लखनऊः पिछले काफी दिनों से अपराध को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर विपक्ष के निशाने पर है। राज्य में ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिससे लोगों का दिल दहल गया। 2017 के बाद जबसे राज्य में भाजपा की सरकार बनी है। राज्य में अपराधी बेलगाम हो गए हैं। हालांकि, सरकार का दावा है कि अपराधी जेलों के अंदर हैं। लेकिन जेल में भी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। अपराधी इतने शातिर हो गए हैं कि जेल में खडयंत्र रचकर दुश्मन की जान का सौदा कर चुके हैं। इसके अलावा बुलंदशहर की घटना सबको याद है जिसमें भीड़ ने पुलिस इंस्पेक्टर को जान से मार दिया था। अभी हाल ही में संभल में जेल से अपराधियों को पेशी पर ले जा रही पुलिस टिम पर हमला हुआ जिसमें पुलिस वालों की जान चली गई और अपराधी पुलिस का हथियार लूटकर फरार हो गए। उसी दौरान सोनभद्र के घोरावल में आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने आए दूसरे गांव के प्रधान ने धुआंधार गोलियां चलवाकर तकरीबन दस लोगों की जान ले लिया और दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए।
इस नरसंहार पर सरकार को तत्काल कदम उठाने पड़े, लेकिन कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के धरने पर बैठने से सरकार बैकफुट पर आ गई और पीड़ितों के परिजनों से प्रियंका गांधी से मिलवाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी बीच, राज्य के अलग-अलग हिस्सों से हत्या की घटनाओं की खबरें भी आईं। मीडिया की सक्रियता से कई जिलों की घटनाओं की पर्दाफाश हुआ। पूरब से लेकर पश्चिम तक राज्य में अपराधिक घटनाओं की मानो बाढ़ सी आ गई। लोगों में इस बात को लेकर चर्चाएं होने लगीं कि इस सरकार में अब कोई सुरक्षित नहीं है।
अगर अपराधी जेल में है, तो उसके दुश्मनों की नजरें उस पर बनी हुई हैं। गैंग के दूसरे लोग अपने आका का साथ निभाने के लिए तरह-तरह के हथकंड़े अपनाकर जेल में ही हत्या करवाने की सुपारी ले रहे हैं। बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या इस तरह के अपराध का एक बड़ा नमूना है। इसी तरह से जेल के अंदर रहकर बाहर पीड़ितों या फिर गवाहों की हत्या करवाना अब धीरे-धीरे आम बात होती जा रही है। जेल में मोबाइल फोन धड़ल्ले से इस्तेमाल किए जा रहे हैं। जिसकी वजह से अपराध और बढ़ते जा रहे हैं।
रायबरेली कांड का उन्नाव और सीतापुर कनेक्शन, यू हीं नहीं एक बार फिर शक के दायरे में कुलदीप सिंह सेंगर
उन्नाव रेप कांड का आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर जेल में है। लेकिन उसके गुर्गे उसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। उन्नाव रेप कांड की पीड़िता की हत्या की पूरी कोशिश की गई। रेप पीड़िता का परिवार रायबरेली की जेल में बंद उसके चाचा से मिलकर वापस आ रहा था। उसके साथ उसका वकील और चाची भी थीं। लेकिन उसके साथ सरकारी गनर नहीं थे। रेप पीड़िता को सरकार की तरफ से सुरक्षा मुहैया कराई गई है। सुरक्षा में तीन महिला पुलिस और एक पुरुष पुलिस की तैनाती की गई है। दुर्घटना के वक्त उसके साथ कोई भी सुरक्षा कर्मी मौजूद नहीं था। बताया यह जा रहा है कि उसकी गतिविधियों के बारे में साथ लगाए सुरक्षा कर्मी में से कोई एक या सभी मिलकर कुलदीप सिंह सेंगर को जानकारी दे रहे थे। हालांकि, इसका कोई पक्का सुबूत नहीं है।
उन्नाव रेप केस की पीड़िता एक्सीडेंट के बाद गंभीर रूप से घायल, मां और चाची की मौत
लेकिन जिस तरह से ट्रक ने कार को टक्कर मारी है और ट्रक के नंबर प्लेट पर कालिख पोती गई थी, उससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि यह एक सुनियोजित दुर्घटना थी। अगर सरकार इस तरह के अपराध पर लगाम लगा पाने में असमर्थ रहती है तो आम लोगों का जीना दुभर हो जाएगा। ऐसे में सरकार के क्रियाकलापों पर सवालिया निशान लगना लाजिमी है।
(डिस्क्लेमर : मनोज यादव अतिथि लेखक हैं और ये इनके निजी विचार हैं। टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)
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