नई दिल्ली : चर्चित विकास दुबे एनकाउंटर मामले में बड़ी बात सामने आई है। सूत्रो के मुताबिक इस एनकाउंटर की जांच करने वाले आयोग ने यूपी पुलिस को एक तरह से क्लिन चिट दे दी है। इस एनकाउंटर पर फर्जी होने के आरोप लगे थे। विकास दुबे की एनकाउंटर की न्यायिक जांच के लिए छह अर्जिया सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं जिन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक जांच आयोग का गठन किया। इस आयोग को जांच में एनकाउंटर को फर्जी बताने वाला कोई साक्ष्य नहीं मिला है। आयोग अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपने वाला है। खास बात यह है कि विकास दुबे के परिजनों ने भी जांच आयोग के समक्ष गवाही नहीं दी है। आयोग के समक्ष केवल पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज हुए हैं। पुलिसकर्मियों ने एनकाउंटर को सही बताया है।
बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या
गत तीन जुलाई को विकास दुबे और उसके गुर्गों ने बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों को बेरहमी से हत्या कर दी। इसके बाद विकास और उसके साथी फरार हो गए। बाद में विकास को मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया। यूपी पुलिस का कहना है कि जब वह विकास दुबे को वापस लेकर आ रही थी तो गैंगस्टर जिस वाहन में सवार था, वह गाड़ी पलट गई। मौके का फायदा उठाकर विकास एक पुलिसकर्मी का पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। इस दौरान उसने पुलिस पर फायरिंग की। इसके बाद पुलिस ने अपने बचाव में जवाबी कार्रवाई की जिसमें वह मारा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच आयोग बनाया
पुलिस की इस थ्योरी पर कई लोगों ने सवाल उठाए और इस फर्जी एनकाउंटर करार दिया। इस एनकाउंटर की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में 22 जुलाई को छह पीआईएल दाखिल हुईं। एनकाउंट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक जांच आयोग का गठन किया। इस आयोग में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस चौहान, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व जज शशि कांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता शामिल हैं।
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