हरियाणा में विधानसभा चुनाव( Haryana assembly polls) 21 अक्टूबर को होने जा रहा है और 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम घोषित होगा। हरियाणा में विधानसभा में कुल सीटें 90 है और राज्य में कुल मतदाता हैं 1.28 करोड़। 2019 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी को 10 में से 10 सीटें मिली थी और उस परिणाम को विधान सीटों में कन्वर्ट करने पर बीजेपी को 79 सीटों पर बढ़त मिली थी इसलिए कहा जा रहा है कि क्या बीजेपी हरियाणा विधानसभा चुनाव में 79 सीटें जीत पाएगी? आइए इस सवाल का उत्तर ढूँढने के लिए हिस्टॉरिकल डेटा देखते हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2014
पार्टी | सीटें | वोट % |
बीजेपी | 47 | 33.3 |
आईएनएलडी | 19 | 24.2 |
कांग्रेस | 15 | 20.7 |
अन्य | 09 | 21.8 |
कुल | 90 | 100 % |
डेटा: 1 के अनुसार 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 90 में से 47 सीटें मिली थीं और पहली बार बीजेपी ने स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाई थी और साथ ही पहली बार नॉन जाट यानि पंजाबी मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने। हालांकि कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्यमंत्री खट्टर अपने कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाएंगे क्योंकि जाट बहुल राज्य में एक पंजाबी वो भी बिना अनुभव वाले खट्टर का समय से जाना तय लग रहा था लेकिन मुख्यमंत्री खट्टर ने अपना कार्यकाल भी पूरा किया और 2019 के लोक सभा चुनाव में अपनी पार्टी बीजेपी को 10 में से 10 सीट भी जितवा दिये। इस चुनाव में सबसे बड़ा नुकसान हुआ काँग्रेस को जिसने भूपिंदर सिंह हुडा के नेतृत्व में 10 साल शासन किया था और सत्ता में वापस आना तो दूर 15 सीट जीतकर तीसरे नंबर चले गए। आईएनएलडी ने 19 सीट जीतकर दूसरे नंबर पर रही। अन्य के खाते में गया 9 सीट।
हरियाणा लोकसभा चुनाव 2019
पार्टी | सीटें | वोट % |
बीजेपी | 10 | 58.0 |
आईएनएलडी | 0 | 1.8 |
कांग्रेस | 0 | 28.4 |
अन्य | 0 | 11.8 |
कुल | 10 | 100 % |
डेटा: 2 के अनुसार 2019 के लोक सभा चुनाव में हरियाणा में बीजेपी ने 10 में से 10 सीट जीत कर एक इतिहास बना दिया और इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी ने 58 फीसदी वोट लेकर दूसरा इतिहास बना दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोदी लहर ने काँग्रेस और आईएनएलडी को पूरी तरह सफाया कर दिया। आईएनएलडी का तो पूरी तरह सुपरा ही साफ हो गया और पार्टी अपना खाता तक नहीं खोल पाई। जहां तक काँग्रेस का सवाल है काँग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडा और उनके बेटे दिपिंदर सिंह हुडा अपनी सीट तक नहीं बचा पाए। मोदी लहर और मुख्यमंत्री खट्टर के कमाल ने पूरे हरियाणा में बीजेपी का परचम फहरा दिया।
हरियाणा लोकसभा चुनाव 2019 में विधानसभा चुनाव में बढ़त
पार्टी | विधानसभा 2014 | 2019 में बढ़त | सीटों में स्विंग |
बीजेपी | 47 | 79 | 32 |
आईएनएलडी | 19 | 01 | -18 |
कांग्रेस | 15 | 10 | -5 |
अन्य | 09 | 0 | -9 |
कुल | 90 | 90 |
