नई दिल्ली : हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। इस चुनाव के लिए राजनीतिक दलों के बीच चुनावी-प्रचार जोर पकड़ चुका है। सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। हालांकि, मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), इनेलो और कांग्रेस के बीच है। भाजपा को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में वह एक बार फिर सरकार बनाने में कामयाब होगी। पारिवारिक लड़ाई से जूझ रही इनेलो भी अपना खम ठोक रही है जबकि कांग्रेस को भरोसा है कि सत्ता विरोधी लहर का लाभ उसे मिलेगा और वह एक मतदाताओं के समक्ष एक विकल्प के रूप में उभरेगी।
हरियाणा में 2014 के विधानसभा चुनाव के वोट शेयर की अगर बात करें तो भाजपा को 33.30%, इनेलो को 24.20%, कांग्रेस को 20.70% और अन्य को 21.80% वोट मिले। भाजपा ने इस चुनाव में 47 सीटें जीतीं और राज्य में अपनी पहली सरकार बनाई। गत लोकसभा चुनाव में इस राज्य में भाजपा को अप्रत्याशित सफलता मिली है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां की सभी 10 सीटें जीतने में कामयाब हुई है। इस सफलता से भगवा पार्टी का आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ है और वह इस बार मिशन-75 पर काम कर रही है। लोकसभा में चुनाव में भाजपा को 58 प्रतिशत वोट मिला। हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं।
भाजपा का मानना है कि लोकसभा चुनावों में उसे जो वोट मिला और इस सफलता को वह विधानसभा चुनाव में यदि दोहराने में कामयाब हो जाती है तो उसे 79 सीटों पर जीत मिल सकती है। इसलिए, वह मिशन-75 को वास्तविकता में बदलना चाहती है।
लोकसभा जैसे वोट पैटर्न का दोहराव यदि विधानसभा में चुनाव में हुआ तो कांग्रेस, इनेलो और अन्य को काफी नुकसान हो सकता है। गत लोकसभा चुनाव में इनेलो को 1.8%, कांग्रेस को 28.4 और अन्य को 11.8 प्रतिशत वोट मिले।
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