कानपुर हिंसा मामला: दिक्कत नेता से तो हिंदुओं के बायकॉट का मैसेज क्यों?

Rashtravad : कानपुर हिंसा के बाद टीम निजाम कुरैशी WhatsApp ग्रुप में हिंदुओं को अलग-थलग करने की बात हो रही थी। हिंदुओं के बायकॉट की बात चल रही थी। इस चैट से आप से समझ सकते हैं कैसे मुस्लिमों को भड़काया जा रहा है वो भी तब जब इस ग्रुप में समाजवादी पार्टी के नेता शामिल हैं।

Kanpur violence case, Problem with the leader, then why the message of boycott of Hindus?
कानपुर हिंसा को लेकर नया खुलासा 

Rashtravad : कानपुर दंगा एक सोची-समझी साजिश थी और अब उस साजिश की एक-एक परतें खुलने लगी हैं। कल हमने दंगे की प्लानिंग का खुलासा किया था, आज दंगे के लिए पैसे कहां से आए इसका खुलासा हो गया है। एक-एक पत्थरबाजों का रेट क्या था, पेट्रोल बम फेंकने का रेट क्या था और हंगामा करने वालों के लिए क्या रेट था इसका खुलासा भी हो गया है। इतना ही नहीं इसके दंगे के लिए बने व्हाट्सएप ग्रुप, ग्रुप में समाजवादी पार्टी के नेता और PFI के लोगों का क्या कनेक्शन है इस सब पर भी आज बड़े खुलासे होंगे।आप आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं। 

कानपुर में बंद कराने के लिए कई WhatsApp ग्रुप बने थे, इसमें एक ग्रुप था ''टीम निजाम कुरैशी''। समाजवादी पार्टी के स्थानीय सचिव निजाम कुरैशी ने बंद कराने के लिए एक WhatsApp ग्रुप बनाया था। इस ग्रुप में निजाम कुरैशी के अलावा समाजवादी पार्टी के आर्य नगर से विधायक अमिताभ वाजपेयी और सीसामऊ से विधायक इरफान सोलंकी भी शामिल थे। 

इस WhatsApp ग्रुप में हिंदुओं को अलग-थलग करने की बात हो रही थी। हिंदुओं के बायकॉट की बात चल रही थी। इसमें लिखा जा रहा था कि हिंदुओं की दुकानों से सामान मत खरीदो, ला दयाराम नमकिन हाउस, बंसीलाल जनरल स्टोर गुप्ता जी कूलर वाले, गुप्ता जी कूलर वाले जैसों को हमने अपने सिर पर बैठाला है, उसी तरह से हम सब एकजुट होकर नीचे उतार सकते हैं। इस चैट से आप से समझ सकते हैं कैसे मुस्लिमों को भड़काया जा रहा है वो भी तब जब इस ग्रुप में समाजवादी पार्टी के नेता शामिल हैं।

जब हमने TIMES NOW नवभारत पर दंगे वाले ग्रुप में विधायकों के होने की खबर दिखाई तो समाजवादी पार्टी के दोनों विधायकों अमिताभ वाजपेयी और इरफान सोलंकी ने ''टीम निजाम कुरैशी'' व्हाट्स ग्रुप को छोड़ दिया। अमिताभ वाजपेयी और इरफान सोलंकी से व्हाट्सएप ग्रुप में हिंदू विरोधी बातें और हिंसा पर जब सवाल किया गया तो दोनों विधायक के पास कोई जवाब नहीं था। 

इतना ही नहीं, दंगे का मुख्य आरोपी हयात हाशमी कोई छोटा मोटा आदमी नहीं है, बल्कि काफी रसूख वाला व्यक्ति है। उसकी तस्वीरें समाजवादी पार्टी के सचिव और व्हाटस ग्रुप के एडमिन निजाम कुरैशी, विधायक अमिताभ वाजपेयी और इरफान सोलंकी के साथ भी है। इन तस्वीरों से जाहिर होता है कि हयात हाशमी इन्हें अच्छी तरह से जानता था।

