भूकंप यानि (Earthquake) ने एक बार फिर दस्तक दी। पूर्वी भारत के असम में रिक्टर स्केल पर तीव्रता 6.4 दर्ज की गई है जिसका केंद्र सोनितपुर जिला है। समूचे भारत ( India) की बात करे तो यहां के तमाम इलाकों में इसका खतरा ज्यादा ही बना हुआ है। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
फरवरी में भूकंप के झटके उस समय महसूस किए गए जब लोग सोने की तैयारी में थे बताया जा रहा है कि ये झटके इतने तेज थे कि लोग डर के मारे घर से बाहर भागे। दिल्ली-एनसीआर में ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग तो बेहद खौफजदा थे, क्योंकि ऊंची इमारतों में कंपन अधिक महसूस होती है। झटके इतने तेज हैं कि नुकसान की आशंका जाहिर की जा रही है कुछ जगहों से दीवारों में दरारों की तस्वीरें सामने आई हैं।
बताया गया है कि ताजिकिस्तान में भूकम्प की तीव्रता 6.3 मापी गई। इसका केंद्र जमीन से 74 किलोमीटर नीचे बताया जा रहा है। फिलहाल किसी के हताहत होने या संपत्तियों को नुकसान की सूचना नहीं है लेकिन इसे लेकर लोगों में दहशत का माहौल है।
दिल्ली और अन्य शहरो में रात में सोने की तैयारी कर रहे लोग अपने घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए।अमृतसर या पंजाब के अन्य हिस्सों पर पुलिस और स्थानीय प्रशासन स्थिति पर करीब से निगाह बनाए हुए है, भूकंप के झटके पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी महसूस किए गए हैं।
दिल्ली-एनसीआर में रहने वालों को भूकंप का खतरा ज्यादा है आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं,दिल्ली में बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों को देखते हुए लोगों में चिंता बढ़ती जा रही है। बीते साल भी यहां भूकंप के कई झटके महसूस किए गए थे। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में दिल्ली या उसके पास के दायरे में छोटे-मध्यम तीव्रता के भूकंप के तमाम झटके महसूस किए गए थे। दिल्ली को भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील डेंजर जोन-4 में रखा गया है, जिसका अर्थ यह है कि यहां रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के अनुसार, भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में और रात 10:31 बजे वहां भूकंप आया था। नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी ने अपनी सबसे शुरुआती अपडेट में कहा था कि भूकम्प का केंद्र जम्मू कश्मीर में था इसके बाद इसे बदलकर अमृतसर कर दिया गया।विभाग का कहना है कि भूकम्प का केंद्र अफगानिस्तान, किर्गिस्तान, चीन और उजबेकिस्तान से घिरे देश ताजिकिस्तान में था। बताया गया है कि ताजिकिस्तान में भूकम्प की तीव्रता 6.3 मापी गई। इसका केंद्र जमीन से 74 किलोमीटर नीचे बताया जा रहा है।
दिल्ली में यमुना नदी के पास के क्षेत्र, उत्तरी दिल्ली के कुछ इलाकों और दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के कुछ हिस्सों क्षेत्र भूंकप की दृष्टि से सबसे संवेदनशील बताया जाता है।पूर्वी दिल्ली में शाहदरा, मयूर विहार, लक्ष्मी नगर जैसे इलाके भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील हैं। मिट्टी की संवेदनशीलता जांच कर इसे भूकंपीय खतरे के लिहाज से नौ जोन में बांटा गया था। इसे लेकर केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने एक रिपोर्ट भी जारी की थी, जिससे पता चला है कि दिल्ली में घनी आबादी वाले यमुनापार समेत तीन जोन सर्वाधिक खतरनाक हैं।
इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि जिस इलाके में भूकंप का केंद्र है वो टेक्टोनिक तौर पर संवेदनशील है। धरती के अंदर जब आवश्यकता से अधिक संचित ऊर्जा बाहर निकलती है तो वो फिशर के जरिए बाहर निकलती है और उसका असर जलजले के तौर पर नजर आता है। लेकिन पिछले 9 से 10 महीने में जिस तरह से दिल्ली और एनसीआर के इलाके में जलजला दस्तक दे रहा है वो किसी बड़े तबाही की पूर्व चेतावनी हो सकती है।
भूकंप की तीव्रता को रिक्टर स्केल पर मापते हैं और0 से 1.9 सीस्मोग्राफ से इसका पता चलता है,इसे ऐसे समझें-
2-2.9-हल्का कंपन
3.3.9-बिल्कुल करीब से ट्रक के गुजरने पर कंपन का अहसास
4-4.9 -भूकंप पर खिड़कियां टूटने का खतरा
5-5.9-फर्नीचर हिल जाता है।
6 से 6.9 -इमारतों की नींव दरकती है और ऊपरी मंजिल को नुकसान
7-7.9 -इमारतें गिर जाती हैं और जमीन के अंदर पाइप का फट जाती हैं
7 से 7.9- इमारत समेत बड़े पुलों को गिरने का खतरा
9 से अधिक तीव्रता के भूकंप से भयंकर तबाही
भूकंप क्यों आता है इसे लेकर बताया जाता है कि धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं और ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है ये टैकटोनिक प्लेट्स बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है भूकंप की तीव्रता का अंदाजा एपीसेंटर से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है।
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