अशोक गहलोत का गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों से नाता, 24 साल का तोड़ेंगे रिकॉर्ड

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Aug 25, 2022 | 11:04 IST

Congress President Election: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का करियर आपातकाल के बाद परवान चढ़ा। जब इंदिरा गांधी ने उन्हें वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर जोधपुर से लोक सभा का टिकट दिया था।

ashok gehlot and rahul gandhi
अशोक गहलोत रचेंगे इतिहास  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • गहलोत अध्यक्ष बने तो परिवारवाद के आरोप का काउंटर कर पाएगी कांग्रेस
  • सचिन पायलट की बगावत में अशोक गहलोत ने अपना कौशल दिखाया था।
  • राहुल गांधी के लिए चुनावी रणनीति अमल में लाना आसान होगा।

Congress President Election:कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज है। ऐसी संभावना है कि सितंबर में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल सकता है। इस बीच सोनिया गांधी और अशोक गहलोत की दिल्ली में मुलाकात ने अटकलों को और तेज कर दिया है। चर्चा है कि सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत को कांग्रेस की कमान सौंपने की तैयारी कर ली है और उसी सिलिसिले में दोनों की मुलाकात हुई है। हालांकि ऐसी किसी संभावना से अशोक गहलोत ने इंकार कर दिया है। इस चर्चा को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि ऐसे संकेत हैं कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद की कमान नहीं संभालना चाहते हैं। जिसे देखते हुए गांधी परिवार के लिए अशोक गहलोत से बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है।

इंदिरा गांधी ने दिया था मौका

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का करियर आपातकाल के बाद परवान चढ़ा। जब इंदिरा गांधी ने उन्हें वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर जोधपुर से लोक सभा का टिकट दिया था। और गहलोत ने बड़े अंतर से जीत हासिल की। यही नहीं वह केवल 29 साल की उम्र में इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री भी बन गए। और इसके बाद से गहलोत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इंदिरा गांधी-संजय गांधी के बाद वह राजीव गांधी के भी करीबी रहे और उसके बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के भी वह सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं। और इसी करीबी का नतीजा था कि 1998 में जब कांग्रेस को राजस्थान में बंपर जीत हासिल हुई थी तो सोनिया गांधी ने राजेश पायलट, नटवर सिंह, बलराम जाखड़ जैसे कद्दावर नेताओं को नजरअंदाज कर अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी। और तब से गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। 

परिवारवाद के आरोप का काउंटर कर पाएगी कांग्रेस

अगर अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की कमान मिलती है तो न केवल गांधी परिवार को सबसे भरोसेमंद व्यक्ति का साथ मिलेगा। बल्कि भाजपा के उस आरोप का काउंटर करने का भी मौका मिलेगा। जिसमें वह बार-बार परिवारवाद का आरोप लगाती रहती है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो लाल किले से भी परिवारवाद की राजनीति पर हमला बोला। इसके साथ ही अशोक गहलोत के रहते राहुल गांधी के लिए चुनावी रणनीति को अमल में लाना कहीं ज्यादा आसान होगा।

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सचिन पायलट की बगावत में दिखा चुके हैं कौशल

कांग्रेस पार्टी इस समय जिस संकट से गुजर रही है, उसे देखते हुए उसे ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व की जरूरत है, जो अपने कौशल से न केवल बागी तेवरों को दबा सके बल्कि उनका सही इस्तेमाल भी कर सके।  पार्टी में एक बार फिर G-23 गुट के नेता विरोध के स्वर उठा रहे हैं। इसे देखते हुए अशोक गहलोत का कौशल काम आ सकता है। खास तौर पर जब जुलाई 2020 में राजस्थान में सचिन पायलट ने बागी तेवर दिखाने शुरू किए थे, तो उस वक्त अशोक गहलोत ने पार्टी पर अपनी पकड़ का कौशल दिखाकर, बगावत को रोक दिया था और अपनी सरकार बचा ली थी।

1998 से गांधी परिवार के पास अध्यक्ष पद

अगर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनते हैं तो 1998 के बाद ऐसा पहली बार होगा, जब कांग्रेस का अध्यक्ष पद किसी गांधी परिवार के पास नहीं होगा। साल 1998 से लेकर 2017 तक अध्यक्ष पद की कमान सोनिया गांधी के पास थी। जबकि 2017 से 2019 के बीच राहुल गांधी अध्यक्ष थे। उसके बाद 2019 में लोक सभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। और तब से सोनिया गांधी कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में काम संभाल रही हैं। इसके पहले 1996 में सीता राम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। 

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