कानपुर हिंसा को लेकर अब तीसरा बड़ा खुलासा। ये खुलासा है कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड हयात हाशमी पर है। पता चला है कि हयात हाशमी को विदेश से फंडिंग हुई थी। 30 जुलाई 2019 को हयात को विदेश से तीन करोड़ 54 लाख रुपये भेजे गए थे। इसके बाद सितंबर 2021 में भी हाशमी को विदेश से 98 लाख रुपये भेजे गए। अभी हयात के खाते में 1करोड़ 87 लाख रुपये हैं। हयात हाशमी इस वक्त कानपुर पुलिस की गिरफ्त में है और उससे लगातार पूछताछ हो रही है। पुलिस हयात के खातों की जांच में जुटी है। 

अच्छा ऐसा है कि सिर्फ, विदेशों से फंडिंग ही नहीं हुई बल्कि पत्थरबाजों को पैसे भी दिए गए। सूत्रों के मुताबिक पत्थरबाजों को पथराव के लिए 500 रुपये से 700 रुपये तक दिए गए। इसमें दुकान बंद कराने से लेकर रैली में शामिल होने तक की बात कही गई है। वहीं पेट्रोल बम के लिए एक लीटर पेट्रोल के पैसे और पूरे दिन की दिहाड़ी तक दी गई। पेट्रोल बम के लिए 700 से 900 रुपए दिए गए। पत्थरबाजों को खाने और खिलाने का इंतजाम अलग से था। हांलाकि अभी ये सब कंफर्म नहीं हुआ है।

अब बात पॉप्यूलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI की। कल ही PFI ने एक बयान जारी कर बड़ी-बड़ी बातें कही थीं, दावा किया था कि कानपुर दंगे से उसका कोई लेना देना नहीं है। और कल ही शाम में पुलिस ने दंगे के आरोप में PFI के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। पहला नाम है मोहम्मद उमर का, ये कानपुर में हिंसा के वक्त मौजूद था। दूसरा नाम है। सैफुल्लाह का, ये भी दंगे के दौरान मौके पर मौजूद, हिंसा में शामिल था। हिंसा के वक्त था मौजूद। और तीसरा नाम है मोहम्मद नसीम का। इस पर भी दंगे में शामिल होने और भड़काने का आरोप है। 

कानपुर हिंसा में पत्थरबाजों पर कार्रवाई हो रही है, लेकिन वो मौलाना जो लोगों को हिंसा करने के लिए भड़का रहे थे या अब भी भड़का रहे हैं उनपर कार्रवाई कब? हम आपको दो बयान सुनवाते हैं, दोनों मौलानाओं को सुनिए, सोचिए कि ऐसी बातें कहने वाले मौलानाओं पर तब कार्रवाई नहीं होगी। तब तक दंगे कैसे रुकेंगे। 

काजी हाजी अब्दुल कुद्दुस, कानपुर- अगर इस तरह का कोई कदम उठाया गया तो सिर पर कफन बांध कर लोग निकल भी आएंगे, ज्यादा दिन इंतजार भी नहीं कर पाएंगे। ज्यादती की इंतहा, सब्र की इंतहा हो गई है। अगर यही होना है तो ठीक है। ये बिल्कुल जायज बात है कि एकतरफा कार्रवाई हो रही है। 90%-95% मुस्लिमों पर कार्रवाई हो रही है, 2-4% हिंदुओं पर कार्रवाई हो रही है, 10% उनकी मान लीजिए। इस एपिसोड को अगर दूसरी तरह से देखा जाए तो ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुस्लिम ही खाली इसमें मुजरिम हैं मुसलमान गया था ये गलती हुई कि जुलूस नहीं निकालना चाहिए लेकिन पत्थर तो ऊपर से आए ना।

मौलाना मुफ्ती नदीम, बूंदी- मेरे नबी की शान में एक शब्द भी बोला तो याद रख लो जबान काट ली जाएगी। हाथ उठाओगे हाथ काट ली जाएगी, उंगली उठाओगे, उंगली काट ली जाएगी अगर निगाहें भी उठी तो निकाल कर बाहर फेंक देंगे।

अब राष्ट्रवाद में आज का सवाल है-

कानपुर में चले हर पत्थर पर योगी-मोदी का 'नाम' ?

फंड आया, ग्रुप बना तब हिंसा..फिर टारगेट का रोना भी? 

दिक्कत नेता से तो हिन्दुओं के बॉयकॉट का मेसेज क्यों ?

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