क्या संघर्ष विराम का सम्मान करेगा पाकिस्तान, पहले भी तोड़ चुका है वादा

India Pakistan relations: तनावपूर्ण संबंधों के बीच हाल के समय में भारत और पाकिस्तान की एक-दूसरे के प्रति रुख में थोड़ी नरमी देखी गई है। गत 18 फरवीर को कोविड-19 के प्रबंधन को लेकर एक वर्चुअल बैठक हुई थी।

Will Pakistan honour Ceasefire pact this time
संघर्ष विराम का कड़ाई से पालन करने पर सहमत हुए हैं भारत और पाकिस्तान।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • साल 2003 के संघर्ष विराम समझौते का कड़ाई से पालन करने पर सहमत हुए हैं भारत-पाक
  • गुरुवार को दोनों देशों ने इस बारे में की घोषणा, हाल के समय में तेज हुई गोलीबारी
  • साल 2006 में पाकिस्तान ने इस समझौते को तोड़ दिया था, विशेषज्ञ जता रहे आशंका

नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान साल 2003 के संघर्ष विराम समझौते को कड़ाई से लागू करने पर सहमत हो गए हैं। दोनों पक्षों की ओर से कहा गया है कि वे इस समझौते के सम्मान करेंगे। भारत और पाकिस्तान के बीच शांति बहाली की इस घोषणा को विशेषज्ञ संशय भरी नजरों से दखे रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञों को नहीं लगता कि पाकिस्तान अपने इस वादे को लंबे समय तक निभा पाएगा क्योंकि वह आतंकवाद को अपनी एक 'नीति' मानता है और जब तक वह अपनी इस 'नीति' को नहीं छोड़ेगा तब तक सीमा पर शांति बहाली नहीं हो सकती। साल 2003 में वाजपेयी सरकार के समय हुए सीजफायर समझौते को पाकिस्तान ने साल 2006 में तोड़ दिया। तीन सालों तक सीमा पर गोलीबारी नहीं हुई। 

दोनों देशों के रुख में आई है नरमी
तनावपूर्ण संबंधों के बीच हाल के समय में भारत और पाकिस्तान की एक-दूसरे के प्रति रुख में थोड़ी नरमी देखी गई है। गत 18 फरवीर को कोविड-19 के प्रबंधन को लेकर एक वर्चुअल बैठक हुई थी। सार्क की इस बैठक में पाकिस्तान की तरफ से स्वास्थ्य पर प्रधानमंत्री इमरान खान के स्पेशल असिस्टेंट फैजल सुल्तान शामिल हुए। हालांकि उन्होंने कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाया जैसा कि आम तौर की बैठकों में इस्लामाबाद करता आया है।

इमरान के प्लेन के लिए भारत ने एयरस्पेस खोली
यही नहीं, पीएम इमरान खान को जब 23 फरवरी को श्रीलंका जाना था तो भारत ने उनके लिए अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत दी। जबकि बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने पीएम मोदी के विमान को अपने हवाई मार्ग से गुजरने की अनुमति नहीं दी थी। कोलंबो में इमरान खान ने कहा, 'भारत के साथ हमारा केवल एक विवाद कश्मीर का है और इसका समाधान केवल बातचीत के जरिए हो सकता है।' रुख में आई इस नरमी को देखने के बाद यह उम्मीद करना कि दोनों देशों के संबंध सामान्य हो जाएंगे और सीमा पर शांति आ जाएगी, जल्दबाजी होगी। हालांकि सीजफायर से दोनों तरफ की सेना को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। 

सीजफायर पर विशेषज्ञों का रुख
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में उच्चायुक्त रह चुके गौतम बम्बावले ने कहा, 'दोनों पक्ष के इरादे सकारात्मक मालूम पड़ते हैं लेकिन हमें यह देखना होगा जमीन पर ये वास्तविकता में बदलते हैं कि नहीं।' पाकिस्तान के मामलों की अच्छी समझ रखने वाले विश्लेषक सुशांत सरीन का कहना है, 'सीजफायर का संयुक्त बयान का मसौदा ठीक नहीं है और यह गलत समय पर आया है। इस दस्तावेज का शब्दाडंबर मुश्किल से इस गर्मी से आगे बढ़ पाएगा। इस बात के संकेत पहले मिल चुके हैं कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ाने जा रहा है। रिपोर्टें हैं कि घाटी में मैग्नेटिक बम पहुंच रहे हैं। इन बमों ने काबुल में तबाही मचाई है। इस बम को स्रोत कोई और नहीं पाकिस्तान है।'

दोनों देशों ने संयुक्त बयान जारी किया
इस्लामाबाद और नई दिल्ली में एक संयुक्त बयान जारी कर दोनों पक्षों ने गुरुवार को कहा कि दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने हॉटलाइन संपर्क तंत्र को लेकर चर्चा की और नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में हालात की सौहार्दपूर्ण एवं खुले माहौल में समीक्षा की। संयुक्त बयान में कहा गया, ‘सीमाओं पर दोनों देशों के लिए लाभकारी एवं स्थायी शांति स्थापित करने के लिए डीजीएमओ ने उन अहम चिंताओं को दूर करने पर सहमति जताई, जिनसे शांति बाधित हो सकती है और हिंसा हो सकती है।’ इसमें कहा गया, ‘दोनों पक्षों ने 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से नियंत्रण रेखा एवं सभी अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम समझौतों, और आपसी सहमतियों का सख्ती से पालन करने पर सहमति जताई।’

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