लॉकडाउन में रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन के क्या हैं मायने, किस आधार पर बदलेगी ये कैटेगरी, जानें ये सब कुछ

देश
रवि वैश्य
Updated Apr 18, 2020 | 10:18 IST

What is Red,Orange Zone: कोरोना के खतरे को देखते हुए देश में लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है इसी के साथ जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा गया है, उसी के अनुसार वहां पाबंदियां और छूट आदि दी जा रही।

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जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा गया है 

नई दिल्ली: देश-दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी की मार से जूझ रहा है और इसके लड़ने की कवायद युद्धस्तर पर जरी है, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रही हैं। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के साथ ही देश में जिलों को कोरोना संक्रमण होने और उसकी संभावनाओं के आधार पर तीन जोन में बांटा गया है ये हैं रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन।

भारत में लॉकडाउन को इन्हीं तीन जोन के हिसाब से लागू किया गया है, ये जोन कैसे बनाए गए हैं और किस तरीके की पाबंदिया हैं और किस जोन के लोगों को क्‍या करने की छूट होगी, ये जानने की जिज्ञासा हर किसी के मन में होगी, तो इसे समझने की कोशिश करते हैं।

Red Zone​: जैसा कि नाम से ही साफ है कि यहां पर संक्रमण की चपेट में कई लोग आ चुके हैं और इसके बढ़ने या यहां की वजह से कहीं दूसरी जगह संक्रमण के बढ़ने की आशंका काफी अधिक मात्रा में है।

इसलिए रेड जोन में पूरी तरह लॉकडाउन रहेगा। जिन जिलों में सबसे ज्यादा केस व हॉटस्पॉट होंगे वहां कोई गतिविधि नहीं होगी।

रेड जोन में वो जिले शामिल हैं जहां कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस बहुत ज्‍यादा समाने आए हैं, ऐसे इलाकों में लोगों को लॉकडाउन का सख्‍ती से पालन करना होगा।

Orange Zone​:ऑरेंज जोन में उन जगहों को रखा गया है, जहां पॉजिटिव केस आए थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों में कोई नया मामला सामने नहीं आया है यानि जहां नए मामले सामने आने बंद हो गए हैं, उन्‍हें ऑरेंज जोन में रखा गया है।

इन क्षेत्रों में फसल कटाई जैसी सीमित गतिविधियों की अनुमति है, हालांकि, मजदूर उसी इलाके के ही काम पर लगाए जा सकेंगे बाहर के इलाकों से मजदूरों के आने पर पाबंदी बनी रहेगी।

Green Zone: इस जोन का अर्थ संक्रमण मुक्‍त है,ग्रीन जोन में ऐसे जिले शामिल हैं, जिनमें अब तक कोई पॉजिटिव केस नहीं आया है, ऐसे इलाके में लोगों को बाकी दोनों के मुकाबले ज्‍यादा छूट है, ग्रीन जोन में खेती, मजदूरी, लघु व सूक्ष्म उद्योग खोले जा सकते हैं।

ग्रीन जोन इलाकों में छोटे और मझोले उद्योग धंधे अपना काम शुरू कर पाएंगे, हालांकि, काम शुरू करने वाले उद्योगों को कर्मचारियों की रहने की व्यवस्था परिसर में ही करनी होगी, वहीं, लोग अपने जरूरी कामों के लिए बाहर निकल सकेंगे। लोगों को सामाजिक दूरी बनाते हुए ही बाहर निकलने की इजाजत है।

वहीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की अध्यक्षता में हुई मंत्रियों के समूह की बैठक में तय किया गया कि यदि रेड जोन वाले जिलों में यदि 14 दिन के भीतर संक्रमण का नया मामला नहीं आता है तो उसे आरेंज जोन में रख दिया जाएगा। साथ ही अगले 14 दिनों के भीतर भी कोई मामला नहीं आता है तो उसे ग्रीन जोन जिलों में रखा जाएगा। 

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