इसलिए बदली गई मिड-डे मील स्कीम, जानें पीएम-पोषण स्कीम का A to Z

PM Poshan Scheme in Hindi: पीएम पोषण योजना में आकांक्षी जिलों और जिन जिलों में एनीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या ज्यादा है, वहां पूरक पोषाहार उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।

PM Poshan Scheme
मिड-डे स्कीम में बदलाव कर पीएम-पोषण स्कीम शुरू की गई है  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • अगले 5 साल में केन्‍द्र सरकार द्वारा  54,061.73 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा 31,733.17 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे
  • योजना का सोशल ऑडिट अनिवार्य कर दिया गया है। शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकों के जरिए निरीक्षण भी कराने का प्रावधान है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूल में बच्चों को नाश्ता देने के प्रस्ताव पर नई योजना में कोई ऐलान नहीं किया गया है।   

नई दिल्ली। केंद्रीय सरकार के आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार (29 सितंबर) को मिड-डे मील स्कीम (मध्याह्न भोजन योजना) की जगह पीएम पोषण योजना को मंजूरी दी है। यानी अब मिड-डे मील की जगह पीएम पोषण योजना लेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि मिड-डे मील स्कीम की जगह नई योजना की क्या जरूरत थी ? कल जब योजना के बारे में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया था, तो उन्होंने कहा नई पॉलिसी के जरिए स्कूली बच्चों के पोषण स्तर को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए सरकार ने क्या बदलाव किए हैं, साथ में उसको कैसे अमल में लाया जाएगा, आइए जानते हैं स्कीम का  A to Z

क्या हुए अहम बदलाव

  • पीएम पोषण योजना का प्राथमिक कक्षाओं के सभी 11.80 करोड़ बच्‍चों के अलावा, पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं या  बाल वाटिकाओं में पढ़ने वाले छात्रों तक विस्तार किया गया है। इसके जरिए करीब 24 लाख अतिरिक्त बच्चों को योजना का लाभ मिलेगा। इसके तहत एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम (आईसीडीएस) के बच्चे शामिल होंगे।
  • तिथि भोजन की अवधारणा को  बढ़ावा देने का ऐलान  किया गया है। तिथि भोजन एक सामुदायिक भागीदारी कार्यक्रम है, जिसमें लोग विशेष अवसरों/त्योहारों पर बच्चों को विशेष भोजन प्रदान करते हैं।
  • योजना का सोशल ऑडिट अनिवार्य कर दिया गया है।
  • आकांक्षी जिलों और जिन जिलों में एनीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या ज्यादा है, वहां पूरक पोषाहार उपलब्ध कराया जाएगा। 
  • मध्‍याह्न योजना के कार्यान्वयन में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और महिला स्वयं-सहायता समूहों की भागीदारी की जाएगी।
  • विश्वविद्यालयों/संस्थानों के छात्रों और क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों (आरआईई) तथा जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) के प्रशिक्षु शिक्षकों जरिए स्कीम की निगरानी भी कराई जाएगी। जिससे कि योजना का सुचारू संचालन  हो सके।
  • हालांकि सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा  नीति  के तहत स्कूल में बच्चों को नाश्ता देने के प्रस्ताव पर नई योजना में कोई ऐलान नहीं किया है।   

बचे फंड का भी होगा इस्तेमाल ?

अभी कक्षा एक से आठ तक स्कूली बच्चों को प्रति दिन 100 ग्राम और 150 ग्राम अनाज दिया जाता है, जिससे उन्हें न्यूनतम 700 कैलोरी मिल सके। नई योजना में आकांक्षी जिलों और जिन जिलों में एनीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या ज्यादा है, वहां पूरक पोषाहार उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में यदि कोई राज्य पोषकता बढ़ाने के लिए  गेहूं, चावल, दाल, सब्जियों के अलावा अंडे, दूध आदि को जोड़ेगा, तो उसका इस्तेमाल राज्य केंद्र के फंड से होने की उम्मीद है, अभी ऐसी व्यवस्था नहीं थी।

योजना पर अगले 5 साल में केन्‍द्र सरकार  54,061.73 करोड़ रुपये और राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्रों के जरिए 31,733.17 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा केन्‍द्र सरकार खाद्यान्न पर करीब 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत भी वहन करेगी। इस प्रकार योजना का कुल बजट 1,30,794.90 करोड़ रुपये होगा।

मिलेंगे फोर्टिफाइड फूड ?

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस की 75 वीं वर्ष गांठ पर, देश में कुपोषण को दूर करने के लिए, सरकार की सभी प्रमुख राशन वितरण योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड चावल देने का ऐलान किया था। ऐसे में आकांक्षी जिलों और ऐसे जिले जिनमें एनीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या ज्यादा है, वहां पर फोर्टिफाइड चावल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

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