नई दिल्ली। बुधवार को राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद के साथ साथ दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं ने पूछा कि सरकार बताए कि अभी जम्मू-कश्मीर में हालात कैसे हैं। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि घाटी में आज भी इंटरनेट सेवा बहाल नहीं है, स्कूल पूरी तरह से खुले नहीं हैं, लोगों को दवाइयां नहीं मिल रही हैं, सेब के व्यापारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ये भी पूछा कि सरकार उन नेताओं को रिहा करेगी जो नजरबंद हैं। इन सवालों का गृहमंत्री अमित शाह ने सिलसिलेवार जवाब दिया।
गृहमंत्री अमित शाह जब जवाब देने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने शुरुआत ही इस बात से की पांच अगस्त के बाद जिस तरह की आशंका व्यक्त की गई थी वो निर्मूल साबित हुई है। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पुलिस की गोली से किसी शख्स की मौत नहीं हुई और यह अपने आप में बड़ी कामयाबी है।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गुलामनबी आजाद से कहा कि आजाद साहेब अगर अतीत के पन्नों को खोला गया तो बात बहुत दूर तक जाएगी।
राज्यसभा को जानकारी देते हुए कहा कि 1995 में भारत में मोबाइल का आगमन हुआ और वर्ष 2003 में वाजपेयी जी की सरकार में घाटी में मोबाइल सेवा शुरू की गई। फिलहाल जम्मू-कश्मीर में 59 लाख मोबाइल चालू है, जहां तक इंटरनेट की बात है तो स्थानीय प्रशासन समीक्षा करने के बाद फैसला करेगा। लेकिन वो याद दिलाना चाहते हैं कि यह पहली बार नहीं है कि इंटरनेट सर्विस पर पाबंदी लगी है। लेकिन इस विषय पर कुछ लोगों को सियासत करने की आदत पड़ चुकी है।
अमित शाह ने कहा कि राज्य के 195 पुलिस थानों से धारा 144 को पूरी तरह हटा दिया गया है। कुछ थानों में सीमित समय के लिए धारा 144 लागू की जा रही है और उसका समय रात 8 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक है। सरकार की मंशा है कि जल्द से जल्द उन इलाकों में भी पूरी तरह से राहत मुहैया करायी जाए। इसके साथ ही कहा कि जहां तक अस्पतालों में दवाइयों की उपलब्धता का सवाल है कहीं भी किसी तरह की कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर के दूर दराज इलाकों में दवा की उपलब्धता है।
उन्होंने कहा कि अदालतें, बैंक और स्कूल पूरी तरह से काम कर रहे हैं। राज्य में 20441 खुले हुए हैं, परीक्षाएं हो रही हैं और छात्रों का अटेंडेंस 95 फीसद के पार है। लेकिन जो लोग सवाल उठा रहे हैं उन्हें एक बार जमीन को देखने की जरूरत है। इसके साथ ही सेब किसानों की बात करते हुए अमित शाह ने कहा राज्य में 22 लाख मीट्रिक सेब का उत्पादन हुआ है और जिन किसानों को दिक्कत है वो नैफेड को अपना उत्पाद सीधे बेच सकते हैं।
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