Super Cyclone Amphan: कोरोना वायरस की मार से देश पहले से ही जूझ रहा है। इसी के बीच एक और प्राकृतिक आपदा ने मानव जीवन के लिए परेशानियां बढ़ा दी हैं। चक्रवाती तूफान अम्फान पश्चिम बंगाल और उड़ीसा की तरफ प्रचंड वेग के साथ बढ़ रहा है। इस तूफान से भीषण तबाही की आशंका जताई गई है। चक्रवाती तूफान के खतरों को देखते हुए एनडीआरएफ सहित सेना, वायु सेना और तटरक्षक बल अलर्ट हैं। पश्चिम बंगाल और ओड़िशा के तटीय इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
अम्फान के सुपर साइक्लोन में तब्दील होने की आशंका जताई गई है। इस हिसाब से देखा जाए तो करीब 20 सालों के बाद भारत पर किसी सुपर साइक्लोन का खतरा मंडरा रहा है। मौसम विभाग (IMD) के डायरेक्टर मृत्युंजय महापात्रा ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि चक्रवात अम्फान का रास्ता 2019 में आए 'बुलबुल' की तरह है। हालांकि उन्होंने ये भी आश्वस्त किया कि यह जमीन से टकराएगा तो 1999 के सुपर साइक्लोन जैसा प्रचंड नही रहेगा।
उन्होंने ये भी कहा कि चक्रवात 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है और बुधवार 2 बजे दोपहर तक ये भयानक रूप धारण कर सकता है। पश्चिम बंगाल के नॉर्थ और साउथ 24 परगना के अलावा मिदनापुर, कोलकाता, हुगली, हावड़ा जिलों में 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की आशंका है। हालांकि समय रहते एहतियात बरतते हुए भारत सरकार ने प्रभावित इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया है।
जब 200 से 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलती हैं तो उसे सुपर साइक्लोन कहा जाता है। इस तूफान में गांव के गांव मिनटों में तबाह हो जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि समुद्र के पानी का तापमान जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने के कारण वहां से तेज रफ्तार में समुद्री लहरें उठती हैं जो आगे चलकर चक्रवात का रूप ले लेती हैं। भूमध्य रेखा से ऊपर बनने वाले चक्रवात विपरित दिशा (एंटी क्लॉक) में घूमते हैं जबकि भूमध्य रेखा से नीचे बनने वाले चक्रवात घड़ी (क्लॉक) की दिशा में घूमते हैं।
तापमान बढ़ने से जब समुद्र का पानी गर्म होने लगता है तब यह भाप बनकर एक बवंडर की तरह बनने लगता है और तेजी से गोलाकार होकर ऊपर की तरफ उठने लगता है। इस बवंडर से समुद्र की सतह पर कम दबाव का क्षेत्र बनता है जिससे वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इससे गर्म हवा उपर की ओर उठने लगती है फिर खाली हुई जगहों को आस-पास की ठंडी हवा भर देती है। जब ये हवा भी गर्म हो जाती है ये सभी एक साथ मिलकर अपने साथ पानी लेकर उपर उठने लगती है जो कुंडली की तरह चक्र बना लेती है।
29 अक्टूबर 1999 को ओड़िशा में सुपर साइक्लोन ने भारी तबाही मचाई थी। इसका कहर कुछ ऐसा था कि करीब 10,000 लोगों की जानें चली गई थी जबकि करीब डेढ़ मिलियन लोग बेघर हो गए थे। अनाधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ये भी जानकारी सामने आई थी कि मौतों का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा था। बंगाल की खाड़ी से उठा ये तूफान ओड़िशा आते-आते सुपर साइक्लोन का रूप ले लिया। इसमें हवा की रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति की रफ्तार थी।
करीब 8 घंटों तक इस साइक्लोन ने भारी तबाही मचाई थी। राज्य में इस कदर तबाही मची थी कि तत्कालीन राज्य सरकार इससे होने वाले नुकसान से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम नहीं थी ऐसे में आर्मी और एयर फोर्स को रेस्क्यू अभियान के लिए तैनात करना पड़ा था। सड़क, रेलवे, ब्रिज, संचार के साधन, टावर सभी तबाह हो गए थे। हेलीकॉप्टर की मदद से लोगों के बीच फूड पैकेट बांटे गए थे।
इधर पश्चिम बंगाल में सुपर साइक्लोन का असर दिखना शुरू हो गया है। तेज हवाओं के साथ लगातार बारिश हो रही है। कहा जा रहा है कि आज शाम तक हवा की रफ्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है। ये तूफान दक्षिणी बंगाल की खाड़ी से उठा है। पश्चिम बंगाल के अलावा ओड़िशा के कई जिलों में भी इसका खौफ दिख रहा है। ओड़िशा के करीब 12 जलों में तूफान को लेकर अलर्ट जारी किया गया है।
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