नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के इस बयान के बाद कि आजादी के बाद वीर सावरकर (Veer Savarkar) को बदनाम करने की मुहिम चली थी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के यह कहने पर कि सावरकर ने महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के कहने पर दया याचिका दायर (Mercy Plea) की थी, राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बुधवार को कहा कि सावरकर के बारे में ऐतिहासिक तथ्य है कि उन्होंने अपनी रिहाई के लिए माफीनामा लिखा था। इस बीच, सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा है कि यह माफीनामा नहीं था बल्कि जेल में बंद सभी क्रांतिकारियों की रिहाई के लिए यह एक दया याचिका थी।
सावरकर पर लिखी गई पुस्तक के विमोचन के मौके पर संघ प्रमुख ने कहा, 'उस समय हिंदुत्व का विचार रखने और बोलने वाले लोग सामने थे। संघ सामने था। इनको बदनाम करने की मुहिम चली है। स्वतंत्रता के बाद बहुत तेजी से चली है। लेकिन असली लक्ष्य क्या है। आज संघ और सावरकर बहुत टीका टिप्पणी हो रही है। इनका असल मकसद दूसरा है। इसके बाद नंबर लगेगा स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद का। क्योंकि भारत की जो राष्ट्रीयता है उसका प्रथम उद्घोष इन तीनों ने किया है।
राजनाथ ने मंगलवार को कहा, 'वीर सावरकर के खिलाफ झूठ फैलाया गया। बार-बार यह कहा गया कि सावरकर ने ब्रिटिश सरकार के सामने कई बार माफीनामा लिखा। लेकिन सच्चाई यह है कि दया याचिका उन्होंने खुद को रिहा करने के लिए नहीं दाखिल की थी। एक सामान्य कैदी अपने लिए दया याचिका दायर कर सकता है। महात्मा गांधी ने उन्हें माफीनामा दायर करने के लिए कहा था। महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने दया याचिका दायर की। महात्मा गांधी ने सावरकर जी को रिहा करने की अपील की थी, उन्होंने कहा था कि जिस तरह से आजादी हासिल करने के लिए हम शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन चला रहे हैं, वैसे ही सावरकर भी आंदोलन चलाएंगे। सावरकर जी की तरफ से माफीनामा लिखने की बात बेबुनिया और गलत है।'
ओवैसी ने कहा कि इतिहास की सच्चाई सच्चाई रहेगी। देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए जब नेता जी सुभाषचंद्र बोस अपनी इंडियन नेशनल आर्मी बना रहे थे तो सावरकर लोगों को ब्रिटिश सेना में भर्ती होने के लिए कह रहे थे। यह बात भी सच है कि उन्होंने माफीनामा के लिए खत लिखे। सेल्युलर जेल में बंद दूसरे कैदियों ने क्या माफीनामा लिखा? उन्होंने अपनी किताब में मुसलमानों एवं ईसाई के लिए जो बातें लिखी हैं, वह असहिष्णु हैं। ये सब बातें ऐतिहासिक तथ्य हैं। भाजपा और संघ बाद में कहेंगे कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नहीं बल्कि वीर सावरकर हैं।'
सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने कहा है कि यह माफीनामा नहीं था बल्कि जेल में बंद यह सभी क्रांतिकारियों के लिए था। दूसरी बात इसे महात्मा गांधी के कहने पर लिखा गया था। गांधी जी सावरकर को अपना छोटा भाई मानते थे। रंजीत सावरकर ने कहा, 'मुझे यह नहीं पता कि गांधी जी क्या व्यक्तिगत रूप से ऐसा करने के लिए सावरकर जी से कहा था, लेकिन गांधी जी की ओर से 25 जनवरी, 1920 को सावरकर को लिखा गया पत्र मेरे पास है। राजनाथ जी जरूर इस पत्र अथवा किसी अन्य पत्र के बारे में जिसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है, उसका जिक्र कर रहे होंगे। मार्च 1920 में यंग इंडिया में गांधी जी का एक लेख छपा था। इस लेख में गांधी जी ने राजनीतिक क्रांतिकारियों की रिहाई वाले सावरकर की अर्जियों का समर्थन किया था। गांधी जी ने सावरकर को भी अर्जी दायर करने की सलाह दी थी।'
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।