Sawal Public Ka: ज्ञानवापी मस्जिद नहीं, मंदिर है, सर्वे में महादेव के सबूत, क्या यह दावा सच है?

ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू प्रतीक चिन्हों, मंदिर से जुड़ी मूर्तियों के होने की बात है। हिंदू पक्ष ने वजूखाने में जिस शिवलिंग के मिलने का दावा किया है, रिपोर्ट कहती है कि आमतौर पर शिवलिंग का जो आकार होता है, वैसा ही इसका आकार मालूम होता है। सवाल पब्लिक का है कि ज्ञानवापी मस्जिद नहीं, मंदिर है, ये जो दावा है वो क्या सच है? 

Gyanvapi is not a mosque, it is a temple, evidence of Mahadev in the survey, is this claim true?  
ज्ञानवापी को लेकर पब्लिक का सवाल 
मुख्य बातें
  • काशी-मथुरा में कोर्ट-कचहरी से मिल जाएंगे भगवान?
  • आस्था के बहाने सच से भाग रहा मुस्लिम पक्ष?
  • तहखाने की दीवार में औरंगजेब का पाप छिपा?

Sawal Public Ka : हमारे पास में इस वक्त सच का सामना कराने वाले दो सबूत हैं। ये वो सबूत हैं जिन्हें साढ़े 350 साल पुराने ज्ञानवापी विवाद का सबसे बड़ा दस्तावेज कहा जा सकता है। दाहिने हाथ में वाराणसी कोर्ट से नियुक्त पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र की रिपोर्ट है। बांयें हाथ में स्पेशल कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की रिपोर्ट है। विशाल सिंह की इस रिपोर्ट में हिंदू पक्ष के उस दावे को बेहद मजबूती मिलती है। जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदू प्रतीक चिन्हों, मंदिर से जुड़ी मूर्तियों के होने की बात है। हिंदू पक्ष ने वजूखाने में जिस शिवलिंग के मिलने का दावा किया है, रिपोर्ट कहती है कि आमतौर पर शिवलिंग का जो आकार होता है, वैसा ही इसका आकार मालूम होता है। सवाल पब्लिक का है कि ज्ञानवापी मस्जिद नहीं, मंदिर है, ये जो दावा है वो क्या सच है? ज्ञानवापी में मिली आकृति फव्वारा नहीं शिवलिंग ही है? 

सोमवार को ज्ञानवापी के सर्वे के बाद हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया था कि वो बाबा मिल गए जिनका इंतजार नंदी को था। हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग होने का दावा किया था। स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह की रिपोर्ट के पेज नंबर 7 पर इस जगह का पूरा ब्योरा है। और ये पूरा ब्योरा ऐसा है जो फव्वारा बताने के दावे का एक तरह से लाई डिटेक्टर टेस्ट करता है। रिपोर्ट के मुताबिक वजूखाने का पानी हटाने पर काली गोलाकार पत्थरनुमा आकृति दिखायी पड़ी जिसकी ऊंचाई लगभग ढाई फीट रही होगी। आप शब्दों पर गौर कीजिएगा काली गोलाकार पत्थरनुमा आकृति। हम आपसे पूछना चाहते हैं कि क्या शिवलिंग ऐसे ही नहीं होते हैं?

रिपोर्ट के मुताबिक गोलाकार डिजाइन के ऊपर अलग सफेद पत्थर दिखायी पड़ा, जिसके बीचों-बीच आधे इंच से कम गोल छेद था। इसमें सींक डालने पर 63 सेमी गहरा पाया गया। मैं पूछना चाहती हूं कि अगर वो गोलाकार पत्थरनुमा आकृति शिवलिंग है तो क्या उससे छेड़छाड़ की कोशिश हुई? रिपोर्ट में आगे बताया कि कैसे मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताने की कोशिश की। पहले इसे 20 साल से बंद बताया गया। फिर 12 साल से इसे बंद बताया गया। रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम पक्ष फव्वारे को चला नहीं सका। रिपोर्ट कहती है कि जिसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है उसमें कोई पाइप की जगह नहीं। मैं पूछना चाहती हूं कि अगर वो फव्वारा है तो उसमें पानी पहुंचाने की व्यवस्था कैसे नहीं थी?

वैसे तो रिपोर्ट में फव्वारे को सीधे-सीधे शिवलिंग नहीं बताया गया लेकिन जैसा कि मैं ऊपर बता चुकी हूं, रिपोर्ट में लिखा गया है कि जो आकृति है वो शिवलिंग मालूम होती है। इस रिपोर्ट से मुस्लिम पक्ष का फव्वारा होने का दावा लाई डिटेक्टर टेस्ट में फेल होता है। स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह की रिपोर्ट से उजागर हुआ है कि ज्ञानवापी में कई हिंदू प्रतीक मौजूद है। तहखाने के अंदर घंटी, कलश, फूल की आकृति के पिलर होने की बात रिपोर्ट में लिखी गई है। तहखाने के भीतर 2 फीट दफ्ती का भगवान का फोटो जमीन पर गिरा पड़ा होने की बात रिपोर्ट में है।

विवादित स्थल के पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूड़ की टूटी कलाकृतियां और दीवार पर स्वास्तिक, त्रिशूल और पान के चिन्ह होने की बात रिपोर्ट में बतायी गई हैं। दीवारों पर घंटी जैसी आकृति की बात रिपोर्ट कहती है। विवादित परिसर के गुम्बद में पत्थरों पर कमल के फूल होने की बात रिपोर्ट ने बतायी है। रिपोर्ट में लिखा है कि मस्जिद की दीवार में स्विच बोर्ड के नीचे त्रिशूल की आकृति पत्थर पर खुदी हुई थी। मुख्य गुम्बद में कैलेंडर के पीछे स्वास्तिक मिलने की बात भी रिपोर्ट में लिखी गई है।

आज पूर्व एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा ने भी अपनी रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट में सौंपी है। उन्होंने 6 और 7 मई को किए गए सर्वे की रिपोर्ट दी है। उस रिपोर्ट में भी हिंदू चिन्हों के होने का सबूत है। इस सबके बावजूद ज्ञानवापी को राजनीति के नजरिये से देखने की कोशिश हो रही है। आपको समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का बयान सुनवाती हूं।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कोर्ट का मामला है। सबसे बड़ी बात ये है कि जिनकी जिम्मेदारी थी सर्वे करने की, आखिरकार वो रिपोर्ट बाहर कैसे आ गई ? हमारे धर्म में तो ये है, हिंदू धर्म में कहीं भी पत्थर रख दो, एक लाल झंडा रख दो, पीपल के पेड़ के नीचे, मंदिर बन गया।

सवाल पब्लिक का

1. ज्ञानवापी में फव्वारा नहीं 'महादेव', क्या सर्वे की रिपोर्ट से साबित हुआ?

2. क्या सर्वे की रिपोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष का दावा मजबूत हुआ?

3. क्या ज्ञानवापी विवाद पर अब फैसले की उम्मीद बढ़ रही है?
 

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