अब सबसे अहम प्रश्न उठता है कि क्या बीजेपी हरियाणा में 79 सीटें जीत पाएगी? हरियाणा बीजेपी के नेता बार बार दाबा करते फिर रहे हैं कि अबकी बार बीजेपी हरियाणा में 75 से ज्यादा सीटें जीतेगी। सवाल है कि बीजेपी ऐसा दाबा किस आधार पर कर रही है। इस प्रश्न का उत्तर हिस्टॉरिकल डेटा दे रही है। देखिये कैसे? डेटा: 3 के अनुसार यदि 2014 विधानसभा चुनाव और 2019 लोक सभा चुनाव के परिणामों की तुलना करें तो एक बहुत ही महत्वपूर्ण और स्पष्ट सच्चाई सामने आ रही है। बीजेपी को 2014 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटें मिली थी जबकि 2019 के लोक सभा परिणाम के विधानसभा बढ़त के रूप में देखने पर पता चलता है अबकी बार बीजेपी की बढ़त 79 सीटों पर हो रही है। कुल मिलाकर 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 47 सीटें मिली थी जबकि 2019 लोक सभा चुनाव परिणाम को विधानसभा में बढ़त के हिसाब से 32 सीटों का इजाफा हो रहा है। दूसरी तरफ विपक्ष का सफाया होता दिख रहा है। यानि 2019 लोक सभा चुनाव परिणाम के हिसाब से काँग्रेस को मात्र 10 और आईएनएलडी को 1 सीट पर बढ़त मिल रही है।
कुल मिलाकर डेटा का विश्लेषण बहुत कुछ कहता है:
पहला, 2019 लोक सभा चुनाव को आधार मानकर देखने पर पता चलता है कि बीजेपी को आने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में 79 सीटें मिल सकती है। साथ ही 2019 लोक सभा चुनाव में बीजेपी को 58 फीसदी वोट मिले थे जो अपने आप में बहुत कुछ कहता है
दूसरा, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार को हद तक नियंत्रित कर लिया है। मुख्यमंत्री खट्टर ने ये जरूर साबित कर दिया है कि खट्टर हरियाणा के चौथे लाल हैं जो अपने हिसाब से हरियाणा की राजनीति को घूमा रहे हैं।
तीसरा, मुख्यमंत्री खट्टर नॉन जाट वोट को अपने साथ रखने में कामयाब हो गए हैं। जाट वोट पूरी तरह डिवाइडेड है और बीजेपी में भी चौधरी बीरेंदर सिंह सरीखे जाट नेता हैं जिनका भी अपना एक खास आधार है जिसे नकारा नहीं जा सकता है।
चौथा, ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी आईएनएलडी आज अपनी वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रही है क्योंकि चौटाला परिवार कई खेमों में बंट चुकी है जो कि एक जमाने में हरियाणा में एक सशक्त क्षेत्रीय पार्टी हुआ करती थी और पूरा जाट समुदाय उनके साथ साथ चला करती थी लेकिन आज वो आधार एक इतिहास बन चुकी है।
पाँचवाँ, काँग्रेस में भूपिंदर सिंह हुडा बनाम अशोक तंवर ने पार्टी को नस्त नाबूत कर दिया है और आंतरिक कलह रुकने का नाम नहीं ले रही है। जैसे हुडा अशोक तंवर के पीछे धो के पड़े हुए थे ठीक उसी प्रकार अब अशोक तंवर हुडा के पीछे पड़े हुए हैं। खास बात ये है कि अशोक तंवर एक पढे लिखे नेता हैं साथ ही दलित जाति से आते हैं और हरियाणा में दलित वोटरों की खास तादाद है और चुनाव के पूर्व संध्या पर जिस तरह से अशोक तंवर को राज्य काँग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाया गया है उसका परिणाम काँग्रेस को भुगतना पर सकता है।
छठा , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोदी लहर अपने उफान पर है जिसमें कोई कमी नहीं आई है खासकर के जबसे जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटाया गया है तब से इस उफान में और भी तेजी आ गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के लिए ब्रह्माष्ट्र साबित होते रहे हैं।
अतः हिस्टॉरिकल डेटा और हरियाणा के वर्तमान राजनीतिक हालात के आधार पर यही कहा जा सकता है कि हरियाणा में बीजेपी विधानसभा के 90 में से 79 सीट सकती है लेकिन इस नंबर की सच्चाई को परखने के लिए हमें 24 अक्तूबर तक इंतज़ार करना होगा। हाँ ये जरूर है कि राजनीति और क्रिकेट में अनुमान लगाना कठिन जरूर होता है।
(लेखक बीरेंद्र चौधरी टाइम्स नाउ में न्यूज एडिटर हैं।)
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