हफ्ते में चार दिनों के कामकाज पर क्या सोचती है दुनिया, एक नजर

दुनिया के अलग अलग हिस्सों में वर्किंग डे और काम के घंटों में तब्दीली की गई है। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र ब्रिटेन ने हफ्ते में चार दिन कामकाज को अमल में ला चुका है। अगर बात भारत की करें तो श्रम सुधारों में काम के दिनों और घंटों में बदलाव का प्रस्ताव है।

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हफ्ते में चार दिन कामकाज, आराम या बोझ 

दुनिया के कई देशों में Working Pattern बदल रहा है। लोग हफ्ते में 6 दिन काम करते हैं। कहीं कहीं 5 दिन काम होता है। लेकिन कई देश अब हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम करने की पॉलिसी ला रहे हैं। यानी सैलरी वही, लेकिन काम के घंटे कम। लेकिन ऐसा क्यों किया जा रहा है। 4 Day Working से काम पर असर कैसे नहीं पड़ेगा। इससे Work Quality बेहतर होने की थ्योरी कितनी सही या गलत है। और क्या इस पॉलिसी को भारत जैसे देश में भी लागू करना संभव है या नहीं। 

ब्रिटेन में हफ्ते में चार दिन कामकाज
हफ्ते में चार दिन कामकाज की तरफ कदम बढ़ाने वाले देशों की लिस्ट में नया नाम ब्रिटेन का जुड़ गया है। ब्रिटेन में अभी हफ्ते में 5 दिन काम होता है। लेकिन अब वहां 4 Day Week का ट्रायल किया जा रहा है। ब्रिटेन की 60 कंपनियों में 4 Day Week का ट्रायल किया जा रहा है। इस ट्रायल में 3000 से ज्यादा कर्मचारी शामिल हैं।ट्रायल में टेक्नॉलॉजी, मेडिकल और एजुकेशनल कंपनियां शामिल हैं। ये ट्रायल 1 जून 2022 से दिसंबर 2022 तक चलेगा। इस दौरान कर्मचारी हफ्ते में 4 दिन या अधिकतम 32 घंटे काम करेंगे। ट्रायल के दौरान कर्मचारियों की सैलरी नहीं काटी जाएगी। ट्रायल के दौरान कर्मचारियों के व्यवहार और प्रोडक्टिविटी को नोट किया जाएगा

ब्रिटेन के इस ट्रायल से पहले दुनिया के कुछ देश पहले से ही हफ्ते में 4 दिन की पॉलिसी ला चुके हैं। 

  1. जापान में जून 2021 से 4 Day Week लागू किया था
  2. न्यूजीलैंड ने दिसंबर 2020 को 4 Day Week पॉलिसी लागू की थी 
  3. बेल्जियम में 2022 से 4 Day Week नीति लागू की गई
  4. स्पेन में 2021 से हफ्ते में 4 दिन काम हो रहा है 
  5. स्कॉटलैंड में 2022 से हफ्ते में 4 दिन काम की नीति लागू की गई
  6. आयरलैंड में जनवरी 2022 से 4 Day Week नीति लागू है 
  7. आइसलैंड में 4 साल के ट्रायल के बाद इस साल 4 Day Week लागू किया गया
  8. UAE में जनवरी 2022 से Four and Half Day काम की नीति लागू की गई

कहा जाता है कि काम के घंटे कम होने से काम भी कम होगा, क्या वाकई ऐसा है, आपको जापान में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के उदाहरण से समझाते हैं जहां हफ्ते में 4 दिन काम की नीति लागू है 

  1. 4 Day Week से कंपनी का बिजली खर्च 23% कम हो गया 
  2. पेपर प्रिंट करने में 60% तक की कमी आई
  3. कंपनी की मीटिंग्स का समय 60 मिनट से 30 मिनट हो गया 
  4. कंपनी के कर्मचारी बिना तनाव अच्छे माहौल में काम करने लगे 
  5. इन सबसे कंपनी की प्रोडक्टिविटी 40% तक बढ़ गई। 

यानी काम के घंटे कम करने का प्रोडक्टिविटी से कोई मतलब नहीं है। प्रोडक्टिविटी बढ़ती है बेहतर माहौल से, जैसे जापान में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की कॉस्ट कम हुई और कर्मचारी तनावमुक्त हुए, इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि काम के घंटे कम होने से कर्मचारियों पर बेवजह प्रेशर बढ़ेगा और वो दूसरी नौकरी की तलाश करने लगेंगे, इस पर एक सर्वे के मुताबिक 63% लोगों का कहना है कि 4 Day Week से कर्मचारियों का पलायन रुकेगा।यानी कंपनी से ब्रेन Drain रुक जाएगा, टैलेंटेड लोग कंपनी के साथ बने रहेंगे।अगर कर्मचारी बिना तनाव और खुश होकर काम करेंगे तो उसका असर कंपनी पर भी पड़ेगा और ओवरऑल परफॉर्मेंस में सुधार होगा। 


