Karnataka hijab controversy: कर्नाटक में हिजाब को लेकर छिड़ा विवाद अब देशव्यापी हो चुका है। देश के हर हिस्से में यह लोगों की चर्चाओं में शामिल है तो कोर्ट में भी इस पर सुनवाई हो रही है। कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर गुरुवार को सुनवाई हुई और इसे सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। वहीं विवाद की गूंज मद्रास हाई कोर्ट तक भी पहुंची है, जहां अदालत ने पूरे मामले में छिड़े बवाल के बीच बड़ा सवाल किया है कि आखिर राष्ट्र सर्वोपरि है या धर्म?
मद्रास हाई कोर्ट ने देश में कुछ ताकतों द्वारा धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की बढ़ती सोच को लेकर चिंता जताई और कहा कि यह वास्तव में हैरान करने वाला है कि इस देश में हिजाब, टोपी या अन्य ऐसी चीजों को लेकर बहस छिड़ गई है और इन्हें लेकर लोग आपस में इस तरह उलझ गए हैं कि हालात तनावपूर्ण हो गए हैं।
'देश में अरबीकरण बढ़ा, लेकिन संवैधानिक अधिकारों का पालन जरूरी'
हाई कोर्ट की यह टिप्पणी कुछ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आई। कर्नाटक में हिजाब को लेकर छिड़े विवाद पर जारी देशव्यापी बहस के बीच मद्रास हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने कहा, 'कुछ ताकतों ने उच्च शिक्षण संस्थानों में 'ड्रेस कोड' को लेकर विवाद उत्पन्न किया है और यह पूरे भारत में फैल रहा है। यह वास्तव में हैरान करने वाला है कि कोई व्यक्ति हिजाब के पक्ष में है तो कुछ अन्य टोपी के पक्ष में हैं और कुछ अन्य दूसरी चीजों के पक्ष में हैं। यह एक देश है या धर्म या फिर यह इस तरह की कुछ चीज के आधार पर बंटा हुआ है? यह आश्चर्य की बात है।'
हाई कोर्ट ने कहा- स्कूल-कॉलेज खुले, पर धार्मिक चीजों का दबाव न डालें, 14 फरवरी को अगली सुनवाई
जस्टिस भंडारी ने इस दौरान भारत की धर्मनिरपेक्षता का हवाला दिया और कहा, 'मौजूदा विवाद से कुछ नहीं मिलने जा रहा, लेकिन धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश की जा रही है।'
मद्रास हाई कोर्ट की यह टिप्पणी कर्नाटक के कुछ कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने के कारण कक्षा में प्रवेश करने से रोकने को लेकर पैदा हुए विवाद के बीच आई है। बढ़ते बवाल को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने राज्य में स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया था, जिसे जल्द से जल्द खोलने के निर्देश कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से सरकार को दिए गए हैं। साथ ही इसमें छात्र-छात्राओं से भी कहा गया है कि जब तक इस मामले में अंतिम फैसला नहीं आ जाता, वे शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब या धार्मिक पहचान वाले अन्य परिधानों को पहनने पर दबाव न बनाएं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी (सोमवार) की तारीख तय की है।
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