नई दिल्ली। कहा जाता है कि अगर विकास की गाड़ी बेपटरी होकर प्रकृति से छेड़छाड़ करने लगे तो संतुलन का खराब होना निश्चित है। आज हम दुनिया के अलग अलग हिस्सों में बिना तय वक्त गर्मी, सर्दी और बारिश की खबरें सुनते और देखते रहते हैं। इसका अर्थयह है कि कहीं न कहीं मानव जात ने अपने विकास के प्रकृति से भिड़ रहा है। उसी संतुलन को बनाए रखने के लिए दुनिया भर के 191 देश एक मंच पर आए और विश्व मौसम विज्ञान संगठन का नाम दिया। यह संगठन वैसे तो साल के 365 दिन काम करता है। लेकिन लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए एक खास दिन मुकर्रर किया गया है। 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
‘महासागर, जलवायु और मौसम’ 2021 की थीम
विश्व मौसम विज्ञान दिवस को मनाए जाने के पीछे मुख्य वजह यह है कि जिस तेजी के साथ बदलाव सामने नजर आ रहे हैं उन चुनौतियों को किस तरह से दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही लोगों को प्रकृति से जोड़ने की मुहिम चले ताकि लोग जागरूक हो सकें। विश्व मौसम संगठन की ओर से मौसम विज्ञान दिवस मनाए जाने में मुख्य योगदान रहा है।विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने इस साल के थीम को ‘महासागर, जलवायु और मौसम’ रखा है।
जिनेवा में है विश्व मौसम विज्ञान संगठन का मुख्यालय
1950 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना की गई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटजरलैंड में है। सदस्य देश 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस को विशेष रूप से मनाते हैं. इसके लिए कई प्रकार के आयोजन और कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जिसमें मौसम के प्रति जागरूकता फैलाई जाती है।
191 देश विश्व मौसम विज्ञान संगठन के सदस्य हैं। इस संगठन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी प्राकृतिक आपदा के बारे में जानकारी देकर सदस्य देशों को सचेत करना होता है। बाढ़, भूकंप से लेकर वायुमंडल में हो रहे बदलाव के बारे में जानकारी दी जाती है। मौसम विज्ञान दिवस के दिन दुनियाभर में कई प्रकार की संवाद का आयोजन किया जाता है। इसमें वैज्ञानिक मिलकर अपने विचार एक-दूसरे के सामने रखते हैं.
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