4 Day Week लागू करने वाले देशों को इसका फायदा कैसे हुआ ये बताते हैं। 
  1. स्कॉटलैंड में 4 Day Week के बाद काम से गैरहाजिर होना कम हुआ
  2. इस से कंपनियों की प्रोडक्टिविटी और प्रोडक्ट क्वालिटी सुधरी
  3. एक कंपनी छोड़ दूसरी में जाने की दर में 30% की कमी आई
  4. न्यूजीलैंड में 4 Day Week से कर्मचारियों का Stress लेवल 7% कम हुआ
  5. कर्मचारियों में लीडरशिप क्वालिटी बेहतर हुई, काम के लिए प्रतिबद्धता भी बढ़ी
  6. काम और निजी जीवन में बेहतर तालमाल बिठाने वाले कर्मचारियों की संख्या बढ़ी
  7. स्पेन में 4 Day Week से कर्मचारियों का एब्सेंट होना 28% कम हुआ
  8. कंपनियों के रेवेन्यू में इजाफा देखने को मिला 
  9. कर्मचारियों के नौकरी छोड़कर जाने की दर में भी गिरावट आई

4 Day Week के ट्रायल के दौरान अमेरिका में हुए एक सर्वे के मुताबिक 

  1. 10 में से 9 लोग 4 Day Week के पक्ष में हैं
  2. 80% लोगों ने कहा कि कोविड के कारण वो 4 Day Week चाहते हैं
  3. 98% लोगों ने कहा कि 4 Day Week से उनकी मानसिक स्थिति सुधरी है 
  4. ऑफिस में कम रहने से कर्मचारियों के रोजाना खर्चे में कमी आई

अमेरिका में  94% लोग काम के कारण तनाव का सामना करते हैं। ऐसे हालात में 4 Day Week नीति के कारण कर्मचारियों की मानसिक हालत में सुधार होने से उसका असर कंपनी की परफॉर्मेंस पर दिखेगा। 4  Day Week पॉलिसी लागू करने पर कर्मचारियों को 3 दिन छुट्टी तो मिलेगी, लेकिन इस से कंपनियों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । शुक्रवार को छुट्टी से ग्राहकों/आम लोगों को दिक्कत हो सकती है ।3 दिन की छुट्टी के बाद सोमवार को वर्क लोड ज्यादा हो सकता है।लंबे समय तक प्रोडक्टिविटी को मेंटेन रखना भी एक चुनौती होगी।छुट्टी के 3 दिन में कंपनी Run करने के लिए ज्यादा लोग चाहिए।4 Day Week में काम के घंटे बढ़ने से Stress बढ़ सकता है।

हफ्ते में 2  दिन या 3 दिन छुट्टी की बात कर रहे हैं तो ये जानना भी जरूरी है कि दुनिया में साप्ताहिक अवकाश यानी Weekly Off कब से शुरू हुए। 

साप्ताहिक अवकाश का प्रचलन सबसे पहले रोम में हुआ था।रोमन सम्राट कॉन्स्टेंटाइन रोम के पहले क्रिश्चियन सम्राट थे। वो चाहते थे कि हफ्ते में 1 दिन लोग चर्च में प्रार्थना कर सकें। इसके लिए 7 मार्च 321 को पहली बार रविवार को छुट्टी घोषित हुई। इसी के बाद से दुनिया भर में रविवार को छुट्टी का चलन शुरू हुआ था, लेकिन भारत में Weekly Off के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। भारत में कुछ कंपनियों को छोड़कर हर जगह हफ्ते में एक ही छुट्टी मिलती है जबकि दुनिया के कई देशों में 5 दिन काम और 2 दिन छुट्टी का कॉन्सेप्ट है।

क्या आप जानते हैं कि हफ्ते में 5 दिन काम और दो दिन छुट्टी की नीति सबसे पहले कहां और किसने लागू की थी। -फोर्ड मोटर्स के संस्थापक हेनरी फोर्ड 5 Day Work Week का कॉन्सेप्ट लाए।1926 में हेनरी फोर्ड ने अपनी कंपनी में 5 Day Work Week लागू किया। इसके तहत फोर्ड के कर्मचारी हफ्ते में 5 दिन काम और 2 दिन छुट्टी लेते थे। हेनरी फोर्ड के इस फैसले से उस समय हंगामा मच गया और कहा गया कि इस से कर्मचारी आलसी और कामचोर बन जाएंगे लेकिन 5 Day Work Week का असर हेनरी फोर्ड ने खुद दुनिया को बताया कि। हफ्ते में दो छुट्टी के बाद भी कर्मचारी पहले जितना काम करते हैं।फोर्ड कर्मचारियों की उत्पादन क्षमता पहले के मुकाबले बढ़ गई ।कर्मचारी खुश होकर कंपनी में करते थे, जिस से रेवेन्यू बढ़ गया।हेनरी फोर्ड के इस फैसले के बाद ही दुनिया के कई देशों ने 5 Day Work Week को लागू करना शुरू किया था।

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