'ओपिनियन इंडिया' में आज जिन 4 मुद्दों पर बात हुई उनमें हैं- रेप पर 'अशुद्ध' पॉलिटिक्स ! माननीय मांगें MORE, कोरोना की 'घर वापसी' और एक शहर का 'कचरा घर'। दिल्ली में 9 साल की बच्ची की संदिग्ध हालातों में हुई मौत पर घनघोर राजनीति हो रही है। बच्ची से दरिंदगी का आरोप है। आरोप 4 लोगों पर है, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि 9 साल की मासूम रविवार शाम वॉटर कूलर से पानी भरने गई थी, इसी दौरान चार लोगों ने पहले रेप किया, फिर उसकी हत्या कर दी। इतना ही हत्या के बाद पोस्टमार्ट से पहले ही शव को जला दिया गया।
1-बेटी श्मशान में कूलर से पानी लेने गई थी
2-श्मशान से आकर किसी ने बताया कि बेटी नहीं रही
3-वाटर कूलर के करंट को बताया मौत की वजह
4-तुरंत अंतिम संस्कार का दबाव बनाया
5-आरोपियों ने कहा पुलिस बुलाने की जरूरत नहीं
6-डराया, पोस्टमॉर्टम कराया तो अंग निकाल लेंगे
7-हमें शक है कि रेप के बाद हत्या की गई
8- शव जला दिया, अब पोस्टमॉर्टम कैसे होगा
1- पहले दिन FIR दर्ज की गई
2- मां के बयान के आधार पर दर्ज FIR
3- मौके से फॉरेंसिक एविडेंस कलेक्ट किये
4- सबूतों को FSL जांच के लिए भेजा
5- आरोपियों को जेल भेजा गया
6- पीड़ित की मां का बयान दर्ज किया
7- बचे हुए शव का पोस्टमॉर्टम किया
8- आरोपियों का नार्को और पॉलीग्रफ टेस्ट कराएंगे
9- ACP रैंक के अधिकारी को जांच सौंपी गई
10- मां का भी बयान मैजिस्ट्रेट के सामने दर्ज
तो ये तो रहे परिवार और पुलिस के पक्ष। लेकिन इस मामले को लेकर किस तरह अशुद्ध राजनीति हो रही है। राहुल गांधी ने दिल्ली की गुड़िया के परिवार से 25 मिनट तक मुलाकात की। दिल्ली के सीएम ने 7 मिनट में मरहम लगाने की कोशिश की। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता 45 मिनट तक कैंट इलाके में रहे। बीजेपी के संबित पात्रा ने 22 मिनट तक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सियासत में इन नेताओं ने 99 मिनट खर्च कर दिया। और इस दौरान देश में 7 रेप हो गए। ये हम नहीं कह रहे। ये नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कह रहे हैं। देश में हर 15 मिनट में 1 रेप होता है। एक घंटे में 4 बलात्कार होते हैं। एक दिन में औसतन 88 दरिंदगी होती हैं। पर इससे किसी को फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ता है तो सिर्फ सियासत से। ये वो देश है जहां रेप पर राजनीति होती है। उसी तरह जैसे इस बार हो रही है।
उससे ज्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि खद्दरधारी रेप या गैंगरेप पीड़ित की जाति देखते हैं। नेताओं को इसी में नफा नुकसान नजर आता है। रेप पर राजनीति उस देश में हो रही है, जहां निर्भया जैसी दरिंदगी हो चुकी है। तब कसमें खाई गई थीं कि आधी आबादी को महफूज रखा जाएगा। उनके लिए बेहतर देश, समाज और माहौल तैयार किया जाएगा, ताकि वो सुरक्षित रह सकें। लेकिन 8 साल बाद भी इस दिशा में कुछ नहीं हुआ। सिवाय सियासत के।
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