'राष्ट्रवाद...देश से बढ़कर कुछ नहीं' में बात हुई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी यानि एएमयू से जुड़े विवाद पर। विवाद एएमयू में लगे पोस्टर को लेकर हुआ है। कल्याण सिंह के निधन पर कुलपति तारिक मंसूर ने शोक जताया था जिसके बाद कुलपति के खिलाफ पोस्टर लगाया गया है। कुछ छात्रों ने कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद को गिराए जाने का दोषी मानते हुए उनके निधन पर कुलपति के शोक जताने का विरोध किया है। साथ ही ये भी लिखा है कि कुलपति तारिक मंसूर का इस तरह शोक व्यक्त करना कुछ लोगों की भावनाओं को आहत करने वाला है। हद तो तब हो गई जब कल्याण सिंह के लिए क्रिमिनल शब्द का इस्तेमाल किया गया। बीजेपी के लिए फासीवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। इस पोस्टर के सामने आने के बाद सियासत तेज हो गई है। विपक्षी दल बीजेपी पर चुनाव आते ही राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं तो बीजेपी इसे देश विरोधी साजिश बता रही है।
ये वही एएमयू है जहां पर जिन्ना से प्यार नजर आता है। जिन्ना के पोस्टर लगाकर वाहवाही की जाती है। आतंकी के एनकाउंटर में मारे जाने पर शोकसभा का आयोजन होता है। लेकिन एक प्रदेश के दो बार सीएम रहे, दो राज्यों के राज्यपाल रहे और राष्ट्रवाद में अहम भूमिका निभाने वाले कल्याण सिंह को शोक संवेदना देने पर विरोध में पोस्टर लगाए जाते हैं। बीजेपी आरोप लगा रही है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कुछ लोग तालिबानी मानसिकता के लोग ऐसी हरकत कर रहे हैं।
विवाद बढ़ने के बाद पोस्टर हटा दिए गए हैं लेकिन पोस्टर लगाने वाला कौन था इसका कोई पता नहीं चल पाया है। पोस्टर लगाकर देश का माहौल खराब करने की साजिश कौन कर रहा है। ऐसे में सवाल हैं
पोस्टर में क्या लिखा
अपराधी के लिए शोक अक्षम्य अपराध
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के उप कुलपति ने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। ये ना सिर्फ शर्मनाक है बल्कि हमारे समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने वाला है। ये A.M.U. की प्रकृति, संस्कृति और परंपरा के खिलाफ है। कल्याण सिंह ना सिर्फ बाबरी विध्वंस के मुख्य गुनहगार हैं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने वाले अपराधी हैं। उप कुलपति की संवेदना उस अलीगढ़ बिरादरी, परंपरा और अलीगढ़ आंदोलन का अपमान है, जो न्याय और निष्पक्षता में विश्वास करता है। हम उप कुलपति के शर्मनाक काम की निंदा करते हैं। वो अपने निहित स्वार्थ के लिए एक ऐसी पार्टी के नेता का समर्थन कर रहे हैं, जो फासीवाद में भरोसा करती है। AMU के छात्र, अलीगढ़ बिरादरी और इतिहास वॉइस चांसरल की बेशर्मी के लिए उन्हें कभी नहीं भूलेगा।
(अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र)
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