उदयपुर की रहने वाली श्वेता सिंह राठौर ने साइप्रस पोर्ट पर मौजूद एमवी मैरीन नाम के एक जहाज में फंसे अपने पति संजीव सिंह को वहां से निकालने के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है। उनके पति के साथ कुल 10 भारतीय और 3 विदेशी नागरिकों की जान भी खतरे में हैं। इस संबंध में उन्होंने भारतीय दूतावास को पत्र लिखने के साथ ही स्थानीय प्रशासन से भी संपर्क किया है। मामला जहाज की बिक्री को लेकर हुए करार का बताया जा रहा है। कंपनियों के इस करार में वे कर्मचारी उलझ गए हैं जो शिप के क्रू या चालक सदस्यों के रूप में काम कर रहे थे। परंतु अब उन्हें न वेतन मिल रहा है और न ही अन्य किसी तरह की सुविधाएं। यहां तक कि उन्हें धमकियां दी जा रही हैं।
पत्नी श्वेता सिंह राठौर के मुताबिक, उनकी अपने पति से व्हाट्सएप कॉल पर मुश्किल से बात हो पा रही है। जहाज के सभी क्रू मेंबर्स एक तरह से बंधक बना गए हैं। उन्हें साइप्रस पोर्ट अथॉरिटी से भी कोई मदद नहीं मिल पा रही है। ऐसे में विदेश मंत्रालय के तुरंत हस्तक्षेप से ही मदद मिल सकती है। शिप के सदस्यों ने भी भारत सरकार से संपर्क किया है। परंतु उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी है।
जानकारी के मुताबिक एमवी मरीन शिप अब लीबिया की नई कंपनी का है। पहले इसका नाम एस सी एस्त्रा ( SC Astrea) था और यह नॉर्वे का शिप था। श्वेता राठौर का कहना है कि उनके पति ने फोन पर खबर दी है कि पिछले तीन दिनों से उन्हें भोजन और पानी मिलना भी मुश्किल हो गया है। लीबियन कंपनी की तरफ से धमकियां मिल रही हैं। श्वेता राठौर ने जानकारी दी है कि शिप में उनके पति सेकंड ऑफिसर हैं, जबकि विजय स्वामी चीफ ऑफिसर और एलेक्जेंडर बाइको कैप्टन हैं। पिछले करीब 36 घंटे से श्वेता पति की सही सलामत वापसी की कामना कर रही हैं।
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