Bengal violence: बंगाल हिंसा की CBI जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार

West Bengal : चुनाव बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा की जांच सीबीआई कर रही है। हिंसा मामले में जांच एजेंसी ने अब तक 31 केस दर्ज किए हैं। इस जांच के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

Bengal post-poll violence: Mamata govt moves Supreme Court against CBI probe
बंगाल हिंसा की CBI जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं ममता बनर्जी।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की जांच कर रही है सीबीआई
  • 2 मई को चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा कार्यालयों पर हुए हमले
  • भाजपा ने इन हमलों में टीएमसी की संलिप्तता का आरोप लगाया है

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच के खिलाफ ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। ममता सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा है कि सीबीआई राजनीतिक दबाव में काम करती है, इसलिए उसकी जांच पर उसे भरोसा नहीं है। कुछ दिनों पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई को बंगाल हिंसा की जांच करने का आदेश दिया। सीबीआई ने मंगलवार को राजनीतिक हिंसा मामले में 10 और केस दर्ज किया। इसके साथ ही इस हिंसा मामले में दर्ज प्राथमिकी की संख्या बढ़कर 31 हो गई है। 

हिंसा पर एनएचआरसी ने सौंपी थी रिपोर्ट
हाई कोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम ने कथित हिंसा मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के बाद हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश दिया। बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मई को आए। नतीजे आने के बाद राज्य भर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय, उसके नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को निशाना बनाकर हमले हुए। भाजपा इन हमलों के लिए टीएमसी को जिम्मेदार बताया। हालांकि, टीएमसी इन हमलों में अपनी संलिप्तता से इंकार करती आई है।  

'सीबीआई से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं'
राज्य सरकार ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में आरोप लगाया है कि उसे केंद्रीय एजेंसी से निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच की उम्मीद नहीं है जो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने में व्यस्त है। इससे पहले वकील अनिंद्य सुंदर दास ने शीर्ष अदालत में एक ‘कैविएट’ याचिका दायर कर आग्रह किया था कि यदि राज्य या अन्य वादी अपील करते हैं तो उनकी सुनवाई के बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए। 

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