नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार तमाम कदम उठा रही है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिये अपनायी गयी रणनीति को कारगर बताते हुये कहा कि देश में कोविड-19 का परीक्षण जरूरत के मुतबिक पर्याप्त संख्या में हो रहा है और सरकार इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए हर वो जरूरी कदम उठा रही है जो इसके लिए जरूरी हैं।
डाक विभाग कर रहा है विशेष इंतजाम
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने बताया, 'भारतीय डाक ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की है। भारतीय डाक ने विशेष व्यवस्था करके के सामान पहुंचाया है। डाक विभाग पेंशनरों के लिए भी विशेष व्यवस्था कर रहा है। डाक विभाग ग्राहकों को पोस्टमैन के जरिए उनके द्वार तक सविधा मुहैया करा रहा है। जिला प्रशासन तथा एनजीओ के साथ मिलकर डाक विभाग खाद्य सामाग्री भी वितरित कर रहा है।'
कोरोना ग्रोथ फैक्टर में 40 फीसदी की कमी
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'कोरोना मरीजों की संख्या बढ़कर 13,387 हुई है, 437 लोगों की अब तक मौत हुई है। हमारा डबलिंग रेट कम हो रहा है। देश में कोरोना के 80 फीसदी मरीज ठीक हो हैं। लॉकडाउन से पहले कोविड 19 मामलों की डबलिंग रेट लगभग 3 दिन लग रहे थे, पिछले 7 दिनों के आंकड़ों के अनुसार मामलों को डबलिंग रेट अब 6.2 दिनों की है। 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तो डबलिंग रेट देश की डबलींग रेट से भी कम है
19 स्टेट का है ऐसा हाल
लव अग्रवाल ने बताया, '19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कोरोना के मामले दोगुने होने की दर राष्ट्रीय स्तर से भी कम है, उनमें केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, लद्दाख, पुड्डुचेरी, दिल्ली, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, TN, आंध्र प्रदेश, यूपी, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, असम और त्रिपुरा शामिल हैं। ये डबलिंग रेट को और कम करने के लिए हमें अपने कदमों को उसी तरह से उठाना होगा। ग्रोथ फैक्टर को पहले के केसों से कंपेयर किया जाता है। कोरोना के मामले दोगुने होने की दर पिछले 7 दिनों में कम हुई है, ग्रोथ फैक्टर में चालीस फीसदी की कमी आई है।'
लव अग्रवाल ने बताया, 'हमें हर मोर्चे पर कोरोना से लड़ना है। हमारी कोशिश है कि मामलों को बढ़ने से रोका जाए। भारत की स्थिति दूसरे देशों की तुलना में बेहतर है। भारत पहले से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ काम कर रहा है। कोशिश की जा रही है कि वैक्सीनजल्द से जल्द विकसित हो।' संवाददाता सम्मेलन में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन आर गंगाखेड़कर ने बताया कि अभी तक 3 लाख से भी ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं और कल 28 हजार से ज्यादा टेस्ट हुए जिनमें से 4 हजार से ज्यादा टेस्ट निजी लैब में हुए।
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