कौन हैं प्रशांत किशोर? जानिए भारतीय राजनीति के 'चाणक्य' के जीवन के बारे में 

देश
रामानुज सिंह
Updated Apr 27, 2022 | 14:13 IST

Prashant Kishor Biography : देश की सबसे पुरानी पार्टी में कांग्रेस के प्रस्ताव को ठुकराने वाले प्रशांत किशोर कौन है? प्रशांत किशोर को राजनीतिक रणनीतिकार और चुनावी जादूगर भी कहा जाता है। वे जिस पार्टी के साथ जाते हैं उसकी जीत करीब-करीब पक्की हो जाती है। आइए जानते हैं प्रशांत किशोर के प्रारंभिक जीवन, परिवार, शिक्षा, चुनाव अभियान आदि के बारे में।

Who is Prashant Kishor? Know about the life of Chanakya of Indian politics
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर  |  तस्वीर साभार: BCCL

Prashant Kishor Biography : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने देश की सबसे पुरानी पार्टी में कांग्रेस में शामिल होने के प्रस्ताव ठुकरा दिया। इन दिनों वे काफी चर्चा में हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में, आखिर वे हैं कौन? प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में हुआ और वे रोहतास जिले के कोनार गांव के रहने वाले हैं। बाद में वह और उनके माता पिता बिहार के बक्सर में रहने लगे। उनके पिता श्रीकांत पांडे बिहार सरकार में डॉक्टर हैं। उनकी मां उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की हैं। उनकी पत्नी का नाम जाह्नवी दास है वह असम के गुवाहाटी में डॉक्टर हैं। उन्हें एक बेटा है। चूंकि उनके पिता गांव से बक्सर शिफ्ट कर गए थे इसलिए उनकी स्कूली पढ़ाई लिखाई बक्सर में ही हुई और फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने हैदराबाद चले गए। पब्लिक हेल्थ में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद ट्रेंड पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के रूप में संयुक्त राष्ट्र में काम करने लगे। उनकी पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश में हुई और फिर उन्हें पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम चलाने के लिए बिहार में ट्रांसफर कर दिया गया था। बिहार में दो साल काम करने के बाद उन्हें फिर संयुक्त राष्ट्र में भारतीय कार्यालय बुला लिया गया। फिर दो साल बाद यूएन के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बुलाया गया।

ऐसे हुई प्रशांत किशोर की नरेंद्र मोदी से मुलाकात

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में उन्हें काम करने में मजा नहीं आया। फिर उन्हें चाड में डिवीजन हेड के रूप में उत्तर-मध्य अफ्रीका देश भेजा गया। वहां उन्होंने 4 साल तक काम किया। उसके बाद उन्होंने भारत के समृद्ध उच्च विकास वाले राज्यों में कुपोषण पर एक सिसर्च पेपर लिखा। इसमें महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक राज्यों में कुपोषण की स्थिति पर लिखा। इन राज्यों में गुजरात सबसे नीचे था। यह पढ़कर तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने प्रशांत किशोर को फोन किया और पीके को गुजरात के लिए काम करने को आमंत्रित किया। 

2014 में नरेंद्र मोदी का प्रचार अभियान संभाला

प्रशांत किशोर ने 2013 में सिटीजन फॉर एकाउंटेबल गवर्नेंस या CAG की शुरुआत की। उनकी फर्म ने उनके साथ सहयोग करने वाले राजनीतिक दलों को राजनीतिक रणनीति प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्हें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन प्राप्त हुआ। उसके बाद उन्होंने उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाली और 2014 में उन्होंने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को लोकसभा चुनाव जीतने में मदद की और पार्टी देश में पूर्ण बहुमत के साथ आई। वह बीजेपी के चुनाव पूर्व अभियान के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक थे। ऐसा कहा जाता है कि प्रशांत किशोर का ही दिमाग था जिसने चाय पे चर्चा, मंथन, 3डी रैलियों, ऑनलाइन प्रचार और बीजेपी के लिए और भी बहुत कुछ किया। कुछ समय बाद किशोर ने राजनीतिक रणनीतियों के साथ बीजेपी का साथ छोड़ दिया और कुछ संघर्षों के कारण अलग होने का फैसला किया।

I-PAC की शुरूआत की और नीतीश कुमार से जुड़े

बाद में 2015 में, सीएजी या सिटिजन्स फॉर एकाउंटेबल गवर्नेंस को इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी में बदल दिया गया, जिसे आज I-PAC के रूप में संक्षिप्त नाम से जाना जाता है। उन्होंने नीतीश कुमार की मदद की। उन्हें नीतीश के निश्चय: विकास की गारंटी के नारे लगाने वाली साइकिल का सुझाव दिया। उन्होंने उनकी ओर से 'फिर एक बार, नीतीशे कुमार' का नारा तैयार किया और बिहार के 4,000 गांवों का दौरा करके उनकी आम समस्याओं का पता लगाकर एक सर्वे किया। लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने शानदार जीत हासिल की। उसके बाद वह जदयू के सदस्य बन गए। नीतीश कुमार के साथ ज्यादा दिन रहे और पार्टी छोड़ दी।

कैप्टन अमरिंदर सिंह से जुड़े

प्रशांत किशोर 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह से जुड़े और पंजाब चुनाव में उनके लिए काम किया। कैप्टन हर घर में एक जाना पहचाना नाम बन गया। क्योंकि किशोर फैशनेबल नारों के साथ आए, "कॉफी विद कैप्टन" और "पंजाब दा कैप्टन"। अमरिंदर सिंह ने कुल 117 में से 77 सीटों के साथ जीत हासिल की। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्विटर पर उनके काम की बड़े पैमाने पर और सार्वजनिक रूप से उनकी सराहना की।

इस तरह प्रशांत किशोर का कारवां बढ़ता ही गया। उन्होंने एक समर्पित रणनीतिकार के रूप में भारतीय जनता पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अन्य जैसे राजनीतिक दलों को मदद करके चुनाव जिताने में मदद की। 


 

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