Gyanvapi पर सुनवाई के दौरान PFI का भड़काऊ बयान,कहा- मस्जिदों के खिलाफ किसी भी आंदोलन का विरोध करें

Gyanvapi पर महासंग्राम जारी है| Gyanvapi पर सुनवाई के दौरान PFI ने भड़काऊ बयान दिया है कहा कि 'देश में कोई भी कही भी दावा कर रहा है, Court ने सबूतों पर दावों को नहीं परखा'।

Ahead of gyanvapi hearing, PFI provocative statement says resist any movement against mosques
Gyanvapi पर सुनवाई के दौरान PFI का भड़काऊ बयान 
मुख्य बातें
  • ज्ञानवापी पर PFI की जहरीली जुबान, कोर्ट में मसला फिर सवाल क्यों?
  • वजूखाने के इस्तेमाल पर रोक निराशाजनक- PFI
  • पीएफआई ने कहा- पूजास्थलों के खिलाफ जारी चालों का करें प्रतिरोध

PFI on Gyanvapi: वाराणसी के ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद से ही देशभर में कई धार्मिक स्थलों को लेकर एक बहस सी छिड़ गई है। अब मथुरा की मस्जिद का विवाद जारी है जबकि राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश से भी कई जगहों से विवादित स्थलों का सर्वे कराने की मांग उठ रही है। इन सबके बीच इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने एक बैठक की है जिसमें फैसला लिया गया है कि मस्जिदों के खिलाफ हो रही कार्रवाई का विरोध किया जाएगा।

क्या कहा पीएफआई ने

पीएफआई ने एक बयान जारी करते हुए कहा, 'ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा शाही ईदगाह मस्जिद के खिलाफ संघ परिवार के संगठनों की बद-इरादे वाली हालिया याचिकाएं पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के सरासर खिलाफ हैं और अदालतों को इन्हें मंजूर नहीं करना चाहिए था। स्वयं सर्वोच्च न्यायालय का ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को बाकी रखना अत्यंत निराशाजनक है। अदालतों ने इस प्रकार के दावों को तथ्यों और सबूतों के आधार पर परखने की आवश्यकता भी महसूस नहीं की, जिससे यह प्रभाव पड़ता है कि देश में कोई भी कहीं भी किसी भी पूजा स्थल के बारे में ऐसे दावे कर सकता है। जिसके परिणाम स्वरूप सांप्रदायिक तत्व अब देश के कई हिस्सों में मस्जिदों को निशाना बना रहे हैं। जिसका ताजा उदाहरण कर्नाटक के मेंगलौर में जामा मस्जिद पर दावा है। यह कभी न खत्म होने वाली सांप्रदायिक दुश्मनी और अविश्वास का कारण बनेगा।'

PFI ने कहा कि हम अदालत से अपील करते हैं कि वह पूजा स्थल कानून 1991 के साथ न्याय करे और देश के किसी भी समुदाय की किसी पूजा स्थल के दर्जे में बदलाव चाहने वाली सांप्रदायिकता पर आधारित याचिकाओं के सिलसिले पर रोक लगाए। पॉपुलर फ्रंट की जनता से अपील है कि वह मुसलमानों के पूजा स्थलों पर कब्जे की हिंदुत्व चालों का आगे बढ़कर प्रतिरोध करें।

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बीजेपी का गैर - अदालती तरीका कानून केराज के लिए खतरा

पीएफआई ने कहा, 'बीजेपी शासित राज्यों में गैर-अदालती तरीके का इतना इस्तेमाल देश में कानून के राज के लिए खतरा है। एनकाउंटर, संपत्तियों पर बुलडोजर चलाना और हिरासत में हत्या जो योगी के उत्तर प्रदेश में आम बात बन चुकी है, अब बीजेपी शासित अन्य राज्य भी इन तरीकों को अपना रहे हैं। असम पुलिस ने हाल ही में गौ-तस्करी के आरोप में दो मुस्लिम युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी। रामनवमी रैली की आड़ में हिंदुत्व हिंसा के बाद बीजेपी की राज्य सरकारों ने विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बनाया।'

बयान में आगे कहा गया है, 'मध्य प्रदेश, असम, दिल्ली और गुजरात में मुसलमानों की संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया गया। यह कानूनी प्रक्रिया के प्रति भाजपा के अंदर बढ़ती अवहेलना का सबूत है। जो आखिर में अराजकता का कारण होगा। अगर कोई अपराध होता भी है तो पुलिस और जिला प्रशासन के पास नागरिकों को सजा देने का कोई अधिकार नहीं है। कोई अपराधी है या नहीं और उसे क्या सजा देनी है यह फैसला करना अदालतों की जिम्मेदारी है। कानून के समक्ष बराबरी का अधिकार और कानूनी प्रक्रिया सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार है। यह दुर्भाग्य की बात है कि अदालतें क्रूर गैर-अदालती कार्यवाहियों को रोकने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर रही हैं। इसलिए वक्त की जरूरत है कि सभी समझदार नागरिक इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।'

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