाकों में रहने वालों को छूट मिलेगी जो इनर परमिट लाइन के दायरे में आते हैं। लेकिन मुसलमानों की नागरिकता को लेकर असम में ज्यादा बवाल है। 

विपक्ष का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक में धार्मिक उत्पीड़न और पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान का ही जिक्र करना राजनीति से प्रेरित है। 

विपक्ष का ये भी कहना है कि पैन इंडिया में जब एनआरसी पर काम किया जाएगा उस वक्त अगर गैर मुस्लिमों का नाम उस लिस्ट में नहीं आता है तो नागरिकता संशोधन बिल के जरिए उन नामों को शामिल कर लिया जाएगा। 

नागरिकता अधिनियम 1955
नागरिकता अधिनियम 1955 के मुताबिक कोई भी विदेशी नागरिक अगर भारत में 11 साल तक प्रवास कर चुका है तो उसे भारतीय नागरिकता हासिल हो जाती है। लेकिन संशोधित बिल में 11 साल की जगह भारत में प्रवास करने की अवधि घटा कर 6 साल की गई है। 

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर