राज्यों में CM क्यों बदल रही है भाजपा ? अगला किसका नंबर, कोविड-जाति-चुनाव का जानें समीकरण

देश
प्रशांत श्रीवास्तव
Updated Sep 13, 2021 | 18:46 IST

BJP CMs Change News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पिछले 6 महीने में चार मुख्यमंत्री बदल दिए हैं। पार्टी ने यह बदलाव, गुजरात, उत्तराखंड और कर्नाटक में  किए हैं। 

BJP Changes 4 CMs in last six months
भाजपा ने 6 महीने में बदले 4 मुख्यमंत्री  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • BJP शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्रियों को साफ संकेत है कि अगर जनता में नाराजगी दिखेगी तो फैसले लेने में देरी नहीं होगी।
  • दूसरे राज्यों की तरह गुजरात में विजय रुपाणी को हटाने के पहले पार्टी ने सार्वजनिक तौर पर किसी भी तरह के संकेत नहीं दिए।
  • भाजपा चाहती है कि राज्यों के विधान सभा चुनावों में नए चेहरों के साथ वह मैदान में उतरे।

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने पिछले 6 महीने में चार मुख्यमंत्री बदल दिए हैं। पार्टी ने यह बदलाव, गुजरात, उत्तराखंड और कर्नाटक में  किए हैं। इसमें से उत्तराखंड में अगले 6 महीने में और गुजरात में अगले 15 महीने में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। जबकि कर्नाटक में 2023 में चुनाव होंगे। साफ है कि पार्टी चुनावों को देखते हुए किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है। उसे लगता है कि अगर किसी भी राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत है, तो ऐसा करने से वह परहेज नहीं करेगी। इसके अलावा पार्टी  की ओर से मौजूदा मुख्यमंत्रियों को यह भी संकेत है कि अगर उनके खिलाफ जनता में नाराजगी दिखेगी या फिर पार्टी के स्तर पर किसी तरह का विरोध होगा, तो शीर्ष नेतृत्व फैसले लेने में देरी नहीं करेगा।

छह महीने में किनकी गई  कुर्सी

भाजपा ने मार्च 2021 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह  तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी। लेकिन चार महीने बाद ही तीरथ सिंह रावत को हटा दिया गया। और उनकी जगह युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया। इसके बाद जुलाई में कर्नाटक में पार्टी ने अपनी वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया। और अब गुजरात में विजय रुपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई है। मुख्यमंत्री बदलने की वजह पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि गुजरात में जातिगत समीकरण काफी मायने रखते हैं। रूपाणी जैन समुदाय से आते थे, जबकि राज्य में 12-14 फीसदी पटेल हैं और भूपेद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनने से पाटीदार को साधा जा सकता है। जहां तक उत्तराखंड की बात है तो त्रिवेंद सिंह रावत को लेकर फीडबैक के आधार पर फैसला किया गया है।

नए चेहरों में दिखी यह रणनीति

भूपेंद्र पटेल को जब गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान हुआ तो यह सबके लिए चौंकाने वाला नाम था। क्योंकि सबसे ज्यादा चर्चा नितिन पटेल  की थी। लेकिन एक बार फिर उनके हाथ से सत्ता आते-आते रह गई। इसका दर्द भी नितिन पटेल के बयानों  से दिख रहा है। उन्होंने  मेहसाणा में एक कार्यक्रम में मजाकिया अंदाज में कहा कि वह अकेले नहीं हैं, जिनकी बस छूट गई। उनके जैसे कई और भी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं लोगों के दिलों में रहता हूं, मुझे कोई बाहर नहीं कर सकता। असल में भूपेंद्र पटेल पहली बार विधायक बनकर 2017 में ही विधान सभा पहुंचे हैं। पार्टी सू्त्रों के अनुसार पाटीदार वोट और शीर्ष नेतृत्व से बेहतर संबंधों का उन्हें फायदा मिला है। वहीं उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की उम्र केवल 45 साल है। इसी तरह कर्नाटक में राज्य में पार्टी के अंदर बी.एस.येदियुरप्पा को लेकर बढ़ती नाराजगी,उनके बेटे को लेकर लगते आरोपों और 75 साल से ज्यादा की उम्र को देखते हुए उनक विदाई कर दी गई। 

