भारत के लिए क्यों है रूस की S-400 की जरूरत, बना रहेगा अमेरिकी प्रतिबंध का रिस्क  

देश
आलोक राव
Updated May 21, 2021 | 15:07 IST

चीन और पाकिस्तान यदि एक साथ भारत पर आक्रमण करते हैं तो ऐसी सूरत में दो मोर्चों को एक साथ संभालना भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए चुनौत होगी।

Why India needs Russian air defence system S-400
एस-400 के लिए भारत ने रूस के साथ किया है करार।  |  तस्वीर साभार: AP
मुख्य बातें
  • साल 2018 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आए थे
  • भारत ने एस-400 की पांच इकाइयों के लिए रूस के साथ किया समझौता
  • अमेरिका का कहना है कि इस सौदे पर आगे बढ़ने पर वह प्रतिबंध लगाएगा

नई दिल्ली : रूस के सरकारी शस्त्र निर्यातक रोसोबोरोनएक्पोर्ट के एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि विमान भेदी वायु रक्षा प्रणाली एस-400 की पहली खेप भारत को इस साल अक्टूबर-दिसंबर मिल जाएगी। रूसी अधिकारी के इस बयान के बाद एस-400 की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। अपनी रक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत ने साल 2018 में एस-400 की पांच इकाइयों के लिए रूस के कात 40,000 करोड़ रुपए का सौदा किया। दरअसल, इस रक्षा सौदे पर अमेरिका की टेढ़ी नजर है। वह बार-बार कहता आया है कि भारत रूस से यदि एस-400 खरीदा तो वह उस पर प्रतिबंध लगा देगा।

भारत के लिए क्यों जरूरी है S-400
भारत अपने दो पड़ोसी मुल्कों चीन और पाकिस्तान के मुकाबले अपनी रक्षा तैयारी मजबूत करना चाहता है। इन दोनों देशों के साथ भारत की लड़ाई हो चुकी है। चीन और पाकिस्तान यदि एक साथ भारत पर आक्रमण करते हैं तो ऐसी सूरत में दो मोर्चों को एक साथ संभालना भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए चुनौत होगी। युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए जरूरी है कि आपका डिफेंस भी बहुत अच्छा हो। हाल के वर्षों में वायु सेना के स्क्वॉड्रन की संख्या घटी है और पांचवीं पीढ़ी एवं स्टील्थ फीचर वाले लड़ाकू विमानों की कमी है। इसे देखते हुए एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम का होना बहुत जरूरी है। 

चीन के पास पहले से है एस-400
एस-400 दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली मानी जाती है। रूस ने मास्को की सुरक्षा में इसे तैनात कर रखा है। चीन पहले ही रूस से एस-400 खरीद चुका है। ऐसे में जरूरी है कि भारत के पास भी चीन की तरह एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम हो। चीन ने  मास्को से छह एस-400 खरीदने के लिए 2015 में करार किया था। इस इस सिस्टम की आपूर्ति जनवरी 2018 में होनी शुरू हुई। चीन के अलावा तुर्की ने भी रूस से एस-400 खरीदा है। इस सौदे के लिए अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगा दिया है।  सऊदी अरब भी रूस की यह डिफेंस प्रणाली हासिल करना चाहता है। 

क्यों बेहतरीन है S-400
प्रतिष्ठित पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' रूस के एस-400 दुनिया को बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली बताया है। इस डिफेंस सिस्टम की सबसे बड़ी खूबी इसकी एक साथ तरह-तरह के आसमानी लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता है। एस-400 का रडार सिस्टम काफी ताकतवर है। वह 400 किलोमीटर के दायर में किसी भी उड़ती वस्तु को डिटेक्ट कर लेता है और फिर उसे निष्क्रिय कर देता है। एस-400 यूनिट के कई हिस्से हैं। इसमें बैटरी सिस्टम, रडार सिस्टम और मिसाइल लॉन्चर लगे होते हैं। इन्हें वाहन से कहीं भी पहुंचाया जा सकता है। एस-400 को हमले के लिए पांच से 10 मिनट के भीतर तैयार किया जा सकता है। यह डिफेंस सिस्टम अपनी ओर आती बैलिस्टिक मिसाइलों, फाइटर प्लेन,  क्रूज मिसाइल और मानव रहित (यूएवी) को नष्ट कर सकता है। हालांकि, आईसीबीएम मिसाइलों को डिटेक्ट करने को लेकर अलग-अलग बाते हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिस्टम आईसीबीएम को डिटेक्ट नहीं कर पाता क्योंकि ये मिसाइलें काफी ऊपर से आती हैं।  

चीन और पाक सीमा की निगरानी जरूरी
एस-400 के आ जाने पर भारत, चीन और पाकिस्तान से लगती सीमा पर इनकी तैनाती यदि कर देता है तो इन दोनों शत्रु देशों के खिलाफ उसका डिफेंस काफी मजबूत हो जाएगा। पाकिस्तान के पास करीब 20 लड़ाकू विमानों की स्क्वॉड्रन हैं। उसके पास उन्नत किए गए अमेरिकी फाइटर प्लेन एफ-16 और चीन निर्मित के जे-17 हैं। तो चीन के पास करीब 1700 फाइटर प्लेन हैं। उसके पास चौथी पीढ़ी के विमान और स्टील्थ विमानों की संख्या करीब 800 बताई जाती है। चीन और पाकिस्तान के वायु सेना की क्षमता को देखते हुए भारत के पास एस-400 जैसी रक्षा प्रणाली का होना बेहद जरूरी है। 

क्या अमेरिकी प्रतिबंधों का रिस्क ले रहा भारत
अमेरिका रक्षा मंत्री लायड लॉस्टिन गत मार्च में भारत की यात्रा पर आए थे। इस दौरान उनके सामने एस-400 का मसला भी उठा। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन इशारों-इशारों में यह जरूर कह दिया कि भारत को रूस के साथ इस सौदे पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए। करार पर आगे बढ़ने पर काट्सा का प्रतिबंध लग सकता है। अमेरिका उन देशों पर अपने काट्सा कानून के तहत प्रतिबंध लगाता है जो रूस से हथियार खरीदते हैं।

तो भारत के लिए कूटनीतिक जीत होगी
जाहिर है कि अमेरिका समय-समय पर इस सौदे को लेकर भारत को अपने दबाव में लेने की कोशिश करता है लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी रक्षा जरूरतों से कोई समझौता नहीं करेगा और वह इस सौदे पर आगे बढ़ेगा। तो सवाल यह है कि क्या अमेरिका अपने सभी बड़े रणनीतिक एवं सामरिक साझेदारों में शामिल भारत पर प्रतिबंध लगाएगा। इस सवाल का जवाब देना अभी मुश्किल है। भारत अगर रूस से एस-400 खरीद लेता है और अमेरिकी प्रतिबंधों से बच जाता है तो यह उसकी बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत होगी।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर