'ओपिनियन इंडिया का' में बात हुई महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की। आजकल अनिल देशमुख कानून को नहीं मानते। जिस राज्य के खुद गृहमंत्री रहे हैं, और जहां उनकी ही सरकार है, वहां वो कानून से भागे भागे फिर रहे हैं। वो खुद विधानसभा में कानून बनाने वालों में हैं। लेकिन, कानून को नहीं मानते। ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है। उन्हें पांच बार पूछताछ के लिए बुलाया गया, लेकिन वो नहीं गए। मुंबई के पूर्व कमिश्नर ने अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि वे गृहमंत्री के पद पर रहते हुए मुंबई के पुलिस अधिकारियों का इस्तेमाल होटल और रेस्टॉरेंट मालिकों से 100 करोड़ की वसूली के लिए कह रहे थे। इसके बाद सीबीआई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था।
देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ चल रही जांच को स्थगित करने की मांग की थी। ईडी द्वारा भेजे जा रहे समन्स को रद्द करने की मांग की थी और संभावित गिरफ्तारी रोकने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने अनिल देशमुख की याचिका की सारी मांगें ठुकरा दी। दिलचस्प ये कि देशमुख साहब कभी बीमारी, कभी कोविड तो कभी उम्र का हवाला देते रहे और पेश नहीं हुए। अब बड़ा सवाल है कि क्या उनकी गिरफ्तारी होने वाली है।
अनिल देशमुख के खिलाफ जो लुक आउट सर्कुलर जारी हुआ है, वो आखिर होता क्या है..कब..क्यों और किसके खिलाफ जारी किया जाता है?
लुकआउट नोटिस का मतलब लुक आउट सर्कुलर (LOC) है
मुख्य उद्देश्य आरोपी व्यक्ति को देश से बाहर जाने से रोकना है
जांच में सहयोग न करने और गुप्त स्थान पर छिपने वाले के खिलाफ नोटिस
वैधता जारी होने की तिथि से एक वर्ष तक
अनिल देशमुख के खिलाफ जारी हुए लुक आउट नोटिस का मतलब क्या है, ये भी जान लीजिए।
अनिल देशमुख अब देश से बाहर नहीं जा पाएंगे।
इनके विदेश जाने पर पाबंदी लग गई है
अगर वो एयरपोर्ट पर कहीं दिखेंगे तो पकड़ लिए जाएंगे
कोर्ट से भी उन्हें किसी तरह का संरक्षण या राहत नहीं है
देशमुख के खिलाफ ये लुक आउट नोटिस जारी करने की नौबत इसलिए आई क्योंकि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में देशमुख से पूछताछ करने के लिए अनिल देशमुख को पांच बार समन भेजा था। लेकिन वो एक बार भी शामिल नहीं हुए। हम आपको वो तारीखें दिखा रहे हैं जब देशमुख को प्रवर्तन निदेशालय ने समन किया था। पहला समन 26 जून को भेजा गया था...दूसरा समन 29 जून को जारी हुआ...तीसरा 3 जुलाई को...चौथा 30 जुलाई को और पांचवां 17 अगस्त को...जब पांचों बार देशमुख चांज एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी हो गया।
तो अनिल देशमुख गिरफ्तार होते हैं या बचने की कोई तरकीब निकाल लेते हैं- ये जल्द पता चल जाएगा लेकिन एक बात साफ है कि कानून बनाने वालों को कानून की फिक्र नहीं है। इस संबंध में एडीआर की एक दिलचस्प रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक कुल 363 सांसद और विधायक आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं और दोषसिद्धि होने पर जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत उन्हें अयोग्य करार दिया जाएगा। केंद्र और राज्यों में 39 मंत्रियों ने भी जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा आठ के तहत दर्ज आपराधिक मामलों की घोषणा की है। कानून की धारा आठ की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान है कि इनमें से किसी भी उप-धारा में बताए गे अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा और उनकी रिहाई के बाद से छह साल की और अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा।
गौरतलब है कि चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एडीआर और 'नेशनल इलेक्शन वाच' ने 2019 से 2021 तक 542 लोकसभा सदस्यों और 1,953 विधायकों के हलफनामों का विश्लेषण किया है। एडीआर के मुताबिक 24 मौजूदा लोकसभा सदस्यों के खिलाफ कुल 43 आपराधिक मामले लंबित हैं और 111 मौजूदा विधायकों के खिलाफ कुल 315 आपराधिक मामले 10 साल या उससे अधिक समय से लंबित हैं।
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