Exclusive: 1971 War के दौरान Air Force ने इस तरह दिया था 2 जटिल ऑपरेशंस को अंजाम

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Updated Dec 16, 2021 | 11:22 IST

भारत की 1971 के युद्ध में जीत और बांग्लादेश के गठन के आज 50 साल पूरे हो रहे हैं। कैसे यह युद्ध शुरू हुआ और किस तरह अंत हुआ, इसके बारे में बता रहे हैं तत्कालीन एयर कोमोडोर राम मोहन श्रीधर-

मुख्य बातें
  • 1971 के भारत पाक युद्ध में जीत की आज है 50वीं वर्षगांठ
  • इस युद्ध में पाकिस्तान की हुई थी करारी शिकस्त, बांग्लादेश का हुआ था गठन
  • इस युद्ध में कैसे वायुसेना ने दिया ऑपरेशंस को अंजाम, जानिए पूर्व वायुसेना अधिकारी की जुबानी

नई दिल्ली: 1971 में भारत और पाकिस्तान ने एक निर्णायक युद्ध लड़ी. इस युद्ध में भारत ने बड़ी जीत हासिल की और इस जीत को हासिल करने में देश की तीनों प्रमुख सेनाओं ने साथ दिया। इस खास वीडियो में एयर कोमोडोर राम मोहन श्रीधर बता रहे हैं कैसे उन्होंने 2 बड़े ऑपरेशंस को अंजाम दिया और दुनिया में पहली बार सबसे बड़ा हेलीड्रॉप भारत ने कर के दिखाया था। ये 2 मिशंस थे ऑपरेशन सिलहट और ऑपरेशन मेघना।

तब के वायु सेना अफसर ने बताया कैसे शुरू हुआ था युद्ध

इस खास वीडियो में एयर कोमोडोर राम मोहन श्रीधर (रिटायर) ने बताया,  'दो साल में मेरा पूरा ट्रेनिंग दिन और रात इस मी 4 हेलीकॉप्टर, जो रशियन था उसमें लगा था। इस हेलीकॉप्टर में 15-20 ट्रूप्स को ले जा सकते हैं। ये रोल आर्मी का हमारे लिए था कि हम घायल लोगों को बैटल फील्ड से बाहर निकालें। सैनिक को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी हमारा रोल था। मार्च 1971 में काफी शरणार्थी ईस्ट पाकिस्तान जो असाम से जुड़ा हुआ है वहां से आ रहे थे और पीएम इंदिरा गांधी ने हमें युद्ध के लिए तैयार होने का आदेश दे रखा था। जनरल सगत सिंह जो 4 कोर कमांड के हेड थे, उन्होंने बताया कि हमारे पायलट्स को ट्रेंड्स किया गया है सैनिकों को लेने और ले जाने के लिए। हमारी यूनिट में 10 हेलीकॉप्टर और 20 पायलट थे और हम युद्ध से शुरू होने से पहले ही ट्रेंड हो गए थे हर रोल में। 3 दिसंबर 1971 में पीएम इंदिरा गांधी ने युद्ध की घोषणा की जब पाकिस्तान ने वेस्टर्न सेंटर में अटैक किया था।' वीडियो में  एयर कोमोडोर राम मोहन श्रीधर ने कई और खुलासे किए हैं जिसे आप यहां देख सकते हैं-

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आपको बता दें कि 1971 में 16 दिसंबर को 93,000 सशस्त्र पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के 13वें दिन ठीक 4 बजकर 21 मिनट पर युद्धविराम पर हस्ताक्षर किए गए थे। जनरल नियाज़ी द्वारा हस्ताक्षरित आत्मसमर्पण की ऐतिहासिक तस्वीर और युद्धविराम समझौते को लेकर दिल्ली  में एक फोटो प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है।

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