उत्तर प्रदेश में आज विपक्ष पर डबल अटैक हुआ है। शुरूआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछली सरकारों के कामकाज करने की तरीकों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले जो सरकार यहां पर थी उसकी नीति थी माफिया को खुली छूट, खुली लूट। आज योगी जी के नेतृत्व में यहां माफिया माफी मांगता फिर रहा है और सबसे ज्यादा दर्द भी, इसका दर्द किसको हो रहा है। सबसे ज्यादा योगी जी के कदमों का दुख माफियावादियों को ही हो रहा है। पहले की सरकार ने अपने कर्म को घोटालों से जोड़ा, अपराधों से जोड़ा। यूपी के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि इन लोगों की पहचान समाजवादियों की नहीं परिवारवादी की बन गई।
आज सिर्फ प्रधानमंत्री ही नहीं बरसे...मुख्यमंत्री योगी भी बरसे और योगी सीधे-सीधे पूरे विपक्ष को चुनौती देते नजर आए। दोनों खंभ ठोककर बोल रहे हैं कि उनकी सरकार में काम बोलता है। लेकिन काम बोलता है का नारा अखिलेश यादव ने दिया था। हमने कुछ आंकड़े निकाले हैं। यूपी सरकार, NCRB और अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से। किसी राज्य का बजट वहां के आर्थिक विकास का एक पैमाना होता है। 2017 में जब अखिलेश जी थे तो यूपी का बजट 2 लाख करोड़ था...अब वो 5 लाख करोड़ से ज्यादा है। 2019 में ही पांच लाख करोड़ था। यूपी की ओवरऑल इकोनॉमी देश में 2017 में 5 वें नंबर पर थी...जब अखिलेश जी थे...2019 में वो दूसरे नंबर पर आ गया। सरकार में फिनान्स का प्रबंधन बहुत बड़ी बात होती है क्योंकि उससे आपकी योजनाओं का जमीन पर क्रियान्वयन होता है। नहीं तो होता ये है कि आप ताबड़तोड़ शिलान्यास करते जाते हैं कंप्लीट उसे आगे की सरकारें करती हैं, क्योंकि फंड वो अलॉट करती है और जाहिर है जो फंड देगा वो क्रेडिट लेगा।
मोदी राज में ये बहुत हुआ..जिसे लेकर विपक्ष हमेशा ये कहता रहा है कि मोदी उनकी यानी विपक्ष की योजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं। इसलिए टैक्स कलेक्शन का गणित भी जान लीजिए। अखिलेश यादव के समय 2017 में 49 हजार VAT टैक्स कलेक्शन था। 12 हजार एक्साइज से आता था। कुल 61 हजार करोड़ रुपए। योगी के समय 2021 में 50 हजार करोड़ VAT से आ रहा, 36 हजार करोड़ एक्साइज से। कुल 86 हजार करोड़ का आंकड़ा है। ये कोरोना का काल है, सराकरों की कमाई गिरी है क्योंकि दो साल से देश में कमोबेश सबकुछ ठप रहा।
अब जानिए निवेश कितना हुआ...2012 से 2016 करीब 4 साल में 25 हजार 81 करोड़ रुपए। वहीं 2017 से 2021 के बीच में 1 लाख 88 हजार करोड़ रुपए। ये मत भूलिए कि ये कोरोना काल है। किसी की नौकरी गई है, इंडस्ट्री बंद है तो निवेश भी प्रभावित हुआ है। अब बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान रैकिंग देखिए। इसमें 2017 में यूपी 12 वें नंबर पर था। 2019 में ये नंबर दो पर आ गया। रोजगार की बात करते हैं क्योंकि ये बड़ा मुद्दा होने वाला है। अखिलेश यादव जी के समय 4 साल में 2 लाख से ज्यादा रोजगार मिले। योगी शासन में 4 साल में करीब पौने सात लाख रोजगार का दावा है। लेकिन सवाल ये भी बड़ा है कि आपकी जेब में कितना पैसा आया। अखिलेश जी के समय प्रति व्यक्ति आय 47 हजार 100 रुपए था...योगी के समय ये 65 हजार 431 हआ। ये कुछ आंकड़े हैं। लेकिन ऐसा नहीं कि सबकुछ योगी जी के समय अच्छा ही हुआ...बहुत कुछ और अच्छा करने की जरूरत है। अखिलेश जी के समय भी सब खराब ही नहीं हुआ...उन्होंने भी कई मोर्चे पर अच्छा काम किया। अब राष्ट्रवाद में जो सवाल है वो ये है कि:
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