उत्तराखंड सरकार ने 51 मंदिरों को लेकर बड़ा फैसला, स्वामी बोले- यह हिंदुओं के लिए बड़ी जीत

देश
किशोर जोशी
Updated Apr 09, 2021 | 21:57 IST

उत्तराखंड की तीरथ सिंह सरकार ने पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र रावत सरकार के एक फैसले को पलटते हुए 51 मंदिरों को सरकार प्रबंधन से मुक्त करने का फैसला किया है।

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मुख्य बातें
  • मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा- देवस्थानम बोर्ड से बाहर होंगे 51 मंदिर
  • चारधाम के तीर्थ पुरोहित इस अधिनियम का शुरू से ही विरोध कर रहे थे
  • सुब्रमण्यम स्वामी ने फैसले को हिंदुओं के लिए बड़ी जीत बताया है

देहरादून:  उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को अपने पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के एक फैसले को पलट दिया। तीरथ सिंह सरकार ने राज्य के 51 मंदिरों को चार धाम देवस्थानम बोर्ड के प्रबंधन से मुक्त करने का फैसला करते हुए कहा कि बोर्ड के गठन को लेकर भी पुनर्विचार किया जाएगा। इन मंदिरों में चार धाम के नाम से जाने जाने वाले बदरीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री जैसे प्रमुख मंदिर भी शामिल हैं।

स्वामी ने कही अहम बात
तीरथ सिंह रावत के इस फैसले का बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी स्वागत करते हुए इसे हिंदुंओं के लिए बड़ी जीत बताया है। स्वामी ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, ' यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी का भविष्य अन्य पार्टियों के मुकाबले बेहतर है। मैं पार्टी की तभी खुलकर आलोचना करूंगा जब वह स्थापित नीति से विचलित होगी। जब गडकरी और राजनाथ अध्यक्ष थे तब हम सार्वजनिक मंचों पर बात कर सकते थे। लेकिन अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद चीजें बदल गई हैं।' 

खूब हुआ था विरोध

आपको बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी ने तत्कालीन सरकार के मंदिरों पर नियंत्रण वाले फैसले को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी। उत्तराखंड सरकार के इस फैसले का खूब विरोध भी हुआ था। तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के इस अधिनियम उनके हितों पर कुठाराघात बताते हुए कहा था कि बोर्ड का गठन किया गया तो तब भी उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया।  

त्रिवेंद्र रावत ने किया था ये फैसला
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में गठित देवस्थानम बोर्ड हिमालयी चारधाम के नाम से प्रसिद्ध बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के गठन का प्रबंधन देखता है। राज्य विधानसभा में दिसंबर, 2019 में कानून के जरिए गठित देवस्थानम बोर्ड का साधु संत और तीर्थ पुरोहित पुरजोर विरोध कर रहे थे और उनका मानना है कि इसकी वजह से उनके पारंपरिक अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। राज्य की कमान संभालने के साथ ही तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि  देवस्थानम बोर्ड पर फिर से विचार किया जाएगा।

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