गुजरात में दूसरे राज्यों से अलग रणनीति

गुजरात में मुख्यमंत्री के इस्तीफे से पहले कोई खास हल-चल देखने को नहीं मिली थी और उनकाअचानक ही इस्तीफा सामने आ गया। वहीं उत्तराखंड में, त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह लेने से पहले, भाजपा ने राज्य में दिल्ली से अपने दो वरिष्ठ नेताओं को भेजा था, ताकि वे स्थानीय नेताओं की राय जान सके। इसी तरह तीरथ सिंह रावत को बदलने से पहले बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें दिल्ली बुलाया था और उन्हें संवैधानिक और कानूनी संकट के बारे में समझाया था। और कर्नाटक में महीनों से चल रही सत्ता परिवर्तन की अटकलों के बीच येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की था। और उन्होंने अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के बाद इस्तीफा दिया। यानी पार्टी ने उन्हें पूरा मौका दिया। लेकिन इस तरह की गतिविधियां पार्टी ने गुजरात में विजय रुपाणी को हटाने के पहले कम से कम सार्वजनिक तौर पर प्रकट नहीं होने दी। इसके अलावा भाजपा के लिए अगले चुनाव में 1995 से चली आ रही सत्ता को बरकरार रखने की चुनौती होगी। जो कि किसी भी पार्टी के लिए आसान नहीं है। ऐसे में नेतृत्व कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है, खास तौर पर जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य में चुनाव की बात हो।

क्यों कर रही है भाजपा ऐसा

पार्टी द्वारा बार-बार मुख्यमंत्री बदलने के कारणों पर सीएसडीएस के प्रोफेसर संजय कुमार टाइम्स नाउ नवभारत से कहते हैं "देखिए मुख्यमंत्री बदलने के राज्यों के आधार पर अलग-अलग कारण है। लेकिन गुजरात और उत्तराखंड में सीएम बदलने का कारण साफ हैं। कोविड की दूसरी लहर के बाद पहले चुनाव उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा में होने जा रहे हैं। दूसरी लहर के दौरान जिस तरह से हाहाकार मचा और लोगों को त्रासदियों का सामना करना पड़ा, इसको लेकर लोगों की अपनी सरकारों से नाराजगी रही है। ऐसे में शायद भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि लोगों की नाराजगी सरकारों पर भारी नहीं पड़ेगी। ऐसे में उसे दूर करने के लिए चेहरे बदले जा रहे हैं। इस तरह का प्रयास यूपी में भी देखा गया था हालांकि वहां पर चेहरा नहीं बदला गया है। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि भाजपा चाहती है कि राज्यों के नए चेहरों के साथ पार्टी विधान सभा चुनाव में उतरे।" क्या यह बदलाव सफल होगा, इस पर संजय कुमार कहते हैं कि देखिए यह कोई फॉर्मूला नहीं है। जिससे सफलता की गारंटी मिल जाय। लेकिन यह जरूर है कि अगर यह अंदेशा हो जाय कि सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी है तो यह फॉर्मूला काफी कारगर साबित हो सकता है।

दूसरे मुख्यमंत्रियों के लिए संदेश

संजय कहते हैं कि हर मुख्यमंत्री को यह पता होता है कि उसकी सरकार किस तरह से काम कर रही है। जिन राज्यों के मुख्यमंत्रियों का गवर्नेंस अच्छा नहीं है, उन्हें निश्चित तौर पर ऐसा लग सकता है कि उनके ऊपर तलवार लटकी हुई और यह कभी भी उनके ऊपर गिर सकती है। ऐसे में पार्टी का संदेश साफ है कि अगर आपकी सरकार की फीडबैक अच्छा नहीं है, तो आपको भी हटाया जा सकता है। इस समय भाजपा की हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, असम , त्रिपुरा, गोवा , मणिपुर, अरूणाचल प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व में यानी उसके मुख्यमंत्री है। जबकि बिहार, नागालैंड, मेघालय, सिक्किम में वह गठबंधन के जरिए सरकार में है।


 

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