द्रौपदी मुर्मू का पार्षद से राष्ट्रपति भवन तक का सफर, उनके गांव से एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

राष्ट्रपति चुनाव की रेस में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू विपक्ष की उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी मतों के अंतर हरा दिया है। हमारी संवाददाता नैना यादव देश की महिला आदिवासी राष्ट्रपति चुनी जाने वाली द्रौपदी मुर्मू के घर पहुंची। देखिए स्पेशल रिपोर्ट।

Draupadi Murmu's journey from councilor to Rashtrapati Bhavan, exclusive report from her village
द्रौपदी मूर्मू के जन्म और कर्मभूमि से रिपोर्ट 

पहली बार आदिवासी समाज की कोई महिला देश की राष्ट्रपति बनने जा रही हैं। रायसीना पहुंचने वाली वो देश की दूसरी महिला नेत्री होंगी। और स्वतंत्र भारत में जन्मी पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। दिल्ली से लेकर द्रौपदी मुर्मू के गांव तक से एक्सक्लूसिव रिपोर्ट दिखाएंगे। साथ ही जिस आदिवासी समाज से द्रौपदी मुर्मू आती हैं, देश में उनका हाल क्या है, इससे जुड़ी एक रिपोर्ट आपके सामने होगी।

तो जो तय था। जिसकी उम्मीद थी। वही हुआ। द्रौपदी मुर्मू देश की मैडम प्रेसिडेंट बनने वाली हैं। वो देश की प्रथम नागरिक बनने जा रही हैं। अब से कुछ देर पहले राष्ट्रपति चुनाव का रिजल्ट आया और द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति का ये चुनाव बड़ी मार्जिन से जीत गईं। विपक्ष के उम्मीदवार की हार हुई। तो जैसे ही ये आधिकारिक हुआ कि मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति बनेंगी, पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुर्मू के घर पहुंचे। उनसे मुलाकात की। बधाई दी।

एक आदिवासी महिला के राष्ट्रपति बनने से लोकतंत्र खुश है। पूरा हिंदुस्तान खुश है। दिल्ली से लेकर ओडिशा और देश के तमाम जगहों पर उत्सव मनाया जा रहा है। मुर्मू जिस गांव से निकलकर रायसीना हिल्स पहुंची हैं, वहां भी हर्ष और उल्लास का आलम है। लोग किस तरह जश्न मना रहे हैं इसकी गवाही तस्वीरें दे रही हैं।

वैसे तो मुर्मू की जीत से पूरा देश खुश है, लेकिन उनका परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है। खासकर उनके भाई का, जिन्होंने बहन को संघर्ष करते देखा। नैना यादव ने उनके भाई से भी बात की।

तो ओडिशा के एक छोटे से गांव से अब मुर्मू रायसीन हिल्स में प्रवेश करने वाली हैं। बतौर राष्ट्रपति। अब हम आपको वहां लेकर चलते हैं, जहां से द्रौपदी मुर्मू की जड़ें जुड़ी हैं। वही मुर्मू, जिन्होंने राज्यपाल रहते हुए आदिवासियों के हक के लिए सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई थीं।

तो आपने वो घर देखा, जहां मुर्मू का बचपन बीता। अब आपको वो जगह दिखाते हैं, जो उनका ससुराल रहा। लेकिन वो मुर्मू ही हैं कि उन्होंने अपने घर को स्कूल में बदल दिया, ताकि आदिवासी बच्चे पढ़ सकें। आगे बढ़ सकें।

जब मुर्मू राजनीति में नहीं आई थीं, तब एक टीचर थीं। जिस स्कूल में वो पढ़ाती थीं, हमारी सहयोगी नैना यादव वहां भी पहुंची। उस स्कूल की दरो दीवार में भी मुर्मू की यादें चस्पा हैं।

द्रौपदी मुर्मू आज की सबसे बड़ी न्यूजमेकर रहीं। लेकिन ये मास्टरस्ट्रोक बीजेपी रहा। क्योंकि बीजेपी ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में अपने उम्मीदवारों के जरिए सर्व समाज और जाति समूह को सामाजिक न्याय का संदेश देने में कामयाब रही। यूं तो राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत सत्ताधारी दल के उम्मीदवार की ही होती है लेकिन अपना वैचारिक पक्ष रखने और एक सांकेतिक विरोध दर्ज कराने में भी विपक्ष चारो खाने चित्त साबित हुआ। 
 

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