मुस्लिमों की धार्मिक पहचान खत्म करने की कोशिश है समान नागरिक संहिता : AIMPLB

Uniform civil code : प्रस्ताव में कहा गया है कि एआईएमपीएलबी भारत की विविधता में एकता की भावना में विश्वास करता है। यूसीसी को लागू करने का मकसद मुस्लिमों पर हिंतुत्व को थोपा जाना है। इसका वह विरोध करेगा।

Uniform Civil Code is an attempt to destroy religious identity of Muslims: AIMPLB
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की सोमवार को हुई बैठक। 
मुख्य बातें
  • एआईएमपीएलबी की सोमवार को हुई बैठक, कार्य समिति ने पारित किया प्रस्ताव
  • प्रस्ताव में कहा गया कि यूसीसी मुस्लिमों की धार्मिक पहचान खत्म करने की कोशिश है
  • एआईएमपीएलबी का कहना है कि वह विविधता में एकता की भावना में विश्वास करता है

Uniform civil code : यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बड़ा बयान दिया है। इस संगठन ने कहा है कि यूसीसी के जरिए मुस्लिम की धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान खत्म करने की कोशिश की जा रही है। एआईएमपीएलबी की कार्य समिति की सोमवार को हुई बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया है कि वह यूसीसी के मसले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा और इसका विरोध करेगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि एआईएमपीएलबी भारत की विविधता में एकता की भावना में विश्वास करता है। यूसीसी को लागू करने का मकसद मुस्लिमों पर हिंतुत्व को थोपा जाना है। बता दें कि हिजाब विवाद मामले में भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट गया था। 

सीएम धामी कहा है-उत्तराखंड में लागू होगा यूसीसी  
दरअसल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि सत्ता में वापसी होने पर वह राज्य में यूसीसी लागू करेंगे। इसके बाद से यूसीसी मुद्दे पर चर्चा ने जोर पकड़ ली है। उत्तराखंड विधानसभा से यूसीसी पर प्रस्ताव अभी पारित नहीं हुआ है। उत्तराखंड में कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। धामी सरकार अपने विधानसभा में यदि इस प्रस्ताव को पारित कर देती है तो उसे इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास भेजना होगा। बिहार में भी यूसीसी लागू करने की बात शुरू हुई है। 

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धामी ने पैनल का गठन किया
उत्तराखंड के सीएम ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में कदम उठाते हुए एक पैनल का गठन किया है। यह पैनल यूसीसी के बारे में अपनी राय देगा। समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी सभी धर्मों के लिए एक कानून की बात करता है। अभी हर धर्म का अपना अलग कानून है। हिंदू धर्म के लिए अलग, मुस्लिमों का अलग और ईसाई समुदाय का अलग कानून है। समान नागरिक संहिता यदि देश में लागू हो जाती है तो सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून होगा। 

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हिजाब मामले में SC जाएगा AIMPLB
एआईएमपीएलबी का कहना है कि वह हिजाब मसले पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा फिर से खटखटाएगा। कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि हिजाब पहनना मुस्लिम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। छात्र-छात्राओं को स्कूल के यूनिफॉर्म पहनने होंगे। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद कर्नाटक में छात्राएं हिजाब उतारकर स्कूल में दाखिल हो रही हैं। हिजाब विवाद पर कोर्ट के फैसले का विरोध कई मुस्लिम संगठनों ने किया है।      

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